दिवाली पर एक घर से उठीं दो अर्थियां : पति की मौत का सदमा न झेल पाई पत्नी, एक हिचकी ली और तोड़ा दम

पति की मौत का सदमा न झेल पाई पत्नी, एक हिचकी ली और तोड़ा दम
UPT | symbolic image

Oct 31, 2024 00:32

जालौन के उरई में दिवाली के दिन एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ, जब एक घर से दो अर्थियां उठीं। सड़क दुर्घटना में पति सुमित की मौत हो गई, जिससे उनकी पत्नी रीता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा...

Oct 31, 2024 00:32

Jalaun News : जालौन के उरई में दिवाली के दिन एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ, जब एक घर से दो अर्थियां उठीं। सड़क दुर्घटना में पति सुमित की मौत हो गई, जिससे उनकी पत्नी रीता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। दोनों का साथ केवल चार साल का था। रीता ने 2020 में सुमित से शादी की थी।

पति की मौत का सदमा नहीं सहन कर पाई
सोमवार को हुए हादसे ने रीता को गुमसुम कर दिया। जब अर्थी उठी, तो उसकी चीत्कार ने सबका कलेजा पिघला दिया। उसे अर्थी से अलग करना मुश्किल हो रहा था। जैसे ही अर्थी चली, रीता ने एक हिचकी ली और हमेशा के लिए खामोश हो गई। उनके दो साल के बेटे रेयांश को यह नहीं समझ में आया कि अब उसके माता-पिता कभी नहीं लौटेंगे। पूरे इलाके में मातम छा गया है और लोग इस प्रेमपूर्ण दांपत्य जीवन के दुखद अंत की चर्चा कर रहे हैं।



एक निजी कंपनी में काम करता था पति
जालौन कोतवाली क्षेत्र के गांव कैथ का 27 वर्षीय सुमित, जो एक निजी कंपनी में काम करता था, सोमवार रात भेड़ गांव गया था। लौटते समय उसकी बाइक एक ट्रैक्टर से टकरा गई, जिससे उसकी मौत हो गई। जब यह खबर रीता तक पहुंची, तो 25 वर्षीय पत्नी बेसुध हो गई। पूरी रात, जब भी उसे थोड़ी होश आती, वह सुमित को पुकारती रही।

स्वास्थ्य केंद्र ले जाने पर पत्नी ने तोड़ा दम
मंगलवार को जब सुमित की अर्थी उठी, तो रीता की हृदयविदारक चीत्कार सुनकर परिवार वाले उसे संभालने की कोशिश करने लगे, लेकिन उसकी धड़कनें बेकाबू हो चुकी थीं। जब परिवार सुमित का अंतिम संस्कार कर घाट से लौटे, तो रीता रोते-रोते बेहोश हो गई। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने पर उसने दम तोड़ दिया। उसने जिस व्यक्ति के साथ सात फेरे लिए थे, उसके बिना वह सात दिन भी न जी सकी। यह दुखद घटना पूरे गांव में मातम का कारण बन गई है। सुमित अपने पिता कालका प्रसाद का इकलौता बेटा था। वही घर का अकेला कमाऊ सदस्य था। अब परिवार में कालका प्रसाद, उनकी पत्नी कमला देवी और पौत्र रियांश ही बचे हैं।

Also Read