रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता को सामने लाया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
100 में 100 अंक मिलने की होगी जांच : कैरिज एंड वैगन वर्कशॉप की प्रोन्नति परीक्षा पर उठे सवाल, डीआरएम का गड़बड़ी से इनकार
Nov 25, 2024 11:19
Nov 25, 2024 11:19
100 में 100 अंक पर उठ रहे सवाल
परीक्षा में दो अभ्यर्थियों को 100 में 100 अंक और छह को 99 अंक दिए जाने पर बीआरएमएस के महासचिव मंगेश एम देशपांडे ने गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह कैसे संभव है कि परीक्षा में इतनी बड़ी संख्या में समान अंक आएं? यह पूरी परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
परीक्षा के परिणाम रद्द करने की मांग
देशपांडे ने परीक्षा परिणाम को रद्द कर फिर से परीक्षा आयोजित करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह धांधली उन रेलकर्मियों के साथ अन्याय है, जो वाकई योग्य हैं और निष्पक्षता की उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को शिकायत करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
रेलमंत्री ने दिए जांच के आदेश
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता को सामने लाया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
डीआरएम का बयान : गड़बड़ी के आरोप बेबुनियाद
इस बीच उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के डीआरएम सचिंद्र मोहन शर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि परीक्षा कंप्यूटर आधारित थी और मॉडल क्वेश्चन बैंक पहले से जारी करना सामान्य प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि 100 में 100 अंक आना कोई असामान्य बात नहीं है। संघ के आरोप बेबुनियाद हैं।
मॉडल क्वेश्चन बैंक पर उठे सवाल
बीआरएमएस के अनुसार, परीक्षा से पहले रेलकर्मियों को मॉडल क्वेश्चन बैंक जारी किया गया था, जिसमें से सभी 110 सवाल परीक्षा में पूछे गए। संघ ने आरोप लगाया कि मॉडल क्वेश्चन बैंक से सवाल पूछने का उद्देश्य पहले से चयनित अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाना था।
आंसर-की न जारी करना विवाद का कारण
परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों को आंसर-की नहीं दी गई। बीआरएमएस का आरोप है कि आंसर-की न देने का उद्देश्य यह था कि किसी प्रकार की आपत्ति नहीं उठाई जा सके। संघ का कहना है कि बिना आंसर-की और पूरी प्रक्रिया को सार्वजनिक किए बगैर पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की जा सकती।
तेजी से परिणाम और चयन प्रक्रिया पर संदेह
बीआरएमएस का कहना है कि परीक्षा 22 सितंबर को आयोजित हुई थी और मात्र दो दिन बाद, 24 सितंबर को परिणाम घोषित कर दिए गए। यही नहीं, जिन अभ्यर्थियों का चयन हुआ, उन्हें तुरंत सुपरवाइजरी ट्रेनिंग सेंटर के लिए रिलीव कर दिया गया। संगठन ने इसे योजना के तहत किया गया कदम बताया है। इस बीच परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों के बाद रेलकर्मियों के बीच असंतोष बढ़ रहा है। कई कर्मचारियों का मानना है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पूरी परीक्षा प्रक्रिया की समीक्षा होनी चाहिए।
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