ललितपुर जनपद में कुपोषण की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। स्थानीय प्रशासन द्वारा इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए अनेक योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, परंतु वास्तविक परिणाम अभी तक संतोषजनक नहीं हैं।
Malnutrition in Lalitpur : कम नहीं हो रही कुपोषित बच्चों की संख्या, स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ी
Jul 30, 2024 12:43
Jul 30, 2024 12:43
चिंताजनक हैं जून 2024 तक के आंकड़े
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े इस गंभीर स्थिति को प्रतिबिंबित करते हैं। वर्ष 2022 में जहां 6,523 बच्चे कुपोषित पाए गए थे, जिनमें से 1,634 अति कुपोषित श्रेणी में थे, वहीं 2023 में यह संख्या 4,890 थी जिसमें 1,321 बच्चे अति कुपोषित थे। वर्तमान वर्ष 2024 के जून तक के आंकड़े भी चिंताजनक हैं, जिसमें 3,790 कुपोषित बच्चों में से 926 अति कुपोषित पाए गए हैं।
इस समस्या के मूल में अनेक कारण निहित हैं। गरीबी, अशिक्षा, और जागरूकता का अभाव प्रमुख कारकों के रूप में सामने आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण संबंधी जानकारी की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की समस्या, और पारंपरिक मान्यताएं भी इस समस्या को बढ़ावा देती हैं।
जिला प्रशासन ने उठाए कई कदम
जिला प्रशासन ने इस चुनौती से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी नीरज कुमार के अनुसार, ग्राम पंचायत स्तर पर नियमित स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाता है, जहाँ कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। इसके अतिरिक्त, कुपोषित बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों को पोषक आहार उपलब्ध कराया जाता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी विशेष पोषण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। स्थानीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि समस्या के समाधान के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसमें शिक्षा, रोजगार सृजन, स्वच्छता, और सामुदायिक जागरूकता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
ग्राम स्तर पर पोषण शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए
समाज के विभिन्न वर्गों से यह मांग उठ रही है कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को अधिक गंभीरता से लें। स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों का सुझाव है कि ग्राम स्तर पर पोषण शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए और परिवारों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
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