कन्याकुमारी से झांसी तक साइकिल पर : आशा मालवीय ने रचा इतिहास

आशा मालवीय ने रचा इतिहास
UPT | दृढ़ इरादे से कन्याकुमारी से झांसी तक 15,500 किमी साइकिल यात्रा

Dec 21, 2024 08:45

आशा मालवीय ने कन्याकुमारी से झांसी तक 15,500 किमी की साइकिल यात्रा पूरी कर इतिहास रचा। वे देश की पहली महिला साइक्लिस्ट हैं जिन्होंने इतनी लंबी एकल यात्रा की है। महिला सशक्तिकरण का संदेश।

Dec 21, 2024 08:45

Jhansi News : कहते हैं कि "इरादे मजबूत हों तो मंजिल खुद-ब-खुद आसान लगने लगती है।" इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की आशा मालवीय ने, जिन्होंने कन्याकुमारी से 15,500 किलोमीटर की साइकिल यात्रा पूरी कर वीरांगना लक्ष्मीबाई की नगरी झांसी में कदम रखा है। आशा देश की पहली महिला साइक्लिस्ट हैं जिन्होंने इतनी लंबी एकल साइकिल यात्रा की है।

महिला सशक्तिकरण का संदेश
आशा मालवीय का कहना है कि उनकी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है। वे महिलाओं को अपने मन के डर को खत्म करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती हैं। उनके अनुसार, "मेरा उद्देश्य महिलाओं को शक्तिशाली बनाना है। इसके लिए अपने मन के डर को समाप्त करना होगा, जब डर समाप्त होगा तभी जीत मिलेगी।" झांसी में एसएसपी सुधा सिंह ने आशा मालवीय को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

संघर्षपूर्ण जीवन से प्रेरणा
आशा मालवीय मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के नाटाराम गांव की रहने वाली हैं। उनके जीवन का शुरुआती दौर काफी संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने बताया कि जब वे दो साल की थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। उनकी मां ने मजदूरी कर उन्हें और उनकी बड़ी बहन को पाला। अपनी मां के संघर्ष को देखकर आशा के मन में कुछ कर दिखाने की प्रेरणा जागी, जिससे न केवल उनका, बल्कि उनकी मां का नाम भी रोशन हो। अपनी मां से प्रेरणा लेकर ही वे एथलीट, माउंटेनियरिंग और साइक्लिस्ट बनीं।

लगातार साइकिल यात्राएं
आशा ने 2022 से 15 अगस्त 2023 तक अपनी पहली एकल साइकिल यात्रा शुरू की थी, जिसमें उन्होंने 26,000 किलोमीटर तक साइकिल चलाई थी। वे भारत की एकल महिला साइक्लिस्ट हैं जिन्होंने इतनी लंबी यात्रा की है।

कारगिल विजय दिवस से झांसी तक
आशा मालवीय ने कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती पर अपनी दूसरी यात्रा कन्याकुमारी से शुरू की थी। 26 जुलाई 2024 को वे कारगिल पहुंचीं और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। फिर 15 अगस्त को सियाचिन पहुंचकर भारत के वीर सपूतों को नमन किया। वहां से 6 सितंबर को वे दुनिया के सबसे ऊंचे मोटरेबल रोड पर पहुंचीं और फिर झांसी आईं। कन्याकुमारी से अब तक वे 15,500 किलोमीटर साइकिल चला चुकी हैं। झांसी से अब वे अपने घर वापस जा रही हैं।

रोजाना 150 किलोमीटर साइकिलिंग
आशा रोजाना 150 से 200 किलोमीटर साइकिल चलाती हैं। इस यात्रा के दौरान वे कई राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, जिला अधिकारियों और सेना के अधिकारियों से भी मिलीं। उनका कहना है कि "लाइफ में गोल बनाइए और मन के डर को समाप्त कीजिए, क्योंकि डर कुछ होता ही नही है लाइफ में। जब हम खुद से नही जीतते है तब तक न ही हमें कोई जिता सकता है और न ही हरा सकता है और डर से जीतना है।" उनकी इस यात्रा में भारतीय सेना का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।
 

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