रविवार की मध्यरात्रि से ही शहर के विभिन्न शिवालयों में भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। भोलेनाथ के दर्शन की लालसा में लोग रात भर जागे रहे और मंदिरों के बाहर प्रतीक्षा...
सावन के पहले सोमवार पर उमड़ी भक्तों की भीड़ : शिवालयों में रात से ही लगी कतारें, गूंजे भोलेनाथ के जयकारे
Jul 22, 2024 07:57
Jul 22, 2024 07:57
- शिव भक्ति के उत्साह के साथ सावन के पहले सोमवार की शुरूआत हुई
- आनंदेश्वर मंदिर में रात 12 बजे से ही भक्तों का तांता लग गया
- जागेश्वर मंदिर में भोर 3:30 बजे जलाभिषेक के उपरांत भक्तों के लिए द्वार खोले गए
रात बजे से खोले गए आनंदेश्वर मंदिर के कपाट
आनंदेश्वर मंदिर में रात 12 बजे से ही भक्तों का तांता लग गया। मंदिर प्रबंधन ने रात 10 बजे शयन आरती के बाद मंदिर के द्वार बंद कर दिए, जो फिर रात 2 बजे मंगला आरती के पश्चात खोले गए। इसी तरह, नवाबगंज स्थित जागेश्वर मंदिर में रात 10:30 बजे शयन आरती संपन्न हुई और भोर 3:30 बजे जलाभिषेक के उपरांत भक्तों के लिए द्वार खोले गए।
शहर के शिवालयों में लगा भक्तों का तांता
शहर के अन्य प्रमुख शिवालयों जैसे पीरोड स्थित वनखंडेश्वर मंदिर, नयागंज स्थित नागेश्वर मंदिर, शिवाला स्थित कैलाश मंदिर, मालरोड स्थित खेरेपति, कल्याणपुर स्थित नेपाली मंदिर, धनकुट्टी स्थित औघड़ेश्वर मंदिर और श्यामनगर स्थित मुक्तेश्वर मंदिर में भी रात से ही भक्तों की भीड़ जमा होने लगी थी। सभी मंदिरों में भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया और भक्तों के लिए दर्शन की व्यवस्था की गई।
ऐसे हुआ आनंदेश्वर मंदिर का निर्माण
शहर के कई शिवालयों की अपनी विशिष्ट मान्यताएं और इतिहास हैं। माना जाता है कि आनंदेश्वर मंदिर का नाम एक गाय के नाम पर पड़ा, जो प्रतिदिन अपना दूध एक विशेष स्थान पर गिराती थी। यहां खुदाई करने पर एक शिवलिंग मिला, जिसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ। वहीं जाजमऊ का सिद्धनाथ मंदिर राजा ययाति से जुड़ा है, जहां उन्हें खुदाई में शिवलिंग मिला था। लोककथा के अनुसार, राजा ययाति को यहाँ खुदाई के दौरान एक शिवलिंग प्राप्त हुआ था। इस खोज के बाद उन्होंने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया, जो आज सिद्धनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
अनोखी विशेषता के लिए जाना जाता है जागेश्वर महादेव मंदिर
नवाबगंज का जागेश्वर मंदिर अपनी अनोखी विशेषता के लिए जाना जाता है। यहां स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है - सुबह स्लेटी, दोपहर में भूरा और सूर्यास्त के बाद काला। इस मंदिर का इतिहास लगभग 300 वर्ष पुराना माना जाता है। पीरोड स्थित वनखंडेश्वर मंदिर की विशेषता यह है कि यहां चारों दिशाओं से भगवान शिव के दर्शन किए जा सकते हैं। यह शिवलिंग लगभग 250 वर्ष पुराना है और इसकी स्थापना भी एक गाय द्वारा दूध चढ़ाए जाने की घटना से जुड़ी है। सावन के महीने में यह मंदिर विशेष रूप से भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बन जाता है।
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