एएसआई के अनुसार, मरम्मत कार्य में रसायन मुक्त पारंपरिक सामग्री का उपयोग किया जाएगा। यह तकनीक न केवल स्मारक को मजबूती देगी, बल्कि इसके ऐतिहासिक मूल्यों को भी बनाए रखेगी। रुमी गेट की मरम्मत में भी यही तकनीक अपनाई गई थी।
छोटा इमामबाड़ा : चूना, गोंद और गुड़ जैसी पारंपरिक तकनीक से मिलेगी मजबूती, हेरिटेज जोन होगा अतिक्रमण मुक्त
Jan 21, 2025 11:29
Jan 21, 2025 11:29
200 वर्ष पुरानी इमारत की जर्जर हालत
करीब 200 साल पुरानी इस इमारत की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। मुख्य द्वार की ईंटें जर्जर हो गई हैं और बरसात के मौसम में इनके गिरने का खतरा बना रहता है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद प्रशासन ने 6.54 करोड़ रुपये की लागत से इस संरचना के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मरम्मत कार्य इंटेक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट को सौंपा गया है, जो भारतीय पारंपरिक निर्माण सामग्री का उपयोग करेगा।
पारंपरिक सामग्री से होगा काम
एएसआई के अधिकारियों के अनुसार, स्मारक की मरम्मत में सीमेंट के स्थान पर पारंपरिक स्वदेशी मसालों का उपयोग किया जाएगा।
चूने में गुड़, बेल और गोंद का एक चौथाई मिश्रण मिलाया जाएगा।
स्मारक की पतली ईंटों को संरक्षित करने के लिए पुरानी इमारतों की ही ईंटों का उपयोग किया जाएगा।
लाल बालू, चूना और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से मरम्मत कार्य होगा, जिससे स्मारक का ऐतिहासिक महत्व बरकरार रहेगा।
हेरिटेज जोन होगा अतिक्रमण मुक्त
छोटा इमामबाड़ा समेत आसपास के हेरिटेज जोन को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा। इसमें बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, घंटाघर और अन्य स्थलों को शामिल किया गया है।
डेढ़ किलोमीटर के क्षेत्रफल में किसी भी प्रकार की अवैध दुकानें नहीं होंगी।
पार्किंग की व्यवस्था हेरिटेज जोन के बाहर होगी, जिससे पर्यटकों को सुविधा हो।
नगर निगम ने अवैध कब्जे हटाने के लिए विशेष योजना तैयार की है।
गुड़-बेल से बनी परंपरागत तकनीक
एएसआई के अनुसार, मरम्मत कार्य में रसायन मुक्त पारंपरिक सामग्री का उपयोग किया जाएगा। यह तकनीक न केवल स्मारक को मजबूती देगी, बल्कि इसके ऐतिहासिक मूल्यों को भी बनाए रखेगी। रुमी गेट की मरम्मत में भी यही तकनीक अपनाई गई थी।
हाईकोर्ट में दाखिल हुआ हलफनामा
छोटा इमामबाड़ा को अतिक्रमण मुक्त कराने के मामले में एएसआई ने हाईकोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया। इसमें कहा गया कि 6.54 करोड़ की लागत से मरम्मत कार्य स्मार्ट सिटी योजना के तहत किया जा रहा है। इसका जिम्मा ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण में माहिर संस्था इंटेक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट (आईसीआई) लखनऊ को सौंपा गया है। वहीं याची के वकील ने हलफनामे पर आपत्ति जताई और पारंपरिक निर्माण सामग्री और प्रशिक्षित टीम की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि काम को दिए जाने की पूरी जानकारी हलफनामे में नहीं है। संबंधित संस्था के पूर्व में किये गए संरक्षण संबंधित कार्यों का भी विवरण नहीं है। वह किस तरह काम करेंगे, इसकी जानकारी नहीं दी गई है। हाईकोर्ट में अगली सुनवाई अगले सप्ताह हो सकती है।
स्मारक संरक्षण के लिए उठाए गए कदम
- छोटा इमामबाड़ा के मुख्यद्वार की मरम्मत के साथ, स्मारक की अन्य कमजोर संरचनाओं पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- मरम्मत कार्य की देखरेख अनुभवी पुरातत्वविद करेंगे।
- हेरिटेज जोन में पर्यावरण अनुकूल तकनीक का इस्तेमाल होगा।
- आने वाले समय में धरोहर स्थलों पर अत्याधुनिक सुविधाएं पर्यटकों के लिए मुहैया कराई जाएंगी।
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