धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया और उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। एक लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद बीते 13 अगस्त 2024 को हाई कोर्ट ने हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया है।
69000 शिक्षक अभ्यर्थियों ने अब मंत्री आशीष पटेल के आवास का किया घेराव : पुरानी सूची बनाने वाले अफसरों को हटाने की मांग
Sep 03, 2024 14:28
Sep 03, 2024 14:28
- प्रदर्शन के दौरान चार अभ्यर्थियों की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती
- अभ्यर्थियों ने सरकार पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी हीला हवाली का लगाया आरोप
अधिकारियों की कार्यशैली पर उठाए सवाल
अभ्यर्थियों का कहना है कि हाईकोर्ट का जो फैसला आया है, सरकार उसे जल्द से जल्द लागू करे और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय देते हुए उनकी नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों के रवैये और कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। अभ्यर्थियों ने कहा कि इससे पहले दागी अधिकारियों को तत्काल हटाकर नए अधिकारी नियुक्त करें, जिससे भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी रूप से पूरा किया जा सके। हमारी मांग है कि पुरानी सूची बनाने वाले अधिकाररियों को हर हाल में हटाया जाए।
प्रदर्शन कर रहे चार अभ्यर्थियों की तबीयत बिगड़ने पर भेजा गया अस्पताल69000 शिक्षक भर्ती में मंगलवार को अभ्यर्थियों ने कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान एक महिला अभ्यर्थी बेहोश भी हो गई। @CMOfficeUP @ErAshishSPatel @AnupriyaSPatel @UPGovt @thisissanjubjp @BJP4UP @INCUttarPradesh#UPTeachersRecuritment #Lucknow pic.twitter.com/v9JWJdj0iF
— sanjay singh (@sanjay_media) September 3, 2024
धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि मंगलवार को प्रदर्शन को एक महिला अभ्यर्थी की तबीयत खराब हो गई। इसके अलावा एक अन्य साथी राज बहादुर की तबीयत अचानक खराब होने पर उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हम उनके जल्द स्वास्थ्य हो ऐसी कामना करते हैं। अब तक चार लोग आज बीमार होकर अस्पताल जा चुके हैं। इनमें बस्ती की पूजा जायसवाल, गोरखपुर की प्रिया कुमारी, आजमगढ़ के राजबहादुर और जौनपुर के परमेंद्र यादव हैं। इससे पहले सोमवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास के घेराव के दौरान एक अभ्यर्थी मोहम्मद इरशाद को दिल का दौरा पड़ा था। इरशाद को निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है।
आरक्षित वर्ग के साथ अन्याय का आरोप
पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया और उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। एक लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद बीते 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाई कोर्ट के डबल बेंच ने हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया है और नियमों का पालन करते हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया है। लेकिन, सरकार इस प्रकरण में हीला हवाली कर रही है। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थियों की मांग है कि सरकार जल्द से इस प्रकरण का समाधान करे और एक शेड्यूल जारी करके बताए कि हम पीड़ितों की नियुक्ति कब की जा रही है।
सरकार को तीन महीने का मिला वक्त, अभी तक शुरू नहीं हुआ काम
पटेल ने कहा कि, कोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती मूल चयन सूची रद्द करते हुए सरकार को तीन महीने के अंदर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का आदेश दिया है। लेकिन, सरकार ने अभी तक कोई काम शुरू नहीं किया है केवल एक मीटिंग की है। हमारी मांग है कि सरकार हमारी चयन संबंधित प्रकिया का कार्यक्रम शेड्यूल जारी कर दे।
डिप्टी सीएम का आवास घेराव करने के दौरान पुलिस से झड़प
इससे पहले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सोमवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव करने पहुंचे। इस दौरान इन्होंने नारेबाजी की और हाईकोर्ट के फैसले का पालन करने की मांग की। प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई। प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी सड़क पर लेट गए। इस पर पुलिस उन्हें जबरन उठाकर ले जाने लगी। इस दौरान विरोध करने पर एक सिपाही ने लाठी भी चलाई। इस पर अधिकारियों ने नाराजगी जताते हुए उसे तुरंत किनारे किया। इसके बाद पुलिस प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर बस से ले जाने लगी। इस दौरान प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते रहे। कुछ प्रदर्शनकारियों की उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि डिप्टी सीएम ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हम लोग लड़ाई लड़ रहे हैं। हम लोग आपके न्याय की बात कर रहे हैं, जल्द ही आप लोगों को न्याय मिलेगा। अधिकारी कुछ गलत नहीं कर पाएंगे। हमारी नजर सभी पर है, सरकार अभ्यर्थियों के साथ है।
आरक्षित अभ्यर्थी होने के कारण किया जा रहा अन्याय
अभ्यर्थियों ने कहा कि हम लोगों की पीड़ा बहुत बड़ी है। हाई कोर्ट के डबल बेंच का आदेश है, फिर अब तक मामला क्यों क्लियर नहीं किया जा रहा है। ऐसा सिर्फ इसलिए है, क्योंकि हम लोग पिछड़े, दलित अभ्यर्थी हैं। इसका दंश हमें मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अगर हम लोग भी सर्वण वर्ग से होते तो चार दिन के अंदर हमें नियुक्ति पत्र मिल जाता। आखिर किसको निकालना है, किसको अंदर रखना है, ये अभी तक क्यों नहीं क्लियर किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री इस संबंध में हमें बताएं कि क्या मसौदा है। अभ्यर्थियों ने कहा कि हमें जब तक न्याय नहीं मिल जाता, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। सिर्फ बातों से संतुष्ट करने को हम न्याय नहीं मान सकते हैं।
कांग्रेस बोली- भाजपा को पिछड़ों-दलितों से नफरत
यूपी कांंग्रेस ने इस पर कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के आवास पर आज नौकरी मांगने पहुंचे। वहां उनकी खातिरदारी यूपी पुलिस के लाठी-डंडे और बूट से हुई। हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत तो उपमुख्यमंत्री ने भावनात्मक होकर कर दिया था लेकिन कुर्सी पर रहना है तो पार्टी के ही हिसाब से चलना पड़ेगा और उनकी पार्टी के लिए नौकरी देना तो जल्दी मुमकिन है नहीं। भाजपा वालों को पिछड़ों-दलितों से इतनी नफरत है कि ये उनके आगे का निवाला छीन लें फिर ये उन्हें रोटी देने की कैसे सोच सकते हैं? हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराए जाने को लेकर ये अभ्यर्थी कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। ये अभ्यर्थी इको गार्डन से लेकर शिक्षा निदेशालय का घेराव प्रदर्शन कर चुके हैं। इसके अलावा बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर भी अपनी मांगों को लेकर पहुंच चुके हैं।
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