किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अक्सर मरीजों को बेड न मिलने की समस्या सामने आती रहती है। इस वजह से तीमारदारों और चिकित्सकों के बीच नोकझोंक के मामले सामने आते हैं।
Lucknow News : केजीएमयू में बेड की कमी से नहीं थमेंगी सांसें, नए ट्रामा सेंटर के निर्माण को 296 करोड़ मंजूर
Jan 18, 2025 18:14
Jan 18, 2025 18:14
296 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत
केजीएमयू के नए ट्रॉमा सेंटर के निर्माण को लेकर शासन को भेजे गए प्रस्ताव पर वित्त व्यय समिति ने अपनी मंजूरी दे दी है। जल्द ही प्रस्ताव को अंतिम फैसले के लिए कैबिनेट में रखा जा सकता है। दरअसल, केजीएमयू प्रशासन ने शासन को 304 करोड़ रुपये का प्लान भेजा था। शासन ने इसे संशोधित कर 296 करोड़ रुपये कर दिया है। इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि बहुत जल्द नए ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कार्य शुरू होगा।
जर्जर भवनों को तोड़कर बनेगा नया ट्रॉमा सेंटर
केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में 491 बेड हैं। मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण अक्सर बेड खाली नहीं होते। कई बार मरीजों को स्ट्रेचर पर ही जान गवानी पड़ती है। ऐसे में मरीजों की इस समस्या को दूर करने के लिए केजीएयू प्रशासन ने दूसरे ट्रॉमा सेंटर का प्रस्ताव शासन को भेजा था। 500 बेड वाले नए ट्रॉमा सेंटर के निर्माण से मरीजों को इलाज में कोई दिक्कत नहीं होगी। इस ट्रॉमा सेंटर में मेडिसिन, सर्जरी, वेंटिलेटर यूनिट सहित दूसरे विभागों की इमरजेंसी सेवाएं संचालित होंगी। पुराने और जर्जर नर्सिंग तथा अन्य भवनों को तोड़कर ट्रॉमा सेंटर-2 का निर्माण किया जाएगा।
ट्रॉमा सेंटर में रोजाना 350 गंभीर मरीजों का इलाज
केजीएमयू के प्रवक्ता सुधीर सिंह ने शनिवार को 'उत्तर प्रदेश टाइम्स' को बताया कि ट्रामा सेंटर में यूपी और उसके आसपास के राज्यों समेत दूरस्थ देशों से मरीज आते हैं। वर्तमान में ट्रॉमा सेंटर पर बहुत लोड है। इसलिए इसकी क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार ने नया ट्रॉमा सेंटर बनाने का फैसला किया है। इसकी पहल शुरू हो चुकी है। मौजूदा ट्रॉमा सेंटर में बगल में नई इमारत बनेगी। इसमें 500 बेड का ट्रॉमा सेंटर-2 संचालित होगा। अभी ट्रॉमा सेंटर में 491 बेड हैं, जो फुल चल रहे हैं। इसमें 13 डिर्पाटमेंट मरीजों के इलाज में मुस्तैद हैं। उन्होंने बताया कि ट्रॉमा सेंटर में रोजाना करीब 350 गंभीर मरीज आते हैं। वहीं रोज 100 से 150 से मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज किया जाता है। सरकार की मंशा है कि गंभीर मरीजों को बिना इलाज के लौटाया न जाए। इसी के चलते ट्रॉमा सेंटर की क्षमता बढ़ाई जाएगी।
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