महिला अभ्यर्थी ने कहा कि उसका साढ़े तीन साल का बच्चा है। वह उसे गांव में छोड़कर लखनऊ में प्रदर्शन करने को मजबूर है। इस तरह कई और महिलाएं हैं। हम लोगों को गांव में ताने सुनने को मिलते हैं। हम खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं। इसके बाद भी हमारा संघर्ष जारी है।
69000 शिक्षक भर्ती : आरक्षित अभ्यर्थियों का संजय निषाद के आवास पर प्रदर्शन, सूची तैयार करने वाले अफसरों पर बुलडोजर कार्रवाई की मांग
Sep 06, 2024 14:07
Sep 06, 2024 14:07
आयोग से लेकर हाईकोर्ट और सीएम ने मानी बात, अफसर कर रहे देरी
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश टाइम्स से बातचीत में कहा कि बीते चार साल से हम लोग जो बात कर रहे थे कि हमारे साथ भेदभाव हुआ है, वह सभी ने स्वीकार कर ली है। उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग और हाई कोर्ट से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात को स्वीकार कर चुके है। हाईकोर्ट का फैसला 13 अगस्त को वेबसाइट पर अपलोड हुआ। अगले दिन 16 अगस्त को जजमेंट सबके पास आ गया और 19 अगस्त को मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि सरकार इस उच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप तत्काल कार्रवाई करेगी। अभ्यर्थियों ने कहा कि इसके बाद भी हीला हवाली की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने पर टल सकती है भर्ती69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी मंत्रियों की चौखट-चौखट पर जाकर प्रदर्शन की कड़ी में शुक्रवार को डॉ. संजय निषाद के आवास पहुंचे।@CMOfficeUP @kpmaurya1 @mahamana4u @oprajbhar @thisissanjubjp @AnupriyaSPatel @yadavakhilesh @oprajbhar #69000_शिक्षक_भर्ती pic.twitter.com/FlzlVJt8mE
— sanjay singh (@sanjay_media) September 6, 2024
उन्होंने कहा कि 19 अगस्त से लेकर आज 6 सितंबर का दिन हो गया है। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने नई सूची को लेकर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है। उन्हें पता है मामला सर्वोच्च न्यायालय में जाएगा तो भर्ती लटक जाएगी और उन्हें कुछ नहीं करना पड़ेगा। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि पिछड़े और दलित समुदाय से होने के कारण उनके साथ भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए हम अपने नेताओं के पास आए हैं कि आप हमारे समाज का वोट लेकर लखनऊ में बड़े-बड़े बंगले बैठे हैं और हम सड़कों में धूल फांक रहे हैं।
मुख्यमंत्री से मुलाकात के आश्वासन के बाद भी भरोसा नहीं
अभ्यर्थियों ने कहा कि गुरुवार को कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने हम लोगों को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कराने का आश्वासन दिया है। इसके लिए सात सितंबर की तारीख बताई गई है। लेकिन ये पहली बार नहीं हुआ है। ऐसे कोरे वादे पहले भी कई बार किए जा चुके हैं। इस बार ऐसा नहीं हुआ तो हम लोग सामूहिक रूप से मुख्यमंत्री आवास के बाहर सिर पटककरअपनी जान दे देंगे। लेकिन, खाली हाथ अपने घर वापस नहीं जाएंगे। अभ्यर्थियों ने कहा कि इससे पहले भी हम लोग 640 दिन तक ईको गार्डन में मरते रहे, हम पर लाठीचार्ज किया। हम बहुत व्यथित हैं। ये हमारी पीड़ा है कि हम अपना दर्द किसके आगे कहें। हमारे पास और कोई रास्ता नहीं बचा है। लखनऊ जैसे शहर में पानी भी खरीद कर पीना पड़ता है। ईको गार्डन में टैंकर में दस दिन पानी नहीं बदला जाता है, उसे पीकर हम लोग बीमार पड़ सकते हैं।
प्रदर्शन के दौरान बिगड़ रही अभ्यर्थियों की हालत
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों ने कहा कि लखनऊ में हमारे एक साथी को हार्ट अटैक आ गया। दो साथी गंभीर अवस्था में अस्पताल में एडमिट हैं। आखिर हम लोग कितने दिन संघर्ष करेंगे? आजादी के संघर्ष की भी एक सीमा रही? हम तो बेरोजगार नौजवान हैं, हम किसके दम पर लड़ेंगे? इस पर भी हम पर दल विशेष होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। सरकार कहती है कि वह पिछड़ों के साथ हैं, तो फिर हमें चार साल से संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है?
महिला अभ्यर्थी बच्चों को छोड़कर प्रदर्शन को मजबूर, सुनने को मिल रहे ताने
इस दौरान एक महिला अभ्यर्थी ने कहा कि उसका साढ़े तीन साल का बच्चा है। वह उसे गांव में छोड़कर लखनऊ में प्रदर्शन करने को मजबूर है। इस तरह कई और महिलाएं हैं। हम लोगों को गांव में ताने सुनने को मिलते हैं। हम खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं। इसके बाद भी हमारा संघर्ष जारी है। मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने तो हम लोगों से मिलने तक से इनकार कर दिया। अब अगर मुख्यमंत्री ने भी हमारी नहीं सुनी तो उनके आवास के बाहर आत्मदाह करने को मजबूर होंगे। महिला अभ्यर्थी ने कहा कि आखिर हमारी गलती क्या है? गलती तो उन अफसरों की है, जिन्होंने सूची तैयार की। हमारा हक जनरल कैटेगरी वालों को दे दिया गया। ये अफसर अभी भी विभाग में तैनात हैं। आखिर इनके घर बुलडोजर क्यों नहीं चलता? हम लोगों के साथ अन्याय करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी बुलडोजर कार्रवाई होनी चाहिए। हमे इन लोगों की गलती की सजा भुगतनी पड़ रही है।
अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की रिट पर सुप्रीम कोर्ट में 9 सितंबर को सुनवाई
इस बीच 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों के मामले में 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी सेवा सुरक्षा आदि को लेकर रिट दायर की थी, जिस पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी। अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि इस केस में कई रिट हुई हैं। संभावना है कि सभी पर एक साथ 9 सितंबर को सुनवाई होगी। इसमें एक ही भर्ती में कई बार आरक्षण का मुद्दे को उठाने की तैयारी है।
इन नेताओं के आवास पर हो चुका है प्रदर्शन
अभ्यर्थी अमरेंद्र पटेल ने बताया कि हम लोग इससे पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और राज्य कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के आवास का घेराव कर चुके हैं। इन सभी मंत्री नेताओं ने अभी तक केवल आश्वासन दिया है किसी के आश्वासन से कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। अमरेंद्र पटेल ने कहा कि हम ओबीसी और एससी वर्ग के नेताओं और मंत्रियों के आवास का घेराव इसलिए भी कर रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस मामले का समाधान कराएं। हम सभी अभ्यर्थी पिछले चार साल से सड़कों पर भटक रहे हैं अब कोर्ट का फैसला आया है तो इसका पालन किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद केवल एक मीटिंग
अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया और उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। एक लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद बीते 13 अगस्त को लखनऊ हाई कोर्ट के डबल बेंच ने हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया है और नियमों का पालन करते हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया है। लेकिन, सरकार इस प्रकरण में हीला हवाली कर रही है। हम चाहते हैं की सरकार जल्द से इस प्रकरण का समाधान करें और एक शेड्यूल जारी करके बताएं कि हम पीड़ितों की नियुक्ति कब की जा रही है। अभी तक केवल एक मीटिंग की गई है।
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