Gorakhpur News : 'त्रिगुण' के संतुलन से खुशी और सेहत का रिश्ता, शोधार्थी ने पाया जीवनोपयोगी परिणाम

'त्रिगुण' के संतुलन से खुशी और सेहत का रिश्ता, शोधार्थी ने पाया जीवनोपयोगी परिणाम
UPT | 'त्रिगुण' के संतुलन से खुशी और सेहत का रिश्ता।

Jan 18, 2025 13:44

सत्व, रजस व तमस गुण व्यक्ति की खुशी का निर्धारण तो करते ही हैं, स्वास्थ्य को नियंत्रित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यानी त्रिगुण के संतुलन से मनुष्य की खुशी और सेहत का सीधा और गहरा रिश्ता है। यह तथ्य उद्घाटित किया है...

Jan 18, 2025 13:44

Gorakhpur News : सत्व, रजस व तमस गुण व्यक्ति की खुशी का निर्धारण तो करते ही हैं, स्वास्थ्य को नियंत्रित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यानी त्रिगुण के संतुलन से मनुष्य की खुशी और सेहत का सीधा और गहरा रिश्ता है। यह तथ्य उद्घाटित किया है दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की शोधार्थी शिवांगी पांडेय ने। मनोविज्ञान विभाग की प्रो. अनुभूति दुबे के निर्देशन में हुए इस जीवनोपयोगी शोध अध्ययन में तीन आयु वर्ग के 300 व्यक्तियों के मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन को आधार बनाया गया है।

यह है अध्ययन का सार
शिवांगी ने अपने अध्ययन में पाया है कि सत्व गुण की प्रधानता वाला व्यक्ति हमेशा खुश रहता है, मनोवैज्ञानिक व शारीरिक बीमारी से भी दूर रहता है। इसके विपरीत तमस गुण की प्रधानता वाला व्यक्ति अवसादग्रस्त रहता है। साथ ही प्रतिकूल खुशी का शिकार हो जाता है। जिन व्यक्तियों में रजस गुण की प्रधानता होती है, वह सत्व व तमस गुण दोनों के लाभ व हानि के प्रभाव में रहते हैं। यह बीच की स्थिति है, जो अपेक्षाकृत अधिक व्यक्तियों में पाई जाती है। अपने अध्ययन के निष्कर्ष में उन्होंने तमस गुण की प्रधानता वाले व्यक्ति को रजस गुण और रजस गुण की प्रधानता वाले व्यक्ति को सत्व गुण को प्रभावी बनाने की सलाह दी है।

तीन आयु वर्ग के लोगों का चयन
अध्ययन के लिए शिवांगी ने जिन तीन आयु वर्ग के लोगों का चयन किया है, उनमें 18 से 40 (युवा), 40 से 65 (वयस्क) और 65 वर्ष से अधिक (वृद्ध) के लोग शामिल हैं। व्यक्तियों में गुण की प्रधानता और व्यक्तित्व में उसके प्रभाव को जानने के लिए शोधार्थी शिवांगी ने मनोविज्ञान के वुल्फ वैदिक पर्सनालिटी इन्वेंट्री' प्रणाली का प्रयोग किया है, जो प्रश्नोत्तरी आधारित है। प्रो. अनुभूति दुबे के अनुसार, शिवांगी का शोध मनोविज्ञान के सिद्धांत पर खरा उतरने वाला है। व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व में सुधार लाने का सुझाव देने वाला है।

अध्ययन के लिए अपनाई यह प्रक्रिया
शिवांगी पांडेय ने अपने शोध अध्ययन की शुरुआत 100 व्यक्तियों के साथ की। परिणाम का बेहतर रूझान मिलने के बाद यह संख्या बढ़ाकर 300 कर दी। इस संख्या को युवा, वयस्क व वृद्ध तीन वर्ग में 100 व्यक्तियों में विभाजित किया। अध्ययन की पूर्णता के लिए, हर वर्ग में 50 प्रतिशत महिलाओं को शामिल किया। सभी में 'वुल्फ वैदिक पर्सनालिटी इन्वेंट्री' प्रणाली का प्रयोग करके त्रिगुण की अलग-अलग मात्रा, आध्यात्मिकता के प्रति रूझान, खुद की पहचान और खुशी व सेहत की स्थिति का आकलन किया। त्रिगुण के लिए 56, आध्यात्मिकता के लिए 15, पहचान के लिए 35 और खुशी व सेहत की जानकारी के लिए 23 सवालों का जवाब लिया और उसके आधार पर त्रिगुण की स्थिति व उसके परिणाम का मूल्यांकन किया।

क्या कहती हैं वीसी
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि विश्वविद्यालय के ज्यादातर शोधार्थियों का शोध व अध्ययन जनोपयोगिता को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहा है। शिवांगी ने भी ऐसा ही अध्ययन कर व्यक्तित्व के विकास का एक उपयोगी तथ्य उद्घाटित किया है। उनका अध्ययन हर आयुवर्ग के लोगों का मार्गदर्शन करने वाला है।

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