69000 शिक्षक भर्ती मामलें में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को उनके वादे की याद दिलाते हुए इसे पूरा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ये प्रदेश के पिछड़े दलितों के बच्चों को नौकरी से दूर किए जाने की साजिश है।
69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने केशव मौर्य का आवास घेरा : पूछा- पिछड़े दलितों के लिए क्या यही है त्वरित कार्रवाई?
Sep 10, 2024 14:31
Sep 10, 2024 14:31
- नाराज अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम को पूर्व में किए वादे की दिलाई याद
- सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया कष्टदायी, कहा- पार्टी की मामले पर नजर
केशव मौर्य को याद दिलाया वादा
69000 शिक्षक भर्ती मामलें में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को उनके वादे की याद दिलाते हुए इसे पूरा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बीते दिनों इस मामले में त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए थे, तो क्या पिछड़े दलितों के लिए त्वरित कार्रवाई यही है? अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि जानबूझकर ये भर्ती लटकाई जा रही है और उन्हें फंसाया गया। उन्होंने कहा कि ये प्रदेश के पिछड़े दलितों के बच्चों को नौकरी से दूर किए जाने की साजिश है।
69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने केशव प्रसाद मौर्य को उनके वादे की याद दिलाते हुए इसे पूरा करने की मांग की है।@CMOfficeUP @kpmaurya1 @BhimArmyChief @Mayawati @yadavakhilesh @oprajbhar @thisissanjubjp @AnupriyaSPatel #69000_शिक्षक_भर्ती_आरक्षण_घोटाला pic.twitter.com/Bbr6tgTgPh
— sanjay singh (@sanjay_media) September 10, 2024
पहले भी केशव मौर्य के आवास के बाहर प्रदर्शन कर चुके हैं अभ्यर्थी
इस प्रकरण में हाईकोर्ट के फैसले के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सरकार से जुड़े पहले शख्स थे, जिन्होंने इसका स्वागत किया था। उन्होंने हाईकोर्ट के निर्णय को सही ठहराया था। विगत 2 सितंबर को प्रदर्शनकारी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने उनके आवास का घेराव करते हुए प्रदर्शन किया था। पुलिस के रोकने पर अभ्यर्थी सड़क पर ही लेट गए और हाईकोर्ट के आदेश पर नई सूची जारी कर नियुक्ति की मांग की। इस दौरान उनकी पुलिस से नोकझोंक और झड़प भी हुई। बाद में कुछ अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम से मुलाकात भी की थी। तब केशव मौर्य ने उनके साथ खड़े होने का भरोसा दिलाया था। साथ ही त्वरित कार्रवाई की बात कही थी। मंगलवार को अभ्यर्थियों ने इसी की याद दिलाते हुए उनके आवास के बाहर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। अभ्यर्थियों ने नारे के दौरान ताली बजाकर उनसे बाहर निकलने की मांग की। इस दौरान मौके पर पुलिस फोर्स तैनात रही।
सरकार पर लगाया उपेक्षा का आरोप
शिक्षक भर्ती के आरक्षित अभ्यर्थियों का आरोप है कि वह लंबे समय से इसमें आरक्षण के नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं। इसके बाद भी सरकार नहीं चेती। बाद में सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले का पालन करने की बात तो कही। लेकिन, कदम नहीं उठाया। अब सुप्रीम कोर्ट में मामला चला गया है। उच्चतम न्यायालय नई सूची जारी करने के आदेश पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ डबल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है। पूरे मामले पर सुनवाई 23 सितंबर को होगी। अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार शुरुआत से ही गंभीर होती तो उन्हें इतना लंबा संघर्ष करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता।
चंद्रशेखर आजाद ने सुप्रीम कोर्ट से की अपील
उधर आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इस मामले पर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती (2018) में आरक्षण में हुए घोटाले पर 16 अगस्त 2024 को इलाहाबाद, उच्च न्यायालय ने अपनी मुहर लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को न्याय से वंचित अभ्यर्थियों को न्याय देने के लिए तीन महीने का समय दिया था। अब उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है। ये मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से कष्टदायी है। सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया कि इन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय सुनिश्चित करें क्योंकि पहले ही इनके पांच वर्ष सरकार और अधिकारियों की हठधर्मिता की भेंट चढ़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए है और छात्रों के अधिकार के लिए किसी भी परिस्थिति में उनके साथ खड़ी है।
मायावती बोलीं- अभ्यर्थियों के साथ नहीं होना चाहिए अन्याय
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। उन्हें अपना संवैधानिक हक जरूर मिलना चाहिए। साथ ही, सरकार इस मामले में अपना ईमानदार रुख अपनाए, ताकि इनके साथ कोई भी नाइंसाफी ना हो।
अखिलेश यादव बोलें- सरकार दोहरा खेल न खेले
इससे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार नौकरी देने वाली सरकार नहीं है। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश की सरकार दोहरा खेल न खेले। इस दोहरी सियासत से दोनों पक्ष के अभ्यर्थियों को ठगने और सामाजिक, आर्थिक व मानसिक रूप से ठेस पहुंचाने का काम भाजपा सरकार न करे।
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