झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड : फायर ऑडिट में उजागर हुईं गंभीर खामियां, 24 घंटे फायर सेफ्टी की सिफारिश

फायर ऑडिट में उजागर हुईं गंभीर खामियां, 24 घंटे फायर सेफ्टी की सिफारिश
सोशल मीडिया | फायर ऑडिट में उजागर हुईं गंभीर खामियां

Dec 02, 2024 08:29

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए दर्दनाक अग्निकांड के बाद फायर ऑडिट में ऐसी गंभीर खामियां उजागर हुई हैं, जो भविष्य में बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं। इस रिपोर्ट में सुरक्षा उपायों की कमी, फायर अलार्म की खराब स्थिति और इमरजेंसी गेट की अनुपस्थिति जैसी चिंताजनक बातें सामने आई हैं। जानें, इस रिपोर्ट में दिए गए सुझाव और शासन से क्या उम्मीदें की जा रही हैं।

Dec 02, 2024 08:29

Jhansi News : झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए भयावह अग्निकांड के बाद हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैं। इस घटना ने न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी, बल्कि प्रशासन को गहरी चिंता में डाल दिया है। 15 नवंबर की रात एसएनसीयू वार्ड में लगी आग में 10 नवजात शिशुओं की जिंदा जलकर और 8 अन्य की बाद में मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया।

फायर ऑडिट में सामने आईं खतरनाक खामियां
घटना के बाद शासन ने मेडिकल कॉलेज का फायर ऑडिट कराया, जिसमें सुरक्षा उपायों की कमी और खतरनाक खामियां सामने आईं। रिपोर्ट में बताया गया कि आग लगने पर जान बचाने के लिए जरूरी इमरजेंसी गेट, फायर अलार्म, हाईड्रेंट सिस्टम और शॉर्ट सर्किट रोकने के उपाय अधिकांश स्थानों पर नहीं मिले।

कॉलेज के भवन, ओपीडी, इंडोर ब्लॉक, गेस्ट हाउस, पोस्टमार्टम हाउस समेत कुल 26 स्थानों पर जांच की गई। इसमें फायर अलार्म काम नहीं करने, हाइड्रेंट की रिफिलिंग न होने और आकस्मिक दरवाजे न होने जैसी समस्याएं पाई गईं। वेटराइजर सिस्टम भी खराब हालत में मिला।

सेफ्टी फायर ऑडिट के सुझाव
फायर ऑडिट की रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज की संवेदनशीलता को देखते हुए फायर सेफ्टी के लिए कई जरूरी सुझाव दिए गए:
सुरक्षित निकास मार्ग: सभी भवनों में अलग से इमरजेंसी निकास मार्ग और सीढ़ियां बनाई जाएं।
24 घंटे फायर स्टाफ: कॉलेज में एक मुख्य अग्निशमन अधिकारी, दो फायर ऑफिसर और प्रशिक्षित स्टाफ को 24 घंटे तैनात रखा जाए।
वेटराइजर और हाइड्रेंट की मरम्मत: हाइड्रेंट प्वाइंट पर कपलिंग, इनलेट ब्रांच, होज बॉक्स और हौज पाइप का प्रावधान हो।
फायर ट्रेनिंग: जूनियर डॉक्टर और छात्रों को साल में एक बार सात दिवसीय फायर सेफ्टी का प्रशिक्षण दिया जाए।
धुएं की निकासी: भवनों के अंदर से धुएं की निकासी के लिए विशेष उपाय किए जाएं।
गैस सप्लाई सुरक्षा: अस्पताल में ऑक्सीजन और एलपीजी के लिए ऑटोमेटिक वाटर स्प्रे सिस्टम और मान्यता प्राप्त संस्था से पाइपलाइन ऑडिट कराई जाए।

जिला अस्पताल और कारागार की स्थिति भी खराब
मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ जिला अस्पताल, महिला अस्पताल और कारागार का भी फायर ऑडिट कराया गया। इन स्थानों पर भी गंभीर खामियां सामने आईं। जिला अस्पताल के हाईड्रेंट में नोजल नहीं लगे मिले, जबकि कारागार में पाकशाला के भीतर इमरजेंसी गेट नहीं पाया गया।

शासन से कार्रवाई की उम्मीद
फायर ऑडिट रिपोर्ट शासन को भेजी गई है, जिससे सुधारात्मक कदम उठाने की उम्मीद है। झांसी के इस हादसे ने सरकारी भवनों में फायर सेफ्टी के महत्व पर जोर दिया है, लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इन खामियों को सुधारने में कितनी तत्परता दिखाता है।

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