बदलता उत्तर प्रदेश : ड्रोन के लिए बनाए जा रहे 'रक्षा कवच', जानिए कब और कैसे करेंगे काम

ड्रोन के लिए बनाए जा रहे 'रक्षा कवच', जानिए कब और कैसे करेंगे काम
UPT | ड्रोन

Jul 25, 2024 11:19

भारत में ड्रोन प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रयोग के साथ, कानपुर स्थित ऑर्डिनेंस पैराशूट फैक्ट्री (ओपीएफ) ने एक नई और महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है। आने वाले पांच वर्षों में ड्रोन क्रांति के युग...

Jul 25, 2024 11:19

Kanpur News : भारत में ड्रोन प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रयोग के साथ, कानपुर स्थित ऑर्डिनेंस पैराशूट फैक्ट्री (ओपीएफ) ने एक नई और महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है। आने वाले पांच वर्षों में ड्रोन क्रांति के युग को ध्यान में रखते हुए, फैक्ट्री ने ड्रोन के लिए विशेष पैराशूट बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। 

ड्रोन के लिए बनेगा पैराशूट
ओपीएफ के महाप्रबंधक, एमसी बालासुब्रमणियम ने बताया कि भारत में ड्रोन क्रांति का युग शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में ड्रोन हमारी दैनिक जीवन की अनेक जरूरतों को पूरा करेंगे। लेकिन इसके साथ ही तकनीकी खराबी के कारण ड्रोन के गिरने का खतरा भी बढ़ जाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने विभिन्न प्रकार के ड्रोन के लिए पैराशूट बनाना शुरू कर दिया है।

तकनीकी खराबी को ध्यान में रखते हुए लिया फैसला
वर्तमान में फैक्ट्री पांच से 12 किलोग्राम वजन वाले ड्रोन के लिए पैराशूट तैयार कर रही है। ये पैराशूट होम डिलीवरी, लॉजिस्टिक्स और चिकित्सा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए हैं। जैसे-जैसे आसमान में ड्रोन की संख्या बढ़ेगी, वैसे-वैसे तकनीकी खराबी से उनके गिरने का खतरा भी बढ़ेगा। इन जोखिमों को कम करने के लिए ओपीएफ ने छोटे पैराशूट का निर्माण तेज कर दिया है।

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पैराशूट की खासियत
इन पैराशूट की खास बात यह है कि जैसे ही ड्रोन पर गुरुत्वाकर्षण बल लगेगा, पैराशूट स्वचालित रूप से खुल जाएगा। इससे ड्रोन धीमी गति से नीचे उतरेगा और सुरक्षित लैंडिंग हो सकेगी। यह तकनीक न केवल ड्रोन को नुकसान से बचाएगी, बल्कि जमीन पर मौजूद लोगों और संपत्ति की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगी।

छात्र-छात्राओं को दिया जाएगा पैराशूट प्रशिक्षण
ओपीएफ ने इस नए क्षेत्र में के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया है। हर साल 60 छात्र-छात्राओं को पैराशूट विशेषज्ञ के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये छात्र न केवल फैक्ट्री में पैराशूट निर्माण में मदद कर रहे हैं, बल्कि भविष्य में निजी क्षेत्र में भी अपना योगदान दे सकेंगे। छात्रों को वर्तमान में छोटे ड्रोन के लिए पैराशूट बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। लेकिन भविष्य में उन्हें लड़ाकू विमानों के ब्रेक पैराशूट और पायलट ब्रेक पैराशूट बनाने की तकनीक भी सिखाई जाएगी। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कुशल कार्यबल तैयार करेगा साथ ही साथ आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगा।

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