केशव मौर्य के खाली हाथ लौटने और जिस मंशा के तहत वह दिल्ली गए थे, उसके पूरा नहीं होने को लेकर ही अखिलेश यादव ने उन पर तंज कस रहे हैं। दरअसल कहा जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष नड्डा से मुलाकात के दौरान केशव को बयानबाजी में सावधानी बरतने की नसीहत दी गई है।
लौट के बुद्धू घर को आए : अखिलेश यादव ने किया तंज, समझें दिल्ली से लौटने के बाद केशव मौर्य को कितना नफा-नुकसान
Jul 18, 2024 23:43
Jul 18, 2024 23:43
- अखिलेश यादव और केशव मौर्य के बीच सोशल मीडिया पर तेज हुई जंग
- यूपी के सियासी घटनाक्रम के बीच सीएम योगी हुए और पावरफुल
- मुख्यमंत्री बिना हस्तक्षेप खुलकर चलाएंगे सरकार, सुधार के लिए बदली कार्यशैली
- उपचुनाव की कमान अपने हाथों ली, जीत के साथ बड़ी लकीर खींचने की तैयारी
दिल्ली से लखनऊ लौटे हैं डिप्टी सीएम केशव मौर्य
अखिलेश यादव की इस पोस्ट को केशव प्रसाद मौर्य की दिल्ली से लखनऊ वापसी से जोड़कर देखा जा रहा है। केशव मौर्य बुधवार देर रात दिल्ली से लखनऊ पहुंचे हैं। वहां उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा से मुलाकात की। उनकी ये मुलाकात काफी चर्चा में रही।
भूपेंद्र चौधरी ने मोदी-शाह से की मुलाकात
केशव मौर्य के दिल्ली रहने के दौरान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। कहा जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने लोकसभा चुनाव में यूपी में पार्टी के खराब प्रदर्शन और आगे की तैयारियों को लेकर रिपोर्ट दी। मुलाकात के दौरान यूपी के सियासी घटनाक्रम पर भी चर्चा हुई। पूरे दिन इस बात की भी चर्चा चलती रही कि केशव मौर्य की प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद देर रात केशव लखनऊ वापस लौट आए।
खाली हाथ लौटे केशव मौर्य
केशव मौर्य के खाली हाथ लौटने और जिस मंशा के तहत वह दिल्ली गए थे, उसके पूरा नहीं होने को लेकर ही अखिलेश यादव ने उन पर तंज कस रहे हैं। दरअसल कहा जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष नड्डा से मुलाकात के दौरान केशव को बयानबाजी में सावधानी बरतने की नसीहत दी गई है। कहा गया है कि इससे सही संदेश नहीं जाता।
डिप्टी सीएम के दूसरे कार्यकाल में केशव के पास महत्वपूर्ण विभाग नहीं
केशव मौर्य विधानसभा चुनाव में अपनी सीट सिराथू में पल्लवी पटेल से हार गए थे। चुनाव के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ वहां प्रचार करने भी नहीं गए थे। तभी से दोनों के बीच तल्ख रिश्तों को और हवा मिली थी। बाद में हार के बावजूद जातीय समीकरण को देखते हुए केशव मौर्य को दोबारा डिप्टी सीएम तो बनाया गया है। लेकिन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में उन्हें पहले जितना महत्वपूण लोक निर्माण विभाग नहीं दिया गया। उन्हें ग्राम्य विकास का जिम्मा सौंपा गया। जबकि डिप्टी सीएम को स्वास्थ्य जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया। इसके बाद से ही केशव के असंतुष्ट होने की खबरें समय समय पर चर्चा में रहीं।
संगठन नहीं सरकार में ही जिम्मेदारी संभालेंगे केशव मौर्य
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में उनके भाषण के बाद ऐसी चर्चाओं ने और जोर पकड़ लिया। हालांकि दिल्ली दरबार से लौटने के बाद अब साफ हो गया है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही सरकार चलेगी और 2027 में वही पार्टी का चेहरा होंगे। केशव मौर्य को संगठन में पद नहीं दिए जाने का भी निर्णय किया गया है। ये बात इसलिए अहम है, क्योंकि बार बार वह संगठन को सरकार से बड़ा बता रहे थे। माना जा रहा था कि उन्होंने पार्टी से संगठन में जिम्मेदारी सौंपने की गुजारिश की। हालांकि बात नहीं बन सकी। फिलहाल केशव मौर्य डिप्टी सीएम बने रहेंगे।
भूपेंद्र चौधरी बने रहेंगे प्रदेश अध्यक्ष
भूपेंद्र चौधरी भी प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा अपना कार्यकाल पूरा होने तक संभालते रहेंगे। लोकसभा चुनाव में हार को लेकर उनकी जिम्मेदारी पर सवाल उठ रहे थे। हालांकि टिकट वितरण में केंद्रीय नेतृत्व की ही भूमिका रही, ऐसे में भूपेंद्र चौधरी को किनारे करने का मतलब नहीं है।
सीएम योगी आदित्यनाथ हुए और मजबूत, कार्यशैली में बदलाव
इस पूरे घटनाक्रम के बीच ये बात निकलकर सामने आई है कि केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर अपना विश्वास बनाए रखा है। अपनी भ्रष्टामुक्त छवि का उन्हें लाभ मिला है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी सीएम योगी को हटाने के पक्ष में नहीं है। वहीं लोकसभा चुनाव और अन्य अनुभवों से सबक लेते हुए सीएम योगी ने अपनी कार्यशैली में बदलाव जरूर किया है और आगे भी करेंगे। शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस और लखनऊ में कुकरैल रिवरफ्रंट को लेकर बुलडोजर एक्शन रोकने के मामले में सीधे आगे आकर वह इसका संकेत दे चुके हैं।
अफसरों की होगी निगरानी
डीजीपी प्रशांत कुमार के पुलिस की जनसुनवाई की खामियां दूर करने और विधायक, सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों की बातों को गंभीरता से लेने को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। सीएम योगी के निशाने पर अब ऐसे अफसर होंगे, जिनके कारण गलत संदेश जा रहा है। कहा जा रहा है कि प्रशासन और पुलिस के ऐसे अफसरों की विशेष निगरानी की जाएगी, जिससे इनके गलत आचरण से पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर आम जनता को नुकसान नहीं उठाना पड़े।
उपचुनाव की कमान सीएम ने अपने हाथों में ली
इसी तरह उपचुनाव को लेकर भी उन्होंने कमान अपने हाथों में ले ली है। इससे पहले दुर्गा शंकर मिश्रा को चौथा सेवा विस्तार नहीं मिलने और मनोज कुमार सिंह को नया मुख्य सचिव बनाए जाने से भी साफ हो गया था कि सीएम योगी को अब फ्री हैंड काम करने दिया जाएगा।
केशव मौर्य को लेकर इसलिए तेज हुई चर्चा
इससे पहले केशव मौर्य बुधवार को पूरे दिन चर्चा में रहे। दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा की 10 रिक्त सीटों को लेकर मंत्रियों के साथ बैठक की। सीएम योगी जिस समय बैठक कर रहे थे, उस दौरान केशव मौर्य के कार्यालय की ओर से भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में उनकी कही गई बातें दोहराते हुए लिखा गया, "संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है। संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है।
केशव मौर्य के बैठक से नदारद होने पर उठे सवाल
केशव प्रसाद मौर्य की बीते दिनों कैबिनेट बैठक में गैरमौजूदगी के बाद उपचुनाव की बैठक में नहीं शामिल होने और दिल्ली पहुंचने केे बीच ये पोस्ट काफी चर्चा में आ गई। इसे सरकार में उनकी नाराजगी से जोड़ा जाने लगा। केशव मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ के रिश्तों को लेकर पहले भी कई बार चर्चाएं होती रही हैं। ताजा सियासी घटनाक्रम ने इन्हें और जोर दे दिया। इसके बाद पूरे दिन अखिलेश यादव और केशव मौर्य के बीच एक दूसरे पर तंज कसने का सिलसिला शुरू हुआ।
केशव मौर्य ने अखिलेश यादव पर किया पलटवार
अखिलेश यादव ने भाजपा पर कुर्सी को लेकर खींचतान का आरोप लगाते हुए निशाना साधा। कुछ देर बाद केशव मौर्य की ओर से अखिलेश यादव पर जवाबी हमला बोलते हुए सोशल साइट एक्स पर लिखा कि भाजपा की देश और प्रदेश दोनों जगह मजबूत संगठन और सरकार है और सपा का पीडीए धोखा है। केशव मौर्य ने कहा कि यूपी में सपा के गुंडाराज की वापसी असंभव है, भाजपा 2027 विधानसभा चुनाव में 2017 दोहरायेगी।
अखिलेश ने जवाबी हमले में लगाए कई आरोप
अखिलेश यादव ने देर शम एक बार फिर भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने सोशल साइट एक्स पर लिखा कि दिन-पर-दिन कमजोर होती भाजपा में टकराव और भटकाव का दौर शुरू हो गया है। भाजपा खेमों में बंट गयी है। अखिलेश यादव ने तंज किया कि भाजपा के एक नेता महोदय अपने ही शीर्ष नेतृत्व के दिए नारे को नकार रहे हैं। कोई मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि बैकफुट पर जाने की जरूरत नहीं है, जो उछल-कूद कर रहे हैं वो बैठा दिये जाएंगे। कोई कह रहा है संगठन सरकार से बढ़ा है। तो कोई सहयोगी दल हार का कारण दिल्ली-लखनऊ के नेतृत्व के ऊपर डाल रहा है। कोई वीडियो बनाकर बयान दे रहा है, कोई चिट्ठी लिख रहा है। भाजपा में एक-दूसरे को कमतर दिखाने के लिए कठपुतली का खेल खेला जा रहा है। सबकी डोरी अलग-अलग हाथों में है। भाजपा में पर्दे के पीछे की लड़ाई सरेआम हो गयी है। इंजन ही नहीं अब तो डिब्बे भी आपस में टकरा रहे हैं।
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