बांग्लादेश मामले में पहली बार बोले अखिलेश यादव : कहा- आंतरिक सुरक्षा का अतिसंवेदनशील विषय, विदेश नीति की नाकामी

कहा- आंतरिक सुरक्षा का अतिसंवेदनशील विषय,  विदेश नीति की नाकामी
UPT | akhilesh yadav

Aug 13, 2024 00:49

अखिलेश यादव ने कहा कि जो सरकार ऐसे में मूक-दर्शक बनी रहेगी, वो ये मानकर चले कि ये उसकी विदेश नीति की नाकामी है कि उसके सभी दिशाओं के निकटस्थ देशों में परिस्थितियां न तो सामान्य हैं और न उसके अनुकूल।

Aug 13, 2024 00:49

Lucknow News : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बांग्लादेश के ताजा हालात और हिंदुओं को निशाना बनाए जाने को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि बहुसंंख्यक और अल्पसंख्यक कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिएं भारत सरकार को इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय
अखिलेश यादव ने सोमवार को सोशल साइट एक्स पर कहा कि कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नजरिये वाला बहुसंख्यक हो या हिंदू, सिख, बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता मानने वाला अल्पसंख्यक, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा​ कि भारत सरकार को इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख्ती से उठाना चाहिए। ये हमारी प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय है।

संकीर्ण सोच के आधार पर नहीं किया जाए भेदभाव 
सपा अध्यक्ष ने इससे पहले कहा कि विश्व इतिहास गवाह है कि विभिन्न देशों में सत्ता के खिलाफ, उस समय की कसौटी पर, सही-गलत कारणों से हिंसक जन क्रांतियां, सैन्य तख्तापलट, सत्ता-विरोधी आंदोलन विभिन्न कारणों से होते रहे हैं। ऐसे में उस देश का ही पुनरुत्थान हुआ है, जिसके समाज ने अपने सत्ता-शून्यता के उस उथल-पुथल भरे समय में भी अपने देशवासियों की जान-माल व मान की रक्षा करने में जन्म, धर्म, विचारधारा, संख्या की बहुलता-अल्पता या किसी अन्य राजनीतिक विद्वेष या नकारात्मक, संकीर्ण सोच के आधार पर भेदभाव न करके सकारात्मक-बड़ी सोच के साथ सबको एक-समान समझा और संरक्षित किया है।

देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य 
उन्होंने कहा कि देश और देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य होता है। सकारात्मक मानवीय सोच के आधार पर, एक व्यक्ति के रूप में हर निवासी-पड़ोसी की रक्षा करना भी हर सभ्य समाज का मानवीय-दायित्व होता है, फिर वह चाहे किसी काल-स्थान-परिस्थिति में कहीं पर भी हो। विशेष रूप से रेखांकित करने की एक बात इतिहास ये भी सिखाता है कि किसी और देश के राजनीतिक हालातों का इस्तेमाल जो सत्ता अपने देश में अंदर, अपनी सियासी मंसूबों को पूरा करने के लिए करती है, वो देश को आंतरिक और बाह्य दोनों स्तर पर कमजोर करती है। 

विश्व बिरादरी के साथ मिलकर सकारात्मक मुखर पहल जरूरी
सपा अध्यक्ष ने कहा कि कई बार किसी देश के आंतरिक मामलों से प्रभावित होने वाले, किसी अन्य देश द्वारा एकल स्तर पर हस्तक्षेप करना वैश्विक राजनयिक मानकों पर उचित नहीं माना जाता है, परंतु ऐसे में उस प्रभावित देश और उसके अपने सांस्कृतिक रूप से संबंधित व्यक्तियों की चतुर्दिक रक्षा के लिए, उस देश को अपनी मूक विदेश नीति को सक्रिय करते हुए, विश्व बिरादरी के साथ मिलकर साहसपूर्ण सकारात्मक मुखर पहल करनी चाहिए, जिससे सार्थक समाधान निकल सके। 

सरकार का मूक दर्शक बने रहना विदेश नीति की नाकामी
उन्होंने कहा कि जो सरकार ऐसे में मूक-दर्शक बनी रहेगी, वो ये मानकर चले कि ये उसकी विदेश नीति की नाकामी है कि उसके सभी दिशाओं के निकटस्थ देशों में परिस्थितियां न तो सामान्य हैं और न उसके अनुकूल। इसका मतलब है कि 'भू-राजनीतिक' नजरिये से उसकी विदेश नीति में कहीं कोई भारी चूक हुई है। सांस्कृतिक-निकटस्थता के सूत्र से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र को बांधकर आपसी समझबूझ और भाईचारे से ही विश्व के विभिन्न अशांत भू-खंडों में अमन-चैन लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच से जन्मा सौहार्द एवं शांति ही मानवीय समृद्धि का मार्ग है। 

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