लगातार दो चुनाव हारे सुरेश अवस्थी : फिर भी भाजपा ने लगाया दांव, बयानों और विरोध से इतर सीसामऊ में हवा किसकी?

फिर भी भाजपा ने लगाया दांव, बयानों और विरोध से इतर सीसामऊ में हवा किसकी?
UPT | लगातार दो चुनाव हारे सुरेश अवस्थी

Oct 25, 2024 16:06

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए जोर लगाना शुरू कर दिया है। पार्टी ने कानपुर की सीसामऊ सीट से सुरेश अवस्थी को उम्मीदवार बनाया है। सुरेश अवस्थी ब्राह्मण हैं

Oct 25, 2024 16:06

Short Highlights
  • लगातार दो चुनाव हारे सुरेश अवस्थी
  • फिर भी भाजपा ने लगाया दांव
  • मुस्लिम बहुल सीट है सीसामऊ
Kanpur News : भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए जोर लगाना शुरू कर दिया है। पार्टी ने कानपुर की सीसामऊ सीट से सुरेश अवस्थी को उम्मीदवार बनाया है। सुरेश अवस्थी ब्राह्मण हैं और सीसामऊ में भाजपा के ब्राह्णण कार्ड ने सबको हैरत में भी डाल दिया है। क्योंकि इससे पहले सियासी जानकार कुछ और ही कयास लगा रहे थे। सुरेश अवस्थी दो बार लगातार चुनाव हार चुके हैं। बावजूद इसके पार्टी ने उन्हें मौका देने का फैसला किया है।

2017 और 2022 में हारे चुनाव
सुरेश अवस्थी ने 2017 का विधानसभा चुनाव सीसामऊ की सीट से इरफान सोलंकी के खिलाफ लड़ा था। लेकिन वह ये चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2022 में उन्हें आर्य नगर की सीट से उतारा गया। लेकिन वह ये भी सीट हार गए। सपा के अमिताभ बाजपेई ने उन्हें करीब 8 हजार वोटों के अंतर से शिकस्त दे दी थी। अब पार्टी ने उन्हें तीसरी बार मौका दिया है। जाहिर है कि सुरेश अवस्थी इस मौके का गंवाना तो कतई नहीं चाहेंगे।



अंदरूनी कलह बिगाड़ेगी खेल
सीसामऊ की सीट पर जब पार्टी उम्मीदवार उतारने के लिए मंथन कर रही थी, तब 1996 में इसी सीट से जीत दर्ज करने वाले पूर्व विधायक राकेश सोनकर ने योगी आदित्यनाथ से मिलकर अपना दावा पेश किया था। सुरेश सोनकर ने नामांकन पत्र तक खरीद लिया था। लेकिन उन्हें टिरट नहीं मिल पाया। सुरेश सोनकर दलित समुदाय से आते हैं और टिकट बंटवारे के बाद भाजपा के दलितों को जोड़ने वाले कैम्पेन को झटका लगा। जानकार बताते हैं कि सीसामऊ की सीट के लिए भाजपा के पास करीब 80 आवेदन आए थे। इसमें से कुछ बड़े नाम भी थे। ये अंदरूनी कलह भाजपा का खेल बिगाड़ सकती है।

मुस्लिम बहुल सीट पर रणनीति
सीसामऊ की सीट मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती है। यहां 2.7 लाख मतदाताओं में 1 लाख से अधिक मुस्लिम है। यही कारण है कि परिसीमन के बाद इरफान सोलंकी आर्यनगर को छोड़कर सीसामऊ आ गए थे। इस बार समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन है। दोनों ही पार्टियां मुस्लिम समर्थक मानी जाती हैं। इन दोनों को हिंदुओं का वोट भी मिलता है। ऐसे में भाजपा के लिए ये गठबंधन चुनौती खड़ा कर सकता है।

बयानबाजी का नहीं चला जोर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीसामऊ में आयोजित एक जनसभा के दौरान लाल इमली को शुरू करने की बात कही थी। एक समय में लाल इमली के कपड़े और वुलेन आइटम पूरी दुनिया में भेजे जाते थे। लेकिन उपेक्षा का शिकार ये मिल अब केवल नाम भर बनकर रह गया है। योगी आदित्यनाथ के वादे से यहां के कर्मचारियों को कुछ उम्मीद जगी, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं उतरा। कर्मचारियों ने वेतन नहीं, तो वोट नहीं का बैनर लगा दिया है। बताया जा रहा है कि यहां के मजदूरों को बीते 31 महीने से वेतन और 6 साल से बोनस नहीं मिला है। ऐसे में भाजपा की घोषणा अब उसी के गले की फांस बन गई है।

सीट पर 70 हजार ब्राह्मण मतदाता
सीसामऊ की सीट पर समाजवादी पार्टी ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसील सोलंकी को टिकट दिया है। वहीं भाजपा की तरह ही बसपा ने भी ब्राह्मण उम्मीदवार वीरेंद्र शुक्ला को उतारा है। इसकी वजह ये है कि सीसामऊ की सीट पर मुस्लिमों के बाद सबसे अधिक मतदाता ब्राह्मण ही हैं। यहां 70 हजार ब्राह्मण मतदाता, 60 हजार दलित, 26 हजार कायस्थ, 6000 सिंधी और पंजाबी और 6000 क्षत्रिय मतदाता है। सियासी समीकरणों के लिहाज से ये सीट सपा के लिए मजबूत दिखती है, लेकिन अंतिम परिणाम कई बार चौंकाने वाले भी होते हैं।

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