मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जंहा एक ओर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लगातार सख्त दिखाई दे रही है। वही सरकारी विभागों में लगातार रोजाना भ्रष्टाचार के नए नए मामले सामने आ रहे है।ऐसा ही एक मामले फिर से कानपुर के उर्सला अस्पताल से सामने आया है...
Kanpur News : उर्सला अस्पताल में आयुष्मान कार्डधारक मरीज से इलाज के नाम पर 15 हजार की मांग, मुख्यमंत्री से शिकायत
Sep 08, 2024 01:44
Sep 08, 2024 01:44
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, कानपुर के उर्सला अस्पताल के अस्थि रोग विभाग में राजू नाम का एक मरीज भर्ती हुआ था। राजू के परिवार का आरोप है कि उनके पास आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद डॉक्टर ने सर्जरी के लिए जरूरी इंप्लांट के नाम पर 15 हजार रुपये की मांग की। जब उन्होंने रुपये देने से इनकार किया, तो पांच दिन तक मरीज को कोई देखने नहीं आया और बिना सर्जरी के ही पैर की टूटी हड्डी पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया।
धनीराम पैंथर की मदद से हुई शिकायत
इस मामले में राजू के परिवार ने धनीराम पैंथर से संपर्क किया और अपनी समस्या बताई। धनीराम ने तुरंत उर्सला अस्पताल के निदेशक डॉ. एचडी अग्रवाल को मामले की जानकारी दी। धनीराम पैंथर का कहना है कि उर्सला अस्पताल में बिना रुपये लिए मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है। डॉक्टर, स्टाफ और नर्सें मनमानी दिखाकर मरीजों और उनके तीमारदारों से रुपयों की मांग कर रहे हैं।
मरीज की पत्नी को सर्जरी के बिना ही प्लास्टर चढ़ा दिया गया
राजू की पत्नी सीता ने अस्पताल प्रशासन को बताया कि उनके पास सर्जरी के लिए रुपये नहीं हैं और उन्होंने आयुष्मान कार्ड दिखाया, लेकिन इसके बावजूद डॉक्टर ने 15 हजार रुपये मांगे। रुपये न देने पर बिना सर्जरी किए राजू के पैर में प्लास्टर चढ़ा दिया गया। इसके बाद पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई।
अस्पताल प्रशासन का पक्ष
इस मामले पर उर्सला अस्पताल के निदेशक डॉ. एचडी अग्रवाल ने बताया कि मरीज ने भर्ती होने के दौरान डॉक्टर को आयुष्मान कार्डधारक होने की जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने कहा कि आयुष्मान कार्डधारक मरीजों के लिए दवा और इलाज की सभी आवश्यक व्यवस्थाएं अस्पताल द्वारा की जाती हैं। जल्द ही राजू की पैर की सर्जरी विशेषज्ञ डॉक्टर से कराई जाएगी।
भ्रष्टाचार पर उठ रहे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। आयुष्मान भारत योजना, जो गरीबों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करती है, उसका लाभ मरीजों को सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है। ऐसे मामलों में अस्पतालों की मनमानी और भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई की मांग बढ़ रही है।अधिकारियों से की गई शिकायत के बाद अब देखना यह होगा कि इस मामले में कब और क्या कार्रवाई की जाती है। मरीज के इलाज में देरी और सर्जरी के बिना प्लास्टर चढ़ाने जैसी घटनाएं मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ की तरह हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठ रहे हैं।
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