शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस पर सियासत: अखिलेश यादव बोले- पहले सभी विभागों के प्रशासनिक मुख्यालयों में हो लागू

अखिलेश यादव बोले- पहले सभी विभागों के प्रशासनिक मुख्यालयों में हो लागू
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Jul 09, 2024 15:44

अखिलेश यादव ने कहा कि यदि किसी आकस्मिक कारणवश शिक्षकों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य या फिर घर, परिवार और समाजिक कारणों से दिन के बीच में स्कूल छोड़ना पड़े तो पूरे दिन के अनुपस्थित होने की रिपोर्ट भेज दी जाएगी।

Jul 09, 2024 15:44

Short Highlights
  • सपा अध्यक्ष बोले- कोई शिक्षक देर से नहीं पहुंचना चाहता है स्कूल 
  • रामगोपाल यादव का आरोप, शादी के लिए भी टीचर को लेनी पड़ती है मेडिकल लीव 
  • सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा बोले-  क​मीशनखोरी के लिए लागू की गई नई वयवस्था
Lucknow News: प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों की डिजिटल अटेंडेंस के विरोध में सियासत तेज हो गई है। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने इस मामले में शिक्षक का साथ देने की बात कही है। पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डिजिटल अटेंडेंस को अव्यवहारिक बताते हुए कई सवाल खड़े किए हैं। वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद प्रो. रामगोपाल यादव ने भी इस आदेश को वापस लेने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ से अपील की है। इसके अलवा नगीना से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर ने भी इसी मांग को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

शिक्षकों पर विश्वास करने से ही जन्म लेती है अच्छी पीढ़ी 
अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि शिक्षकों पर विश्वास करने से ही अच्छी पीढ़ी जन्म लेती है। कोई शिक्षक देर से स्कूल नहीं पहुंचना चाहता है। लेकिन, कहीं सार्वजनिक परिवहन देर से चलना इसका कारण बनता है, कहीं रेल का बंद फाटक और कहीं घर से स्कूल के बीच की पचासों किलोमीटर की दूरी। उन्होंने कहा कि क्योंकि शिक्षकों के पास स्कूल के पास रहने के लिए न तो सरकारी आवास होते हैं और न दूरस्थ इलाकों में किराये पर घर उपलब्ध होते हैं। इससे अनावश्यक तनाव जन्म लेता है और मानसिक रूप से उलझा अध्यापक कभी जल्दबाजी में दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकता है, जिसके अनेक उदाहरण मिलते हैं। 

शिक्षक के देर से पहुंचने के कई कारण
अखिलेश यादव ने कहा कि यदि किसी आकस्मिक कारणवश शिक्षकों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य या फिर घर, परिवार और समाजिक कारणों से दिन के बीच में स्कूल छोड़ना पड़े तो पूरे दिन के अनुपस्थित होने की रिपोर्ट भेज दी जाएगी। उन्होंने कहा कि देर से स्कूल पहुंचने या जल्दी स्कूल से वापस जाने के अनेक कारण हो सकते हैं। यहां तक कि विद्युत आपूर्ति के बाधित होने या तकनीकी रूप से भी कभी इंटरनेट जैसी सेवाओं के सुचारू संचालन में समस्या आती है। इसीलिए डिजिटल अटेंडेंस का विकल्प बिना व्यावहारिक समस्याओं के पुख्ता समाधान के संभव नहीं है। सबसे पहले ये अन्य सभी विभागों के प्रशासनिक मुख्यालयों में लागू किया जाए, जिससे उच्चस्थ अधिकारियों को इसके व्यावहारिक पक्ष और परेशानियों का अनुभव हो सके, फिर समस्या-समाधान के बाद ही इसे लागू करने के बारे में कालांतर में सोचा जाए।

शिक्षकों को भावनात्मक ठेस पहुंचने की कही बात
सपा अध्यक्ष ने कहा कि सबसे बड़ी बात ये है कि इससे शिक्षकों को भावनात्मक ठेस पहुंचती है, जिससे उनके शिक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बोधपरक शिक्षण के लिए शिक्षकों का भावात्मक रूप से जुड़ना आवश्यक होता है। स्कूल में केवल निश्चित घंटे बिताना ही शिक्षण नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर शिक्षकों के साथ हैं।

सांसद रामगोपाल यादव बोले- शिक्षकों की समस्याओं का समाधान जरूरी
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद प्रो. रामगोपाल यादव ने भी इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आदेश वापस लेने की मांग की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अध्यापकों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज कराने को आमादा है। जबकि सरकार अध्यापकों की वर्ष में 30 ईएल और हॉफ सीएल देने की मांग मान नहीं रही है। अध्यापकों की स्थिति इतनी दयनीय है कि अपनी शादी के लिए भी टीचर को मेडिकल लीव लेनी पड़ती है। अध्यापकों की कमी के कारण किसी किसी विद्यालय में एक ही टीचर को दर्जा एक से लेकर पांचवीं तक सारे दिन पढ़ाना पड़ता है। मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि ऑनलाइन अटेंडेंस के आदेश को वापस लेकर पहले टीचर्स की समस्याओं का निराकरण करने का कष्ट करें।

एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने सीएम को लिखा पत्र
इसके साथ ही सपा विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा ने भी इस प्रकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि शिक्षकों की डिजिटल-ऑनलाइन उपस्थिति अनुपयोगी है और केवल उच्च अधिकारियों की ओर से कमीशनखोरी के लिए यह व्यवस्था लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि जितने रुपए में इसके साफ्टवेयर खरीदे गए हैं, उतने में विद्यालय में फर्नीचर, लैब, कंप्यूटर, लैपटॉप की अच्छी व्यवस्था की जा सकती है। लेकिन, सरेआम घूसखोरी की वजह यह संभव नहीं हो पा रहा है। 

मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर ध्यान जरूरी 
एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा कि सरकार जितनी सुविधाएं और जितने पैसे सरकारी स्कूलों में शिक्षकों पर निगरानी रखने के लिए इस प्रकार के अनुपयोगी साफ्टवेयर खरीदने में खर्च करती है, उससे कम में विद्यालय प्रागंण में मूलभूत आवश्यक व्यवस्थायें जैसें शुद्ध पेय जल, बालक एवं बालिकाओं के लिए प्रथक प्रथक शौचालय, डिजिटल क्लास, कम्प्यूटर शिक्षा आदि-आदि की समुचित व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय शिक्षकों-विद्यार्थियों के लिए गैर जरुरी-डिजिटल-ऑनलाइन उपस्थिति, प्रत्येक सुबह की बच्चों के साथ सेल्फी आदि में व्यय को बढ़ावा दिया जा रहा है जो कि शिक्षकों के शिक्षण कार्य में बांधा स्वरुप कार्य करता है। 

कुव्यवस्थाओं की वजह से सरकारी स्कूल, प्राइवेट स्कूलों से लगातार पीछे
उन्होंने कहा कि ऐसी कुव्यवस्थाओं की वजह से सरकारी स्कूल, प्राइवेट स्कूलों से लगातार पीछे होते जा रहे हैं। शिक्षकों की एक और बड़ी समस्या उनसे गैर शैक्षणिक कार्य लेना है, जिसको तत्काल बंद किया जाना चाहिए। बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक पढ़ाने के अलावा और सारे काम करते हैं। बीडीसी से लेकर प्रधानमंत्री तक के चुनाव में यहीं पीसे जाते हैं। यहीं नहीं प्रदेश कि शिक्षकों को बाकी विभागीय कर्मचारियों के भांति हॉफ सीएल और वार्षिक 31 ईएल व अन्य अवकाश मिलने के साथ ही कैशलेश चिकित्सा-चिकित्सा प्रतिपूर्ति के साथ-साथ पुरानी पेंशन (ओपीएस) की सुविधा भी होनी चाहिए, जिससे उनका मनोबल बड़ेगा एवं प्रदेश का शिक्षा व्यवस्था का स्तर भी बढ़ेगा। विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा ने मुख्यमंत्री से ऑनलाइन उपस्थिति कि उपयोगता की जांच कराते हुए इस कुव्यवस्था को तत्काल प्रभाव से बन्द कराने की अपील की है। 

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