कांवड़ रूट नेमप्लेट विवाद : बाबा बागेश्वर और देवकीनंदन ठाकुर ने किया समर्थन, जानें क्या बोले

बाबा बागेश्वर और देवकीनंदन ठाकुर ने किया समर्थन, जानें क्या बोले
UPT | देवकीनंदन ठाकुर और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

Jul 21, 2024 11:39

कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी दुकानों के संचालकों या मालिकों को अपनी पहचान स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करनी होगी। यह निर्णय कांवड़ियों की आस्था और शुद्धता को बनाए रखने के उद्देश्य से...

Jul 21, 2024 11:39

Short Highlights
  • दुकानों पर नाम लिखने के आदेश पर देश में विवाद खड़ा हो गया है
  • बाबा बागेश्वर ने सीएम योगी के फैसले का स्वागत किया
  • कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने यूपी सरकार के फैसले को सही बताया
Lucknow News : उत्तर प्रदेश में 22 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर योगी सरकार ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी दुकानों के संचालकों या मालिकों को अपनी पहचान स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करनी होगी। यह निर्णय कांवड़ियों की आस्था और शुद्धता को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है, लेकिन इसने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। जहां विपक्षी दल इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं, वहीं हिंदू संगठनों ने इसका समर्थन किया है।

फैसले का किया स्वागत
इस मुद्दे पर बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले का स्वागत किया है। शास्त्री ने कहा कि यह कदम कुछ लोगों द्वारा अपना नाम बदलकर धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने की प्रवृत्ति को रोकने में मदद करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुकानों पर असली नाम लिखा जाना चाहिए ताकि कांवड़ियों को यह पता चल सके कि वे किसकी दुकान से सामान खरीद रहे हैं।

धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि यह निर्णय कांवड़ियों की आस्था और शुचिता को बनाए रखने के लिए लिया गया है। उनका मानना है कि कांवड़ मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों के सामने दुकानदारों को अपना नाम और अपनी पहचान बतानी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

कथावाचक देवकीनंदन ने क्या कहा?
वहीं इस मामले पर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भी अपनी बात रखी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में वह उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुए दिखे। देवकीनंदन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस आदेश के बारे में बहुत बड़ा विवाद चल रहा है, जिसका विषय नहीं, मगर कुछ लोग इसे भड़का रहे हैं। उन्होंने इस बारे में अपनी कथा में कहा कि कांवड़ यात्रा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक परंपरा है और इसके दौरान शुद्धता का पालन करना जरूरी होता है। उन्होंने मुस्लिमों द्वारा चलाए जाने वाले ढाबों के बारे में भी बात की और कहा कि उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं है।

हज यात्रा की दिया उदाहरण
देवकीनंदन ने आगे कहा कि उन्हें इस आदेश से कोई समस्या नहीं है, लेकिन उन्होंने बड़ी बात यह मानी कि अब कुछ दुकानें अपने ढाबों का नाम देवी-देवताओं के नाम पर चला रही हैं। इन ढाबों के नाम पर लिखा जाता है "वैष्णव ढाबा", लेकिन असलियत में उनकी स्थिति कुछ और होती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे हज यात्रा में शामिल होने वाले लोग अपने धर्म के नियमों का पालन करते हैं, वैसे ही कांवड़ यात्रा में भी हिंदू धर्म के नियमों का पालन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के इस कदम से वह इतना सहमत हैं कि इससे कांवड़ीए यात्री अपनी यात्रा को सामूहिक रूप से और सुरक्षित तरीके से पूरा कर सकेंगे। 

इसलिए लिया गया फैसला
गौरतलब है कि यह निर्णय कांवड़ यात्रियों के खानपान संबंधी परहेज को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पादों की बिक्री पर भी कार्रवाई की जाएगी। इस कदम का मुख्य उद्देश्य धार्मिक भावनाओं और स्वच्छता के मानकों को बनाए रखना है। हालांकि, इस निर्णय को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में मतभेद देखने को मिल रहे हैं। कुछ व्यक्तिगत और सामाजिक समूह इसे विवादास्पद मान रहे हैं, जबकि दूसरी ओर इसे एक प्राथमिकता मानकर इसे समर्थन भी दे रहे हैं। 

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