कानपुर में कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी के भरोसे पूरा चुनाव छोड़ दिया है। सबसे ज्यादा हैरानी की बात है कि कांग्रेस प्रत्याशी के साथ संगठन के कार्यकर्ता और नेता साथ में खड़े नहीं दिख रहे हैं। वहीं, सपा ने गठबधंन प्रत्याशी के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।
Kanpur News बीजेपी पन्ना प्रमुखों के जरिए टटोल रही वोटरों की नब्ज, तो कांग्रेस ने प्रत्याशी के भरोसे छोड़ा चुनाव, सपा ने तैनात की बूथों पर टीम
Apr 09, 2024 16:56
Apr 09, 2024 16:56
लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 के चुनाव में यूपी ने एनडीए सरकार के हाथों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। यदि कानपुर—बुंदेलखंड की बात की जाए तो बीजेपी 2019 में कानपुर—बुंदेलखंड की 10 में से 10 सीटों पर कमल खिलाया था। विधानसभा और निकाय चुनाव के फौरन बाद ही बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं। संगठन ने मंडल और बूथ स्तर की कमेटियों की स्क्रिनिंग भी कर ली है। पन्ना प्रमुख एक—एक वोटर तक अपनी पहुंच बनाने में जुटे हैं। बीजेपी ने पन्ना प्रमुखों पर साथ चार—चार सहायक भी लगाए हैं।
जातीय समीकरण चेहरों पर उलझा गठबंधन
कानपुर में बीजेपी की हैट्रिक रोकने के लिए कांग्रेस—सपा गठबंधन मिलकर रणनीति बना रहे हैं। कानपुर—बुेंदेलखंड की 10 में 3 सीटों पर कांग्रेस को मिली हैं। बाकी सात सीटों पर सपा के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे। कन्नौज लोकसभा सीट पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। कन्नौज से सपा मुखिया अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस—सपा गठबंधन जातीय समीकरण के चेहरों पर उलझा हुआ है।
कांग्रेस ने प्रत्याशी के भरोसे छोड़ा चुनाव
कानपुर में सपा की तैयारियां जमीनी स्तर पर देखी जा रही हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में सपा ने बूथवार टीमों को तैनात कर दिया है। कांग्रेस और सपा एक साथ बैठक कर रणनीति बना रहे हैं। ताकि दोनों ही पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं में किसी प्रकार का भ्रम ना रहे। सपा महानगर अध्यक्ष फजल महमूद के मुताबिक फ्रंटल संगठनों के साथ भी बैठकें हो चुकी हैं। सपा ने दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोटरों को जागरूक करने का अभियान चला रही है। वहीं, कांग्रेस ने प्रत्याशी के भरोसे चुनाव छोड़ दिया है।
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