कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र से आया है जहां निजी कंपनी में काम करने वाली कर्मचारी को साइबर ठगो ने पांच दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके सीबीआई अधिकारी बनकर 8.85 लाख रुपए ऐंठ लिए।जिसके बाद अब पीड़ित की शिकायत पर साइबर क्राइम की पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
कानपुर साइबर क्राइम: सीबीआई अधिकारी बन प्राइवेट कर्मचारी को 5 दिन तक रखा डिजिटल अरेस्ट, फिर 8.85 लाख की ठगी
Dec 20, 2024 08:08
Dec 20, 2024 08:08
Kanpur News: कानपुर में साइबर ठगी की घटना रुकने का नाम नहीं ले रही है।साइबर ठग आएदिन किसी न किसी को ठगने का काम कर रहे है,लेकिन पुलिस इनपर रोक लगाने पर नाकामयाब दिख रही है।ऐसा ही एक मामला कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र से आया है जहां निजी कंपनी में काम करने वाली कर्मचारी को साइबर ठगो ने पांच दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके सीबीआई अधिकारी बनकर 8.85 लाख रुपए ऐंठ लिए।जब कर्मचारी उनके चुंगल से छूटा तो उसने साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई साथ ही थाने पहुंचकर भी तहरीर दी है।जिसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर साइबर ठगो की तलाश शुरू कर दी है।
5 दिन तक कर्मचारी को रखा डिजिटल अरेस्ट
बर्रा पांच के 189 ईडब्ल्यूएस हनुमान मंदिर के पास निवासी निजी कर्मचारी संतोष कुमार गुप्ता ने दर्ज रिपोर्ट में बताया कि कुछ लोगों ने सीबीआई अधिकारी बनकर उनसे पहले यह कहा वित्त मंत्रालय द्वारा बैंक खातों व लेनदेन का सत्यापन किया जा रहा है। फिर उसने कहा कि उनकी आईडी से मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट दिल्ली में ओपन है और अवैध गतिविधियां हो रही हैं। जिससे ह्यूमन ट्रैफिकिंग, मनी लाउंड्रिंग और ड्रग समग्लिंग हो रही है और डरा धमकाकर अपने झांसे में पांच दिनों तक के लिए डिजिटल अरेस्ट करके घर में रखा। पीड़ित का आरोप है की उसने कहा अगर बचना चाहते हो तो जैसा कहता हूं वैसा करते जाओ।इन बातो में मैं आ गया और उसने मुझे 5 दिन तक अलग अलग नंबर से डिजिटल अरेस्ट रखा।
पहले दिन ऐसे किया डिजिटल अरेस्ट
पहले दिन गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की धमकी दी फिर सीबीआई अफसर बताने वाले ने कहा कि अच्छा हुआ बात कर ली नहीं तो 2 घंटे में उठा लिए जाते ।इसके बाद सुबह के होटल में रहने को मजबूर किया। होटल पहुंचने पर व्हाट्सएप नंबर से वीडियो कॉल करते हुए संपर्क किया और उसके बैंक खाते से रुपए की जानकारी ली। रात भर पीड़ित को उसी होटल में रुकना पड़ा।
दूसरे दिन
दूसरे दिन ठगो ने पूछताछ का सिलसिला शुरू किया। तीन लोगों ने तीन बार में उससे आधे आधे घंटे तक पूछताछ की।इसी बीच पीड़ित को पिता के एक्सीडेंट की जानकारी मिली।उसने सीबीआई अफसर बनकर ठगो से घर जाने के लिए मिन्नते की।ठगो ने किसी से भी कुछ ना कहने कॉल करने पर एकांत में जाकर बात करने की शर्त पर उसे जाने दिया।
तीसरे दिन
तीसरे दिन ठगो ने कॉल की निर्देश के अनुसार पीड़ित ने घर के पास स्थित पार्क में जाकर बात की। इस दौरान ठगो ने उसके निवेश की जानकारी ली। साथ ही उसे किसी भी सूरत में किसी व्यक्ति से जांच के बारे में कुछ भी ना बताने के लिए कहा।
चौथे दिन
चौथे दिन ठगो ने उससे बारी बारी से फिर पूछताछ की। उसे भरोसा दिलाया कि जांच में सहयोग करेगा तो बच जाएगा।इसके बाद एफडी तुड़वा कर 2.5 लख रुपए बैंक खाते में ट्रांसफर करा लिए।ठगो ने उसे यह खाता वित्त मंत्रालय का बताया।
पांचवे दिन
पांचवें दिन ठगो ने शेयर में निवेश किए गए 6.5 लाख रुपए खाते में जमा करने के लिए कहा। बचने के लिए पीड़ित ने ठगो के खाते में रुपए जमा कर दिए। कुछ समय बाद दोबारा कॉल कर ठगो ने जांच पूरी होने की बात कही साथ ही बताया कि रुपए दो दिन में खाते में वापस आ जाएंगे।
19 से 23 अक्टूबर तक रखा डिजिटल अरेस्ट
पीड़ित ने बताया कि 19 से 23 अक्टूबर 2024 तक उनके साथ साइबर की घटना होती रही। पीड़ित ने बताया की कुछ लोगों ने स्कॉइप पर कॉल किया था। पीड़ित संतोष ने साइबर सेल को बताया कि जिन दो खातों में शातिरों ने पैसा ट्रांसफर कराया उसमें एक खाता सतानी रमेश के नाम पर था। जो एसबीआई की भक्ति नगर ब्रांच राजकोट से संचालित हो रहा था। वहीं दूसरा खाता रॉयल क्रिएशन के नाम का था। जो यश बैंक कि हीराबाग ब्रांच सूरत से संचालित किया जा रहा है।संतोष ने बताया कि जब पैसा खातों में ट्रांसफर हो गया तो वो उसे वापस करने के लिए और पैसा मांगने लगे। इस पर पीड़ित ने साइबर सेल में तहरीर देकर महेंद्र यादव, दीपक यादव निवासी दिल्ली के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया है।
साइबर थाना प्रभारी ने दी जानकारी
इस संबंध में साइबर थाना इंस्पेक्टर सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि मामले में पीड़ित की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। जिन खातों में पैसा गया उन्हें फ्रीज कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
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