बहराइच हिंसा : अतिक्रमण ध्वस्तीकरण मामले में नहीं हो सकी सुनवाई, 18 नवंबर को दोनों पक्षों को सुनेगा हाईकोर्ट

अतिक्रमण ध्वस्तीकरण मामले में नहीं हो सकी सुनवाई, 18 नवंबर को दोनों पक्षों को सुनेगा हाईकोर्ट
UPT | Allahabad High Court Lucknow Bench

Nov 11, 2024 17:22

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य सरकार से पूछा था कि क्या नोटिस जारी करने से पहले किसी प्रकार का सर्वे किया गया था। इसके साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्या नोटिस प्राप्त करने वाले लोग उन परिसरों के स्वामी थे जिनका ध्वस्तीकरण प्रस्तावित है। यह एक महत्वपूर्ण सवाल था जो संपत्ति के अधिकारों और प्रशासनिक प्रक्रिया से संबंधित था।

Nov 11, 2024 17:22

Lucknow News : प्रदेश में जनपद बहराइच के महाराजगंज में प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के आरोपियों के घरों के ध्वस्तीकरण मामले में सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई के लिए 18 नवंबर की नई तारीख तय की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ताओं और राज्य सरकार को आगे की प्रक्रिया का इंतजार करना पड़ेगा।

जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई
यह मामला एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) की ओर से दायर जनहित याचिका पर आधारित है, जिसमें बहराइच में अतिक्रमण के खिलाफ हुई कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप है कि प्रशासन ने बीती 17 अक्तूबर को अतिक्रमण हटाने के लिए बिना किसी पूर्व सूचना के नोटिस जारी किए। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने इन नोटिसों को अवैध बताते हुए इन्हें रद्द करने की मांग की है। इससे पहले विगत 6 नवंबर को न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कई सवालों पर जवाब मांगा था। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि ध्वस्तीकरण के फैसले से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं।



कोर्ट के सवाल और जवाब की आवश्यकता
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य सरकार से पूछा था कि क्या नोटिस जारी करने से पहले किसी प्रकार का सर्वे किया गया था। इसके साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्या नोटिस प्राप्त करने वाले लोग उन परिसरों के स्वामी थे जिनका ध्वस्तीकरण प्रस्तावित है। यह एक महत्वपूर्ण सवाल था जो संपत्ति के अधिकारों और प्रशासनिक प्रक्रिया से संबंधित था।

अवैध निर्माण पर केंद्रित सवाल
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि महाराजगंज बाजार की जिस सड़क पर निर्माण ढहाने का नोटिस जारी किया गया, क्या वह पूरी तरह से या आंशिक रूप से अवैध था। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल राज्य सरकार कोई ऐसा कदम न उठाए जो कानून के दायरे में न हो।

मौखिक आदेश और अगली प्रक्रिया
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई भी कार्रवाई कानून के अनुरूप होनी चाहिए। अदालत ने अगली सुनवाई तक ध्वस्तीकरण से संबंधित किसी भी कार्रवाई को रोकने का इशारा किया। अब 18 नवंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। इससे पहले यह मामला तब सामने आया जब बहराइच के महाराजगंज क्षेत्र में 13 अक्तूबर को दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई और इसमें एक व्यक्ति रामगोपाल मिश्रा की हत्या हो गई। इसके बाद कथित अतिक्रमणकर्ताओं के निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी किए गए थे। याचिका में मांग की गई है कि इन नोटिसों को रद्द किया जाए, क्योंकि यह कार्रवाई हिंसा के बाद की स्थिति में लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है।

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