वन विभाग की टीम को अब तक 20,000 से ज्यादा पगचिह्न मिले हैं, जो बताते हैं कि बाघ लगातार विभिन्न क्षेत्रों में घूम रहा है। सोमवार को उलरापुर गांव में बाघ के नए पगचिह्न मिले, जिससे उसकी गतिविधियों का दायरा करीब 20 किलोमीटर तक फैल गया है।
बाघ की चालाकी के आगे वन विभाग फेल : अब तक 20 हजार से अधिक पगचिह्न मिले, पिंजरे से खींचकर किया 13वां शिकार
Jan 14, 2025 10:10
Jan 14, 2025 10:10
बाघ को ट्रैंकुलाइज करने में असफल रही टीम
यह घटना सेंटर ऑफ इंडियन हॉर्टिकल्चरल साइंस (सीआईएसएच) के अंदर हुई, जहां बाघ ने टीम की मौजूदगी में अपना 13वां शिकार कर डाला। बाघ पड़वे को पिंजरे से खींचकर जंगल में ले गया। वहीं, तमाम प्रयासों के बावजूद वन विभाग की टीम बाघ को ट्रैंकुलाइज करने में असफल रही।
ग्रामीणों में दहशत
बाघ ने तीन दिनों में बाघ ने दो शिकार कर डाले, जिससे ग्रामीणों में डर और आक्रोश बढ़ता जा रहा है। रविवार को बाघ ने एक छुट्टा मवेशी का शिकार किया था। बाघ के शिकार की घटनाएं और उसके पगचिह्न मिलने से ग्रामीण अब अपने खेतों और घरों के आसपास सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास शुरू किए हैं।
वन विभाग की नई तकनीक और प्रयास
अपर मुख्य वन संरक्षक रेनू सिंह ने बताया कि बाघ को पकड़ने के लिए नई तकनीक अपनाई जा रही है। इस ऑपरेशन में 32 ट्रैप कैमरे, 5 पिंजरे, 7 सीसीटीवी कैमरे, एक थर्मल ड्रोन और एक नॉर्मल ड्रोन शामिल हैं। इसके अलावा, दो प्रशिक्षित हथिनियां, डायना और सुलोचना, बाघ की निगरानी और पकड़ने के लिए जुटी हैं। रहमानखेड़ा को तीन जोनों में बांटकर बाघ की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
40 दिनों से अधिक समय से बाघ का आतंक कायम
रहमानखेड़ा और आसपास के इलाकों में बाघ का आतंक दूसरे महीने भी जारी है। बेहता नाला, तालाब और सीआईएसएच के फर्स्ट और सेकेंड ब्लॉक में बाघ की लगातार गतिविधियां दर्ज की गई हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, बाघ एक जगह लंबे समय तक नहीं रुकता और यह घुमक्कड़ी प्रवृत्ति का है।
20,000 से अधिक पगचिह्न मिले, ग्रामीणों का डर और आक्रोश
वन विभाग की टीम को अब तक 20,000 से ज्यादा पगचिह्न मिले हैं, जो बताते हैं कि बाघ लगातार विभिन्न क्षेत्रों में घूम रहा है। सोमवार को उलरापुर गांव में बाघ के नए पगचिह्न मिले, जिससे उसकी गतिविधियों का दायरा करीब 20 किलोमीटर तक फैल गया है। बाघ के न पकड़े जाने से ग्रामीणों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। लोग घरों के बाहर झुंड बनाकर मशाल जलाकर बैठे हैं और केवल आवश्यक कामों के लिए ही बाहर निकल रहे हैं। बाघ के डर से खेती-बाड़ी का काम ठप हो गया है और लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं।
बाघ की बढ़ती दहशत, वन विभाग के सामने चुनौती
अहम बात है कि 2012 में भी महाकुंभ के समय दिसंबर में रहमानखेड़ा में एक बाघ आया था। उसे पकड़ने में 108 दिन लगे थे। इस बार भी बाघ की सक्रियता महाकुंभ के दौरान देखी जा रही है। वन विभाग के 80 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी बाघ को पकड़ने के अभियान में जुटे हैं। हालांकि, कैमरों में बाघ की तस्वीरें लगातार कैद हो रही हैं। लेकिन, उसे पकड़ने में अब तक सफलता नहीं मिली है। विशेषज्ञ डॉक्टरों और वन्यजीव विशेषज्ञों की मदद से बाघ को ट्रैंकुलाइज करने की योजना पर काम चल रहा है।
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