Kanpur News : यूपी के इस शहर में होती है विजयदशमी में रावण की पूजा, साल में सिर्फ एक दिन ही खुलता है मंदिर, जानिए क्या है इसका......

यूपी के इस शहर में होती है विजयदशमी में रावण की पूजा, साल में सिर्फ एक दिन ही खुलता है मंदिर, जानिए क्या है इसका......
UPT | रावण का मंदिर

Oct 12, 2024 01:04

बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा पूरे देश में मनाया जाता है।इस बार 12 अक्टूबर को पूरे देश में दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।दशहरे के दिन जहां लोग पूरे देश मे रावण के पुतले फूंकते है वही कानपुर के शिवाला में बने रावण के मंदिर में लोग रावण की पूजा अर्चना करते है।सबसे बड़ी बात यह भी है कि यह मंदिर सिर्फ साल में एक दिन वो भी विजयदशमी के दिन ही खुलता है।

Oct 12, 2024 01:04

Kanpur News : बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा पूरे देश में मनाया जाता है।इस बार 12 अक्टूबर को पूरे देश में दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। पूरे देश भर में रावण के पुतले फूंके जाएंगे।असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक रावण को उसके कृकत्यों के वजह से दावन कहा जाता है,लेकिन कानपुर शहर के बड़े चौराहे के पास से शिवाला स्थित कैलाश नारायण मंदिर में स्थित एक ऐसा मंदिर है जहां पर रावण की पूजा होती है।यहां विजयदशमी पर इस मंदिर के पट खुलते हैं और बाकायदा लंकेश्वर कहे जाने वाले रावण की पूजा की अर्चना की जाती है।

1868 में हुई थी मंदिर की स्थापना
जानकारी के मुताबिक कानपुर के शिवाला बाजार स्थित इस मंदिर की स्थापना जहां पर रावण की पूजा होती है उसका निर्माण 1868 संवद में हुआ था । मंदिर का निर्माण उन्नाव के रहने वाले गुरु प्रसाद शुक्ल ने कराया था। मंदिर परिसर में भगवान शंकर का एक शिवालय भी है।इस मंदिर में मां 23 स्वरूप में विद्यमान है।इस मंदिर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बाबा शिव के भक्त रावण को मुख्य द्वार पर बैठाया गया था। तब से हर बार साल में सिर्फ एक दिन दशहरे पर इस मंदिर के पट खोले जाते हैं।कुछ ही समय के लिए इस मंदिर के कपाट खोलकर साफ सफाई की जाती है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर की स्थापना के बाद से लगातार यह प्रथा चली आ रही है। दशहरे पर कुछ ही समय के लिए खुलने वाले इस मंदिर को रावण की पूजा अर्चना करने के बाद फिर से बंद कर दिया जाता है। जो पूरे साल ही बंद रहता है ।सिर्फ विजयदशमी पर खुलने वाले इस मंदिर के खुलने का इंतजार रावण को पूजने वाले उसके भक्त साल भर करते रहते हैं।मंदिर खुलने पर यहां बड़े ही धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है।पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ रावण की आरती की जाती है।

मंदिर में मन्नत मांगने से पूरी होती है मुराद
रावण को दूध से स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया जाता है। उसके बाद पूजन कर रावण की स्तुति और आरती की जाती है।इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुराद पूरी होती है।इसलिए लोग यहां दशहरे पर रावण की विशेष पूजा करते हैं। मंदिर में दशहरे के दिन ही रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिला था उसी दिन रावण पैदा भी हुआ था।

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