उत्तर प्रदेश का हर शहर अपने आप में एक अलग पहचान बनाएं हुए हैं, हर शहर अपने में एक अलग खासियत रखता है। यहां के सभी शहरों की कोई न कोई दिलचस्प कहानी जरूर है।
कन्नौज के इस मंदिर में की जाती है राम जी के खड़ाऊ की पूजा कन्नौज के इस मंदिर में की जाती है राम जी के खड़ाऊ की पूजा, जानिए इसका इतिहास
Dec 11, 2023 15:52
Dec 11, 2023 15:52
आर्कोलॉजिकल म्यूज़ियम
यह म्यूज़ियम आज भी अपने अंदर कन्नौज के इतिहास को संजोकर रखा है। यहाँ पर आपको कई तरह की मिट्टी की मूर्तियाँ देखने को मिलेंगी। जिससे आपको इस शहर की कला और संस्कृति के बारे में बहुत अच्छे से पता चल जायेगा। यहाँ आपको कई सदियां पहले का इतिहास देखने को मिलेगा। जिससे पता चलता है कि पहले के समय में बाकि शहरों के मुकाबले कन्नौज कितना विकसित था। इतना ही नहीं फेमस चाइनीज़ ट्रैवलर ह्वेन सांग ने भी अपनी पुस्तक में कन्नौज के बारे में उल्लेख किया है।लाख बहोसी बर्ड सैंक्चुरी
लाख बहोसी बर्ड सैंक्चुरी भारत की सबसे बड़ी बर्ड सैंक्चुरी है, जो कि कन्नौज में स्थित हैं। यहाँ पर आपको देश विदेश के अलग अलग प्रजाति के कई पक्षी देखने को मिल जायेंगे। वहीं बता दे अगर आप यहां सर्दियों में घूमने जाएंगे तो आपको यहाँ कई राजसी प्रवासी पक्षी भी देखने को मिलेंगे।गौरी शंकर मंदिर
यह मंदिर कन्नौज शहर का एक सुंदर मंदिर है, जो कि भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से बनाया गया है। मंदिर को महाशिवरात्रि और सावन के समय सजाया जाता है, जिससे यह मंदिर और भी आकर्षक लगता है।सिद्धनाथ मंदिर
सिद्धनाथ मंदिर कन्नौज शहर का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग विराजमान है और यहां पर आपको नंदी जी की प्रतिमा के भी दर्शन मिलते हैं। यह मंदिर करीब 100 वर्ष पुराना है।राजा जयचंद्र का किला
राजा जयचंद के किले की ख्याति देश नहीं विदेशों तक है। इस नगर के उत्तरी छोर पर किला तो पूरी तरह से जमींदोज हो चुका है, और अब इसके अवशेष भी मिट्टी कटान के साथ खत्म हो रहे हैं। अनदेखी के घुन से ऐतिहासिक धरोहर आखिरी दिन गिन रही है। इतिहासकार बताते हैं कि राजा जयचंद्र का किला अभेद्य था। पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर भी यहां गलियों की भूल-भुलैया में फंस गए थे लेकिन वर्तमान हालात व रखरखाव में बेपरवाही से किला मिट्टी का ढेर बन चुका है।मखदूम जहानिया
मखदूम जहानिया कन्नौज के बजरिया सिखाना मोहल्ले में स्थित एक ईमारत है। यह काफी ऊंचाई पर बनी है। इस स्थल पर मकबरे और मकबरों में मजारे बनी हुई है। यह बेदह ही शान्त जगह है। इस ईमारत को 52 खम्भों के नाम से भी जानते है क्यूंकि इस ईमारत में 52 खम्भे बने हुए है। यह पूरी ईमारत केसरिया और भूरे पत्थरो से बनी हुई है।मेहंदी घाट
कन्नौज शहर से महज 9-10 किलोमीटर पर मेहंदी घाट स्थित है। जहाँ श्रद्धालु माँ गंगा में आस्था की डुबुकी लगाते है। इसके आलावा इस घाट के समीप ही एक बेहद साफ़ सुथरा मन्दिर बना है।माता अन्नपूर्णा मंदिर
कन्नौज जिले से करीब 14 किलोमीटर दूर तिर्वा तहसील में यह मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर माता को अन्न ही समर्पित किया जाता है। मान्यता है कि मंदिर प्रांगण की मिट्टी को अपनी रसोई में व खेतों में रखने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती और खेतों में फसल भरपूर होती है।राम घाट
भगवान श्री राम जब माता सीता के साथ वापस अयोध्या लौट रहे थे तो उन्होनें अपनी खड़ाऊ को यहां उतार दिया था, तब से लेकर आज तक इस मंदिर में भगवान राम की खड़ाऊ की पूजा की जाती हैं। यहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मंदिर परिसर में एक पदम का पेड है, जिसकी अगर कोई छाल निकलती है तो उस छाल के पीछे राम या तो सीता लिखा मिलता हैं। मंदिर में भगवान श्री राम के 10 चरण पादुका है। श्रद्धालुओं की माने तो यह मंदिर सिर्फ रविवार के दिन खुलता है। यहां दूर दराज से श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए अर्जी लगाते है, और पूरी होने पर मंदिर में घंटा चढ़ाते है।Also Read
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