रोते-बिलखते एक बदहवास दंपती ने कहा कि 9 तारीख से मेरा बच्चा भर्ती था, डॉक्टर की कमी से मेरे बच्चे की मौत हो गई। मेरा बच्चा यहीं जन्मा, जिसे ऑक्सीजन में रखा गया था। मेरा बच्चा नहीं मिला। कम से कम 50 बच्चे भर्ती थे, आधे बचे-आधे मर गए हैं।
झांसी में कोयला बन गए कलेजे के टुकड़े : जो अभी पैदा हुए, किस शैतान ने छीन लिए, मांओं की चीत्कार से फट गए कलेजे
Nov 16, 2024 02:27
Nov 16, 2024 02:27
परिजन बोले-डॉक्टरों ने अंदर जाने नहीं दिया
रोते-बिलखते एक बदहवास दंपती ने कहा कि 9 तारीख से मेरा बच्चा भर्ती था, डॉक्टर की कमी से मेरे बच्चे की मौत हो गई। मेरा बच्चा यहीं जन्मा, जिसे ऑक्सीजन में रखा गया था। मेरा बच्चा नहीं मिला। कम से कम 50 बच्चे भर्ती थे, आधे बचे-आधे मर गए हैं। संतरा ने कहा कि मेरे बेटे राज किशन सविता का बेटा हुआ था। वह वार्ड में भर्ती था। हम दवा लेने गए थे। तभी आग लग गई। हम उसे उठा नहीं पाए। सभी लोग चिल्लाने लगे आग लग गई, आग लग गई। हम अंदर नहीं जा पाए। हमारा बच्चा हमें नहीं मिल पाया है। डॉक्टर अंदर नहीं जाने दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) में लगी भीषण आग ने 10 मासूमों की जान ले ली। इस दर्दनाक हादसे ने न केवल अस्पताल प्रशासन बल्कि स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। pic.twitter.com/3PnpWSxJu6
— mukesh radhwaj singh (@mradhwaj) November 15, 2024
आग लगते ही डॉक्टर भाग गए
महोबा के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टर भाग गए। अगर ऐसा नहीं होता तो डॉक्टर या नर्स भी मरने चाहिए थे। 10-12 बच्चे हमें खुद जले हुए देखे। हम तो अस्पताल के ही बाहर थे, धुआं देखकर आग का पता चला। ये आग कैसे लगी, ये हमें नहीं पता।
रोते-बिलखते रहे परिजन
नवजातों को बाहर निकालने की कोशिश हुई लेकिन, धुआं एवं दरवाज पर आग की लपट होने से नवजात समय पर बाहर नहीं निकाले जा सके। कुछ देर बाद दमकल की गाड़ियों के पहुंचने पर नवजातों को बाहर निकाला जा सका। खबर लिखे जाने तक वार्ड से 10 नवजात शिशुओं के शव बाहर निकाले जा चुके। मौके पर रोते-बिलखते परिजनों का जमावड़ा हुआ है।
सेना को बुलाया गया
हादसे की सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। सेना को भी बुला लिया। सेना एवं दमकल की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हैं। दस नवजात की मौत से अस्पताल परिसर में कोहराम मचा हुआ है। नवजातों के माता-पिता भी अपने नवजातों को बचाने की गुहार लगा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रात करीब पौने ग्यारह बजे एसएनसीयू वार्ड से धुआं निकलता दिखा। वहां मौजूद लोगों ने शोर मचाया। जब तक कुछ समझ पाते, आग की लपटें उठने लगीं। कुछ ही देर में आग ने वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। वहां भगदड़ मच गई।
झांसी हादसे की 3 बड़ी लापरवाही
- बच्चों को NICU में रखा गया। इसके दो पार्ट थे। अंदर की तरफ क्रिटिकल केयर यूनिट थी। यहीं पर सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है। क्योंकि एंट्री और एग्जिट के लिए एक ही रास्ता था। जिसमें धुआं भर गया था। रेस्क्यू नहीं हो सका।
- हॉस्पिटल में फायर अलार्म सिस्टम लगे थे, लेकिन आग लगने के बाद ये बजे ही नहीं। सोर्स के मुताबिक, सिस्टम की मेंटेनेंस नहीं करवाई गई। अगर अलार्म बज जाता, तो ज्यादा बच्चों को बचाया जा सकता था।
- परिजनों के आरोप है कि बच्चों को पैरामेडिकल स्टाफ ने बचाया ही नहीं। वह भाग गए। डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ इस हादसे में जले नहीं हैं, सभी सुरक्षित हैं।
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शुक्रवार रात करीब साढ़े 9 बजे एसएनसीयू वार्ड में अचानक आग लग गई। वार्ड में भर्ती 54 बच्चों में से 10 नवजात आग की चपेट में आ गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। सात बच्चे झुलस गए हैं, उनका उपचार चल रहा है। और पढ़ें