Kanpur News : आज से दुर्गा पूजा की हुई शुरुआत, शहर के विभिन्न पंडालों में धूमधाम से विराजमान हुईं मां दुर्गा की मूर्ति

आज से दुर्गा पूजा की हुई शुरुआत, शहर के विभिन्न पंडालों में धूमधाम से विराजमान हुईं मां दुर्गा की मूर्ति
UPT | पंडालों में विराजमान हुईं मां दुर्गा की मूर्ति।

Oct 09, 2024 23:30

शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि पर आज बुधवार को कानपुर शहर में दुर्गा पूजा पंडालों में जगतजननी माता जगदंबा की प्रतिमाओं की स्थापना हुई।स्थापना के बाद पंडालों में मौजूद आचार्यो द्वारा विधि विधान से माता के पूजन के बाद माता की आरती उतार भक्तों ने सुख-समृद्धि की कामना की।

Oct 09, 2024 23:30

Kanpur News : शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि पर आज बुधवार को कानपुर शहर में दुर्गा पूजा पंडालों में जगतजननी माता जगदंबा की प्रतिमाओं की स्थापना हुई।स्थापना के बाद पंडालों में मौजूद आचार्यो द्वारा विधि विधान से माता के पूजन के बाद माता की आरती उतार भक्तों ने सुख-समृद्धि की कामना की।जिसके बाद माता के दरबार मे लगाया गया भोग चढ़ा हुआ भक्तों को प्रसाद बांटा गया।

शहर में जगह-जगह विराजमान हुईं माता की मूर्ति
बता दें कि आज बुधवार को पष्ठी पर कानपुर के गोविंदनगर,शास्त्री नगर,सिविल लाइन, चकेरी, मालरोड, अशोकनगर, पांडुनगर में विधि विधान से माता पंडालों में विराजीं। चंद्रिकादेवी मंदिर डिप्टी पड़ाव में धार्मिक आयोजनों के बीच माता की मूर्ति पंडाल में विराज हुई। इसी तरह अर्मापुर दुर्गा पंडाल में जगतजननी माता को विराजमान किया गया। हवन-पूजन के साथ माता का श्रृंगार किया गया।वही बर्रा 2 स्थित रामसेवक सेवा समिति द्वारा माता की 10 फिट की मूर्ति पंडाल में विराजमान की गई। जिसके बाद भक्तों ने आरती उतारी और मां को भोग अर्पित किया। वही समिति के अध्यक्ष विजय यादव ने बताया कि इस वर्ष 29 वां दुर्गा पूजा का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।आज माता की मूर्ति विराजमान हुई है।अब अष्टमी नौमी तक माता के भजन और तरह तरह के कार्यक्रम होंगे इसके बाद मूर्ति विर्सजन की जाएगी।

160वीं मनाई जा रही है दुर्गा पूजा
इस दौरान महिलाओं ने पंडाल में बैठकर मां के भजनों से गुणगान किया। शाम को महिला व पुरुषों की मंडली अलग-अलग भजन-कीर्तन किया। मालरोड स्थित एबी विद्यालय परिसर में श्रीश्री बारवाड़ी दुर्गा पूजा कमेटी इस बार अपना 160वां दुर्गा महोत्सव मना रहा है। कमेटी के अविक घोष ने बताया कि माता कंधे पर सवार होकर पंडाल आईं। इसके बाद विद्यालय परिसर में दरबार रूप में तैयार पंडाल में माता को विराजमान किया गया।

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