यूपी में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने का एलान किया है। अभ्यर्थी ईको गार्डन में डटे हैं। रविवार को छठे दिन भी उनका प्रदर्शन जारी है।
69000 शिक्षक भर्ती मामला : सामान्य वर्ग के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बीच आरक्षित अभ्यर्थी घेरेंगे सीएम आवास !
Aug 25, 2024 17:13
Aug 25, 2024 17:13
आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों का प्रदर्शन जारी
आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को शिक्षा निदेशालय से हटाकर ईको गार्डन भेज दिया गया था। यहां अभ्यर्थी तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे हैंं। अभ्यर्थी आशीष कुमार ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की हीलाहवाली से हाईकोर्ट के निर्णय पर अभी तक अमल नहीं किया गया है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने से भर्ती फंस सकती है। साथ ही आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को न्याय मिलने में इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि कोर्ट ने तीन महीने में नई सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। लेकिन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी जल्द सूची जारी करने पर अड़े हैं।
सीएम योगी से लगाई गुहार
अभ्यर्थियों ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 13 अगस्त को नई सूची बनाने का आदेश दिया था। अधिकारियों ने जानबूझकर हाईकोर्ट के निर्णय के दस दिन बाद भी सूची जारी नहीं की है। बस इस बात का इंतजार किया कि मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच जाए। अब सिर्फ मुख्यमंत्री से ही आखिरी उम्मीद है। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि नई मेरिट सूची जल्द जारी की जाए। ऐसा नहीं होने पर सीएम आवास का घेराव करने को मजबूर होंगे।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
दरअसल, यह विवाद 2018 में शुरू हुआ, जब योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दो चरणों में शिक्षक भर्ती की घोषणा की। पहले चरण में 68,500 पदों के लिए और दूसरे चरण में 69,000 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई। दूसरे चरण की परीक्षा 6 जनवरी 2019 को आयोजित की गई, जिसमें अनारक्षित वर्ग के लिए 67.11 प्रतिशत और ओबीसी वर्ग के लिए 66.73 प्रतिशत कट-ऑफ निर्धारित की गई। इसके बाद लगभग 68 हजार लोगों की भर्ती की गई।
अभ्यार्थियों ने लगाया आरोप
इन सब के बाद विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि इस भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया। इन अभ्यार्थियों का कहना था कि बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के अनुसार, यदि कोई ओबीसी उम्मीदवार सामान्य श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त करता है, तो उसे ओबीसी कोटे के बजाय सामान्य श्रेणी में नियुक्त किया जाना चाहिए। जिसका मतलब है कि उसे आरक्षण के दायरे में नहीं शामिल किया जाना चाहिए।
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