शुक्रवार रात करीब साढ़े 9 बजे एसएनसीयू वार्ड में अचानक आग लग गई। वार्ड में भर्ती 54 बच्चों में से 10 नवजात आग की चपेट में आ गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। सात बच्चे झुलस गए हैं, उनका उपचार चल रहा है।
झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड का कौन जिम्मेदार : अस्पताल प्रशासन की लापरवाही, खराब रखरखाव या सुविधाओं का अभाव
Nov 16, 2024 02:24
Nov 16, 2024 02:24
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि एसएनसीयू वार्ड की स्थिति अच्छी नहीं थी। विशेषज्ञों से लेकर पीड़ित परिवार और आम आदमी ये सवाल कर रहा है।
- मरम्मत और निरीक्षण में लापरवाही: बताया जा रहा है वार्ड के इलेक्ट्रिसिटी पैनल घटिया स्तर के थे और समय पर उनकी मरम्मत नहीं की गई। क्या डीजी (हेल्थ) ऑफिस की ओर से नियमित निरीक्षण में भी गंभीरता नहीं दिखाई गई।
- अस्पताल प्रशासन की लापरवाही: क्या मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य और अन्य अधिकारियों ने वार्ड की सुरक्षा और तकनीकी मानकों को सुनिश्चित करने में कोताही बरती।
- सब-स्टैंडर्ड निर्माण: लोगों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज के निर्माण और उपकरणों की गुणवत्ता पर भी सवाल हैं। ठेका-पट्टा करने वाले ठेकेदारों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
आग में जिंदा जलकर मरने वाले इन नवजातों की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। जिन बच्चों की मौत हुई, उनके परिजन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ रोष प्रकट कर रहे हैं। परिजनों का कहना है कि यह हादसा नहीं, बल्कि प्रशासन की अनदेखी का नतीजा है।
उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) में लगी भीषण आग ने 10 मासूमों की जान ले ली। इस दर्दनाक हादसे ने न केवल अस्पताल प्रशासन बल्कि स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। pic.twitter.com/3PnpWSxJu6
— mukesh radhwaj singh (@mradhwaj) November 15, 2024
जांच के नाम पर लीपापोती की आशंका
इस हादसे के बाद हमेशा की तरह जांच के आदेश दिए गए हैं। लेकिन स्थानीय लोगों और अस्पताल के कर्मचारियों का मानना है कि इस बार भी लीपापोती ही होगी। कुछ छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा, जबकि झांसी से लेकर लखनऊ तक जिम्मेदार बड़े अधिकारी बच जाएंगे।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर प्रभावी और सख्त कदम उठाने की बजाय घटना की जांच के नाम पर खानापूरी होती दिख रही है।
प्रभावी सुधार की आवश्यकता
झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई यह त्रासदी सिस्टम की खामियों का जीता-जागता सबूत है। अगर समय पर एनआईसीयू वार्ड की मरम्मत होती, उपकरणों की जांच होती, और सुरक्षा मानकों का पालन किया जाता, तो शायद यह घटना टाली जा सकती थी।
अस्पतालों में सुरक्षा पर सवाल
यह घटना न केवल झांसी बल्कि पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा करती है। मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में ठेकेदारों और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से होने वाले घटिया निर्माण और उपकरणों की गुणवत्ता की कमी ने कई मासूम जानों को लील लिया है। यह हादसा एक चेतावनी है कि अगर प्रशासन ने इस बार भी सख्त कदम नहीं उठाए, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में भी होती रहेंगी।