कानपुर में भारत बंद का असर : क्रीमीलेयर आरक्षण के फैसले के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन, कड़ी सुरक्षा

क्रीमीलेयर आरक्षण के फैसले के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन, कड़ी सुरक्षा
UPT | प्रदर्शन

Aug 21, 2024 20:30

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के खिलाफ आज देशभर में कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया।

Aug 21, 2024 20:30

Kanpur News : सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के खिलाफ आज देशभर में कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया। कानपुर में इस बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला, जहां विभिन्न दलों और संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। 

आरक्षण के फैसले के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन
समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), आजाद समाज पार्टी और अन्य संगठनों ने भारत बंद का समर्थन करते हुए कंपनी बाग चौराहा पर एक बड़ी रैली आयोजित की। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई थी ताकि सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। प्रदर्शनकारियों ने दलित नेता धनीराम पैंथर की अगुवाई में कंपनी बाग चौराहा से 6 किलोमीटर लंबा जुलूस निकाला, जो कमिश्नर आवास, ग्वालटोली, हडर्ड चौराहा और कचहरी तक गया। 

दो घंटे के लिए यातायात प्रभावित
इस दौरान वीआईपी रोड पर दो घंटे के लिए यातायात प्रभावित रहा, जिससे शहरवासियों को जाम का सामना करना पड़ा। पुलिसकर्मियों ने ट्रैफिक को संभालने का जिम्मा उठाया और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पूरी तत्परता से काम किया। प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हुआ और कचहरी स्थित पार्क के पास समाप्त हो गया। 



जाति आधारित डेटा जारी करने की भी मांग
बंद के दौरान अन्य संगठनों ने भी प्रदर्शन किया, जिसमें सपा ने नवीन मार्केट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी और ओबीसी कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा जारी करने और भारतीय न्यायिक सेवा के माध्यम से न्यायिक अधिकारियों और जजों की नियुक्ति की मांग की। नेशनल कनफेडरेशन ऑफ दलित और आदिवासी ऑर्गनाइजेशंस ने सरकारी सेवाओं में जाति आधारित डेटा जारी करने की मांग की, ताकि इन वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। 

इस फैसले के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, राज्य सरकारें अब आरक्षण के भीतर उप-श्रेणियां बना सकती हैं, जिससे कि सबसे जरूरतमंद वर्गों को प्राथमिकता मिल सके। कोर्ट ने 2004 के अपने पुराने फैसले को पलटते हुए यह निर्णय दिया कि राज्यों को आरक्षण के लिए सब-कैटिगरी बनाने का अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सब-कैटिगरी का आधार उचित होना चाहिए और एससी के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दिया जा सकता है।

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