उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के एक गांव में 5 जून 1972 को जन्मे अजय सिंह बिष्ट जो आज के समय में योगी आदित्यनाथ के रूप में जाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक संन्यासी होने के साथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनकर इसकी कमान संभाली है। योगी ने पहले संन्यास लिया, फिर जनता की सेवा के लिए सियासत का दामन थाम लिया।
किस्सा योगी आदित्यनाथ का : आखिर क्यों 11 दिन जेल में रहे योगी आदित्यनाथ, जिस कारण संसद में फूट कर रोए
Jan 01, 2024 13:14
Jan 01, 2024 13:14
सांसारिक मोहमाया त्याग बने संन्यासी
योगी आदित्यनाथ जब ग्रेजुएशन कर रहे थे, उसी समय वह महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए। उस समय उनके दिमाक में सिर्फ दो चीजें ही चल रही थीं। जिसमें पहला तो अध्यात्म की ओर उनकी रूचि थी और दूसरा रामजन्म भूमि आंदोलन था। इन कारणों की वजह से वह महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने 21 वर्ष की उम्र में सन् 1994 में सांसारिक मोहमाया त्याग दी और पूर्ण संन्यासी बन गए। यही से वो योगी आदित्यनाथ बनें। इसके बाद अप्रैल 1994 में मंहत अवैद्यनाथ जी ने योगी को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।
योगी को मिली बड़ी जिम्मेदारी
भारतीय जनता पार्टी ने साल 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर संसदीय सीट से अपनी पार्टी का सांसद चुना। इसके बाद वह लगातार 4 बार 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर संसदीय सीट से बीजेपी के सांसद चुने गए। गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ की 12 सितंबर सन् 2014 में निधन के बाद योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर का महंत बनाया गया। दो दिन बाद इन्हें ‘नाथ पंथ’ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया। साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने पर योगी को मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा दिया गया।
हिंदू युवा वाहिनी की कहानी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2002 में हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की थी। यह काम उन्होने बतौर सांसद लोगों को न्याय दिलाने के लिए किया था। इसका गठन शुरुआत में महानगर और जिले स्तर पर किया लेकिन जैसे-जैसे संगठन को लोकप्रियता मिलती गई तो इसका दायरा पूर्वांचल और फिर प्रदेश स्तर तक बढ़ गया। योगी ने अपने इस संगठन का इस्तेमाल 2017 तक तो लोगों को अधिकार और न्याय दिलाने के लिए किया लेकिन जैसे ही उनके हाथ उत्तर प्रदेश की कमान आई तो संगठन का लक्ष्य बदल गया। संगठन के कार्यकर्ता बदली परिस्थितियों में सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने में जुट गए। बता दे योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद संगठन की भूमिका सूबे में थोड़ी कम हुई थी और इसके बाद उन्होंने इस संगठन को खुद समाप्त करने का ऐलान किया।
गोरखपुर दंगें में गए जेल
गोरखपुर में जनवरी 2007 को मोहर्रम के जुलूस में दो गुटों के बीच जमकर विवाद हुआ था। इसी जुलूस में शामिल कुछ युवकों ने राजकुमार अग्रहरि पर छेड़खानी का आरोप लगाते हुए तलवार और चाकुओं से हमला कर दिया। जिसमें राजकुमार अग्रहरि बुरी तरह घायल हो गया, जिसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसकी सूचना मिलते ही शहर का माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया और दंगे जैसी स्थिति पैदा हो गई। वहीं जब इस मामले में योगी आदित्यनाथ आगे आए तो उन पर दंगा भड़काने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज हुआ और उन्हें 11 दिनों के लिए जेल भी जाना पड़ा था। उस समय यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुख्यमंत्री मुलायम से यादव थे।
Also Read
9 Jan 2025 04:24 PM
गोरखपुर महोत्सव का आगाज शुक्रवार को पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के द्वारा चम्पा देवी पार्क में होगा। यह महोत्सव गोरखपुर की संस्कृति, कला और विकास को दर्शाने का एक बड़ा मंच है... और पढ़ें