आज भारत बंद का आह्वान : यूपी में पुलिस अलर्ट, स्कूल-कॉलेज और कारोबार बंद रखने की अपील

यूपी में पुलिस अलर्ट, स्कूल-कॉलेज और कारोबार बंद रखने की अपील
UPT | आज भारत बंद का आह्वान

Aug 21, 2024 14:00

अनुसूचित जाति और जनजाति में क्रीमी लेयर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर देशभर में विभिन्न संगठनों ने बुधवार 21 अगस्त को "भारत बंद" का आह्वान किया है। भारत बंद के आह्वान को देखते हुए उत्तर प्रदेश में पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पुलिस बल को अलर्ट पर रखा गया है।

Aug 21, 2024 14:00

Lucknow News : सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति (SC) व जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर पर दिए गए फैसले को लेकर  आज कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। भीम आर्मी समेत कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी बंद का समर्थन किया है।यह फैसला असमानता को बढ़ावा देने और दलितों के हितों का उल्लंघन करने का आरोप है। 

भारत बंद का आह्वान  
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने के लिए भीम आर्मी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), आजाद समाज पार्टी और अन्य दलित संगठनों ने राष्ट्रव्यापी भारत बंद का आह्वान किया है। इन संगठनों का कहना है कि यह फैसला दलितों और आदिवासियों के अधिकारों पर गंभीर प्रहार है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

उत्तर प्रदेश में व्यापक असर
उत्तर प्रदेश में भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिलेगा, खासकर पश्चिमी यूपी में। बसपा, भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के नेता इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। स्कूलों, कॉलेजों और व्यवसायों को बंद रखने की अपील की गई है, लेकिन आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

पुलिस की तैयारियां पुख्ता
लखनऊ पुलिस ने भारत बंद को लेकर कोई विशेष गाइडलाइन जारी नहीं की है, लेकिन सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां पुख्ता हैं। राजधानी में पहले से ही सीआरपीसी 144 लागू है, जिसका पालन सभी को करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी के आरक्षण को लेकर फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से यह फैसला दिया था कि राज्य सरकारों को एससी एसटी के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है। इससे दलित और आदिवासी समुदायों के भीतर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े तबकों को लाभ मिल सकेगा।

उप-वर्गीकरण पर विवाद
हालांकि, इस फैसले को दलित और आदिवासी संगठनों ने असमानता को बढ़ावा देने और समुदाय के भीतर विभाजन पैदा करने वाला बताया है। उनका कहना है कि यह फैसला संविधान और कानून के मूल मक्सद के खिलाफ है और तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने देशभर में दलित और आदिवासी समुदायों में व्यापक आक्रोश पैदा किया है। भीम आर्मी और अन्य संगठनों द्वारा किए गए भारत बंद का आह्वान इसी आक्रोश का परिणाम है। यह मामला सामाजिक न्याय और समानता के मुद्दों पर एक बड़ा संघर्ष है।

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