10 मई शुक्रवार को अक्षय तृतीया है। सनातन धर्म में अक्षय तृतीया के त्योहार का विशेष महत्व होता है। यह पर्व हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन कोई भी धार्मिक कार्य कर सकते हैं । लखनऊ के श्री पितामह ज्योतिष केंद्र के आचार्य शुभम त्रिवेदी से जानें महापर्व अक्षय तृतीया में इस वर्ष क्या रहेगा खास।
Akshaya Tritiya 2024 : इस साल अक्षय तृतीया पर कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा, जानिए क्या है वजह?
May 10, 2024 11:58
May 10, 2024 11:58
ये शुभ काज नहीं हो सकेंगे
आचार्य शुभम त्रिवेदी ने बताया कि अक्षय तृतीया एक अबूझ पर्व है। इस पर्व पर सभी शुभ कार्य किए जाते थे पर इस वर्ष अक्षय तृतीया पर बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने की वजह से कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। हर साल इस दिन हजारों शादियां होती थीं, लेकिन इस साल अक्षय तृतीया पर कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। अनादि काल से ही स्वयं सिद्ध शुभ मुहर्तों में शुमार रही है अक्षय तृतीया।
आचार्य शुभम त्रिवेदी के अनुसार, इस वर्ष बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने के कारण विवाह जैसे मांगलिक काम अक्षय तृतीया पर नहीं हो सकेंगे। इसके साथ इस बार तिथि में गृह प्रवेश, भूमि पूजन, नव विवाहिता का गृह आगमन, मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा, उपनयन संस्कार और तालाब या कूप का निर्माण का आरंभ नहीं किया सकेगा। लेकिन स्वर्ण, वाहन का क्रय, अन्नप्राशन, नामकरण संस्कार, पुंसवन संस्कार तथा सीमन्तोन्नयन संस्कार जैसे कर्म किए जा सकेंगे।
अक्षय तीज की गिनती युगादि तिथियों में होती है, ऐसा भविष्य पुराण कहता है। इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग का आग़ाज़ हुआ था। ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण और परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव जैसे विष्णु के स्वरूपों प्राकट्य भी इसी अक्षय तृतीया को हुआ था।
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के मुताबिक इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत शुक्रवार को प्रातःकाल 6.21 से 26.52 (अगले दिन 2.52) तक रहेगी। प्रातः 10.47 तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। उसके पश्चात मृगशिरा नक्षत्र लग जाएगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में मौजूद होंगे।
इस तरह करेंगे पूजा तो राजसूय यज्ञ के फल की प्राप्ति होगी
आचार्य शुभम त्रिवेदी बताते हैं कि सनातन धर्मावलंबियों को इस दिन भगवान विष्णु और मां श्रीमहालक्ष्मी की प्रतिमा पर गंध, चन्दन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवैद्य आदि से पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु को गंगाजल और अक्षत से स्नान कराएं, तो मनुष्य को राजसूय यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया को आखा तीज और कृतयुगादि तृतीया भी कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार त्रेता युग का आरंभ भी इसी तिथि को हुआ था। धार्मिक नजरिए से अक्षय तृतीया का विशेष महत्व होता है इसलिए इस युगादि तिथि के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था। इस तिथि पर भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था। अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा का अवतरण हुआ था। इसी दिन बदरीनाथ के कपाट खुलते हैं, वृंदावन के बांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी केवल आज के ही दिन होते हैं। मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान, जप, होम, स्वाध्याय, तर्पण आदि जो भी कर्म किए जाते हैं,वे सब अक्षय हो जाते हैं।
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