Lucknow News : जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र में संशोधन अब मुश्किल,भ्रष्टाचार रोकने के लिए सॉफ्टवेयर किया गया अपडेट

जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र में संशोधन अब मुश्किल,भ्रष्टाचार रोकने के लिए सॉफ्टवेयर किया गया अपडेट
UPT | नगर निगम लखनऊ

Jun 27, 2024 13:38

किसी भी अस्पताल की रिपोर्ट पर बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र आसानी से जारी कर दिया जाता था। वार्ड पार्षद, लेखपाल या विकास अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर मृत्यु प्रमाण पत्र भी बन जाता था।

Jun 27, 2024 13:38

Short Highlights
  • कॉलम के लिए अलग-अलग ओटीपी किया जाएगा जारी 
  • स्कूलों में दाखिले और संपत्ति विवाद में हो रहा था दुरुपयोग 
Lucknow News: नगर निगम के जारी किए जाने वाले जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र में अब बदलाव करवाना आसान नहीं होगा। बर्थ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन 21 दिनों से अधिक देर से किया जाता है, तो मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की रिपोर्ट अनिवार्य होगी। वहीं, मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने वाले को मृतक के माता-पिता या संरक्षक के आधार कार्ड का विवरण देना होगा। पहले तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाता था, लेकिन अब सब रजिस्ट्रार की रिपोर्ट आवश्यक कर दी गई है।

पहले एक ओटीपी से बन जाते थे प्रमाण पात्र 
यह परिवर्तन नए सॉफ्टवेयर की वजह से हुआ है। पहले जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल थी। किसी भी अस्पताल की रिपोर्ट पर बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र आसानी से जारी कर दिया जाता था। वार्ड पार्षद, लेखपाल या विकास अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर मृत्यु प्रमाण पत्र भी बन जाता था। प्रमाण पत्र जारी होने के बाद कर्मचारी को रिश्वत देकर प्रमाण पत्र में बदलाव हो जाता था। एक ही ओटीपी से कर्मचारी प्रमाण पत्र में नाम, जन्म या मृत्यु की तिथि जैसी जानकारी बदल देते थे, और यह बदलाव कई बार होता था।

संशोधन के लिए अब चाहिए अलग-अलग ओटीपी
संशोधन के बहाने पहले जन्म-म्रत्यु प्रमाण पत्र में किसी भी तरह का बदलाव करना आसान था। जैसे नाम, तिथि, पता बदलने के लिए एक ही ओटीपी की जरुरत होती थी। इससे कर्मचारी का काम आसान हो गया था। सॉफ्टवेयर में बदलाव के बाद अब हर कॉलम के लिए अलग-अलग ओटीपी जारी किए जा रहे हैं, जिसे डालने के बाद ही संशोधन किया जा सकता है।

नगर निगम कार्यालय से लेना होगा प्रमाण पत्र
प्रमाण पत्र तैयार होने के बाद इसे आवेदक के मोबाइल पर लिंक के जरिए भेजा जाता था। अब प्रमाण पत्र बनते ही इसकी सूचना फोन पर मिलेगी और आवेदक को नगर निगम कार्यालय जाकर कॉपी लेनी होगी। स्कूलों में रंगीन प्रमाण पत्र ही मान्य होता है, लेकिन नगर निगम के पास रंगीन प्रिंटर न होने से आवेदकों को परेशानी हो रही है।

बिगड़ रहे थे जनगणना के आंकड़े
नगर निगम से जारी प्रमाण पत्रों के आधार पर हर साल जनगणना का ग्राफ बढ़ता है। कर्मचारी की मनमानी से फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता था। इसी तरह मृत्यु के प्रमाण पत्र भी थोड़े से रुपए देकर किसी भी समय प्राप्त हो जाते थे। इस भ्रष्टाचार से जनगणना का आंकड़ा बिगड़ रहा था और स्कूलों में दाखिले और संपत्ति विवाद के मामलों में इसका दुरुपयोग हो रहा था। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विजय कुमार ने बताया कि सॉफ्टवेयर में किए गए बदलावों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है और लखनऊ नगर निगम इसमें कुछ नहीं कर सकता है। नियमों के अनुसार ही जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाए जाएंगे।

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