जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने खास कार्य योजना तैयार की है। जल संकट से निपटने के लिए सरकार ने 330-35 का खास प्लान तैयार किया है। इसके जरिए साल के 365 दिन जल संरक्षण पर होगा काम।
जल संकट से निपटने के लिए बड़ा प्लान : 365 दिन होगा काम, मंत्रालय और आईआईटी कानपुर की टीम मिलकर करेगी काम
Aug 22, 2024 18:19
Aug 22, 2024 18:19
- योजना का मुख्य उद्देश्य जल संकट को कम करना है
- आईआईटी की सी गंगा टीम करेगी काम
- केंद्र सरकार ने 330-35 का प्लान किया तैयार
आईआईटी की सी गंगा टीम करेगी काम
बारिश के सीजन में नदियों के उफान और गर्मी में सूखने से जल संकट की स्थिति बनती है। इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 330-35 का प्लान तैयार किया है, जिसका अर्थ है साल के 365 दिन जल संरक्षण पर काम करना। जलशक्ति मंत्रालय और सी-गंगा (आईआईटी कानपुर से संबद्ध संस्था) के विशेषज्ञ पूरे साल जल संरक्षण को लेकर कवायद करेंगे। आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर व सी-गंगा के संस्थापक विनोद तारे ने इस प्लान के बारे में विस्तार से बातचीत की।
प्लान 330-35 पर मंथन
सी-गंगा के संस्थापक प्रो. विनोद तारे ने बताया कि नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा और नेशनल रिवर कंजर्वेशन डायरेक्ट्रेट के अफसरों के साथ प्लान 330-35 पर मंथन किया गया है। इसके तहत 35 दिनों तक शहरों और गांवों में पानी को संरक्षित करना होगा। इसके लिए पहाड़ों से जुड़ने वाले शहरों में छोटे-छोटे तालाबों में पानी एकत्रित किया जाएगा और नए सरोवर व नहरों का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा 330 दिनों तक जल संरक्षण को लेकर देश के सभी राज्यों में कवायद होगी।
पहाड़ी इलाकों में जल संरक्षण की शुरुआत
सरकार की ओर से पहली बार जल संरक्षण की योजना बनाई गई है, जिस पर जल्द ही काम शुरू हो सकता है। आईआईटी की सी गंगा टीम उत्तराखंड, हिमाचल समेत अन्य प्रदेशों के पहाड़ी इलाकों में जाएगी, जहां सबसे पहले जल संरक्षण के इंतजाम किए जाएंगे। इसके बाद यूपी समेत अन्य राज्यों में अन्य इंतजामों पर भी काम होगा। सभी राज्यों के जिम्मेदार अफसरों के साथ इसे लेकर मीटिंग भी होनी है। एक महीने में इस पर काम शुरू हो जाएगा।
प्लान 330-35 के लिए बजट की व्यवस्था
प्रो. विनोद तारे ने बताया कि प्लान 330-35 के लिए बजट की व्यवस्था अटल मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, नमामि गंगे योजना समेत अन्य मिशन व अभियानों में सरकार की ओर से जारी बजट से की जाएगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ों के आसपास नदियों में अधिक से अधिक पौधरोपण करने से बारिश के दौरान पानी सीधे नीचे न आकर वहीं रुक सकेगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि पुराणों में भगवान शंकर द्वारा गंगा को अपनी जटाओं में समाने की कहानी है, इसी तरह 35 दिनों में तेज पानी को रोकने से सफलता मिलेगी और पानी रुकने से जमीन अच्छे से सिंचित हो जाएगी।
इसलिए जरूरी है जल संरक्षण
नीति आयोग की CWMI रिपोर्ट के अनुसार, देश में पेयजल संकट की समस्या विकराल होती जा रही है। साफ पानी न मिलने की वजह से हर साल 2 लाख लोगों की मौत होती है। 75 फीसदी घरों में अब भी पीने का पानी नहीं आता है। साल 2030 तक देश की 40 फीसद आबादी को शुद्ध पानी नहीं मिलेगा। ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ने के कारण आगामी सालों में यह समस्या और भी बढ़ती सकती है। भारत पूरी दुनिया का 25 फीसद ग्राउंड वाटर का प्रयोग कर रहा है। दिल्ली, यूपी के बुंदेलखंड समेत कई इलाके गर्मी के मौसम में हर साल पेयजल संकट का सामना करते हैं। जल संरक्षण की जरूरत आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
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