झांसी रेल मंडल में 77 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली स्थापित कर दी गई है। इस तकनीकी पहल से न केवल यात्रियों की सुरक्षा बढ़ी है, बल्कि ट्रेनों के संचालन में भी तेजी आई है। रेलवे ने इस प्रणाली को मार्च 2026 तक धौलपुर से बीना तक के पूरे रेल खंड पर लागू करने का लक्ष्य तय किया है।
Jhansi News : झांसी रेल मंडल में ऑटोमेटिक सिग्नल से यात्रियों की सुरक्षा में इजाफा, मार्च 2026 तक धौलपुर से बीना तक पूरा होगा काम
Jan 21, 2025 08:02
Jan 21, 2025 08:02
क्या है ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली?
ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली एक कंप्यूटराइज्ड सिस्टम है जो ट्रेनों की आवाजाही को नियंत्रित करता है। इस प्रणाली के अंतर्गत, दो स्टेशनों के बीच प्रत्येक एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाए जाते हैं। इससे ट्रेनों की गति में वृद्धि होती है और ट्रैक पर ट्रेनों के संचालन की संख्या भी बढ़ जाती है। इस प्रणाली की खास बात यह है कि यह बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के, कंप्यूटर द्वारा संचालित होती है। ट्रेनों की लोकेशन लगातार अपडेट होती रहती है जिससे दुर्घटना की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
77 किलोमीटर ट्रैक पर स्थापित हुई प्रणाली
रेलवे के एसएंडटी विभाग द्वारा इस वित्तीय वर्ष में शुरू किए गए कार्य के अंतर्गत, अब तक आठ रेल खंडों - दतिया-सोनागिर, झांसी-करारी, झांसी-बिजौली, बिजौली-खजुराहो, करारी-चिरूला, चिरूला-दतिया, डबरा-अनंतपेठ और अनंतपेठ-आंतरी के बीच 77.06 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर ऑटोमेटिक सिग्नल लगाए जा चुके हैं।
धौलपुर से बीना तक विस्तार की योजना
रेलवे प्रशासन मार्च 2026 तक धौलपुर से बीना तक के पूरे रेल खंड को इस आधुनिक प्रणाली से लैस करने की योजना पर काम कर रहा है। इस परियोजना के पूरा होने से इस रूट पर ट्रेनों की आवाजाही और भी सुरक्षित और सुगम हो जाएगी।
अधिकारियों का कहना
मंडलीय जनसंपर्क अधिकारी, मनोज कुमार सिंह ने बताया कि ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली से ट्रेनों की रफ्तार के साथ-साथ यात्रियों की सुरक्षा में भी वृद्धि होगी। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मार्च 2026 तक धौलपुर से बीना तक इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा।