बांग्लादेश में चल रहा संकट कानपुर के चमड़ा उद्योग के लिए दोधारी तलवार की तरह है। राजनीतिक अस्थिरता और हिंसक घटनाओं का प्रभाव उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर के प्रमुख चमड़ा उद्योग पर सीधे तौर पर होगा।
आफत के साथ अवसर भी : कानपुर के चमड़ा उद्योग पर बांग्लादेश संकट का गहरा असर, कारोबारी सतर्क
Aug 07, 2024 20:28
Aug 07, 2024 20:28
- बांग्लादेश संकट कानपुर के चमड़ा उद्योग के लिए बड़ा अवसर
- कानपुर के व्यापारियों की बांग्लादेश में फैक्ट्रियां
400 करोड़ तक सालाना कारोबार
कानपुर, जो भारत के चमड़ा उद्योग का एक प्रमुख केंद्र है, से बांग्लादेश को चमड़ा, सोल, इंजीनियरिंग उत्पाद, पॉली फिल्म, प्लास्टिक पैकेजिंग और फाइबर का निर्यात किया जाता है। इसके बदले में, बांग्लादेश से कच्चा और तैयार चमड़ा आयात किया जाता है। दोनों देशों के बीच वार्षिक व्यापार का मूल्य 300 से 400 करोड़ रुपये के बीच है। वर्तमान संकट के कारण, कई भारतीय कंपनियों की बांग्लादेश में स्थित फैक्टरियां और कार्यालय अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं।
नए निर्यात ऑर्डर रोके
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के संयोजक आलोक श्रीवास्तव ने दावा किया कि बांग्लादेश में बिगड़ती स्थिति के कारण कानपुर के व्यापारियों ने 10 करोड़ रुपये के नए निर्यात ऑर्डर रोक दिए हैं। पहले से फंसे हुए माल को देखते हुए यह कठोर निर्णय लेना पड़ा है। सोना मस्जिद, बेनापोल, और पेट्रापोल जैसे सीमा बिंदुओं पर हमारे व्यापारियों के माल फंसे हुए हैं। व्यापारियों की सबसे बड़ी चिंता भुगतान को लेकर है। बांग्लादेश के बैंकों की खराब स्थिति के कारण, कारोबारियों को आवश्यक विदेशी मुद्रा मिलने में भारी कठिनाई हो रही है। एक प्रमुख व्यापारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि 80,000 डॉलर की आवश्यकता के मुकाबले हमें केवल 20 हजार डॉलर ही उपलब्ध हो पा रहे हैं।
कानपुर के व्यापारियों की बांग्लादेश में फैक्ट्रियां
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने स्थिति के एक अन्य पहलू पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, "कई कानपुर के व्यापारियों की बांग्लादेश में फैक्ट्रियां और कार्यालय हैं। वे इस समय बेहद चिंतित हैं। हालांकि, यह राहत की बात है कि औद्योगिक क्षेत्रों में स्थिति अपेक्षाकृत शांत है क्योंकि बांग्लादेश की सेना ने वहां नियंत्रण संभाल लिया है। क ओर जहां यह तत्काल व्यावसायिक चुनौतियां पेश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह भारतीय चमड़ा उद्योग को वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान कर रहा है।
आफत में अवसर इस तरह
चर्म निर्यात परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र कुमार जालान ने स्थिति का कहना है कि बांग्लादेश में चल रहे संकट के कारण वहां की चमड़ा इकाइयों में तीन दिन की अनिवार्य छुट्टी घोषित की गई है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक जारी रहती है, तो यह कानपुर सहित भारत के चमड़ा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है। हालांकि हमें इस स्थिति के दोनों पहलुओं पर ध्यान देना होगा। चर्म निर्यात परिषद के सदस्य और प्रमुख निर्यातक यादवेंद्र सचान भी इस संकट को एक संभावित अवसर के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में काम कर रही विदेशी कंपनियों के लिए कानपुर समेत भारत एक बेहतर और स्थिर विकल्प हो सकता है। हालांकि इसके लिए हमें अपनी श्रम लागत को 18-20% तक कम करना होगा और सरकार को कच्चे और तैयार चमड़े पर विशेष सब्सिडी देनी होगी। यह एक चुनौती है लेकिन साथ ही एक बड़ा अवसर भी।
सरकार से कदम उठाने की मांग
व्यापारियों और उद्योग के प्रतिनिधियों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह इस स्थिति को एक रणनीतिक अवसर के रूप में देखे और भारतीय चमड़ा उद्योग को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आवश्यक नीतिगत कदम उठाए। वे आशा कर रहे हैं कि बांग्लादेश में जल्द ही स्थिति सामान्य होगी, लेकिन साथ ही वे भविष्य के लिए एक व्यापक और दीर्घकालिक रणनीतिक योजना बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दे रहे हैं। नॉर्दर्न इंडिया होजरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज बंका ने आगामी त्योहारी सीजन की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाया। उन्होंने कहा कि अगले महीने से त्योहारों का मौसम शुरू हो जाएगा। बांग्लादेश में उद्योग बंद होने से वहां की कंपनियां अपने ऑर्डर कानपुर या उत्तर प्रदेश के अन्य कारोबारियों को दे सकती हैं। यह हमारे लिए एक अप्रत्याशित लाभ का अवसर हो सकता है।
चमड़ा उद्योग के लिए दोधारी तलवार
चर्म निर्यात परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र कुमार जालान ने बताया कि बांग्लादेश चमड़ा क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा था क्योंकि वहां श्रम लागत कम है। लेकिन वर्तमान संकट इस विकास को प्रभावित कर सकता है। यह स्थिति भारतीय चमड़ा उद्योग विशेष रूप से कानपुर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। बांग्लादेश में चल रहा संकट कानपुर के चमड़ा उद्योग के लिए दोधारी तलवार की तरह है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कानपुर का चमड़ा उद्योग इस चुनौती का सामना कैसे करता है और क्या वह इसे एक सफल अवसर में बदल पाता है।
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