पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा लोकसभा चुनाव में हार के बाद पहली इस तरह नेताओं से एक साथ बैठक में शामिल होंगे। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इस बार शामिल होने वाले लोगों की संख्या भी सबसे अधिक है। इसमें लगभग 3600 प्रतिनिधि शामिल होंगे। पहली बार इतनी अधिक संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया है।
भाजपा कार्यसमिति की बैठक : लोकसभा चुनाव में हार को भुलाकर बड़ी लकीर खींचने की बनेगी रणनीति
Jul 13, 2024 00:48
Jul 13, 2024 00:48
- पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा बैठक के उद्घाटन सत्र को करेंगे संबोधित
- कार्यसमिति में पहली बार तीन हजार से ज्यादा लोग होंगे शामिल
- कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के साथ आगे की तय होगी रणनीति
- विपक्ष को जवाब देने के लिए खास होगा राजनीतिक प्रस्ताव
हार की समीक्षा में सामने आए बिंदुओं पर काम करेगी पार्टी
लोकसभा चुनाव में लचर प्रदर्शन के बाद भाजपा नेतृत्व हार की विभिन्न स्तर पर समीक्षा कर चुका है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह ने जहां हारे हुए प्रत्याशियों से लेकर अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं से फीड बैक लिया है। वहीं जनपदों में भेजी गई टास्क फोर्स ने भी हार की वजह तलाशी है। इसके साथ ही राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने भी अपने लखनऊ दौरे में कई बैठकें की। इस दौरान उन्होंने विभिन्न नेताओं से रायशुमारी ली। अब प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इसके आधार पर रणनीति तय की जाएगी। दरअसल भाजपा लोकसभा चुनाव की हार से सबक लेकर अब आगे जीत हासिल करके एक बड़ी लकीर खींचना चाहती है।
उपचुनाव में जीत दर्ज कर बड़ा संदेश देने की तैयारी
पार्टी की कोशिश है कि उपचुनाव में सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करके विपक्ष को बड़ा संदेश दिया जाए। इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा होगा। ये उपचुनाव इसलिए भी अहम होंगे, क्योंकि इसमें बसपा ने भी अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। बसपा आमतौर पर उपचुनाव से दूर रहती है। इसके अलावा कांग्रेस को उम्मीद है कि समाजवादी पार्टी से उसकी दोस्ती उपचुनाव में भी कायम रहेगी और उसे गठबंधन में सीट मिलेगी। नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद भी अपने प्रत्याशी उपचुनाव में उतारने का एलान कर चुके हैं। भाजपा के सहयोगी दल भी सीट को लेकर दावा कर रहे हैं। इस तरह उपचुनाव में सत्ता और विपक्ष पूरी तरह से आमने सामने होगा। ऐसे में भाजपा कार्यसमिति की बैठक में राजनीतिक सहित अन्य प्रस्ताव पारित होने के साथ उपचुनाव को लेकर भी रणनीति पर मंथन किया जा सकता है।
इन लोगों को किया आमंत्रित
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा लोकसभा चुनाव में हार के बाद पहली इस तरह नेताओं से एक साथ बैठक में शामिल होंगे। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इस बार शामिल होने वाले लोगों की संख्या भी सबसे अधिक है। इसमें लगभग 3600 प्रतिनिधि शामिल होंगे। पहली बार इतनी अधिक संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया है। पिछली बार से ये संख्या करीब दस गुना अधिक है। प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में किसानों और महिलाओं के मुद्दों तथा सदस्यता अभियान पर भी चर्चा की जाएगी। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विधि यूनिवर्सिटी के अंबेडकर ऑडिटोरियम में इसके लिए विशेष तैयारी की जा रही है। कार्यसमिति के सभी सदस्यों के अलावा प्रदेश के सभी विधायक, यूपी कोटे के मंत्री केंद्रीय मंत्री और लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के भी इसमें शामिल होने की बात कही जा रही है। इसके अलावा पार्टी से जुड़े सभी नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया है। इस तरह संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक आगे की रणनीति और आगामी कार्यक्रमों को लेकर स्पष्ट संदेश दिया जाएगा।
विभिन्न वर्गों का साधते हुए कार्यक्रम किए जाएंगे घोषित
बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार सत्ता सौंपने के लिए प्रदेश के मतदाताओं का आभार भी जताया जाएगा। जेपी नड्डा कार्यसमिति की बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधन करेंगे। समापन सत्र को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संबोधित करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी बैठक के पहले सत्र को संबोधित करेंगे। दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक भी कार्यसमिति की बैठक में शामिल होंगे। बैठक में रक्षा मंत्री और स्थानीय सांसद राजनाथ सिंह भी शामिल हो सकते हैं। प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह पार्टी की आगामी कार्ययोजना, कार्यक्रमों की जानकारी देंगे। इसमें विभिन्न वर्गों को साधते हुए कई कार्यक्रम घोषित किए जा सकते हैं। इसके लिए नेताओं को अलग अलग जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। भाजपा को लोकसभा चुनाव में दलित और पिछड़ा वोट बैंक का सपोर्ट नहीं मिला है। इसके अलावा अल्पसंख्यक वर्ग ने भी खुलकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को वोट दिया। ऐसे में माना जा रहा है कि इन वर्गों की नाराजगी दूर करने और इनके बीच अपनी पैठ फिर से कायम करने के लिए कार्यक्रम तय किए जा सकते हैं।
विपक्ष की घेराबंदी का जवाब देने की रणनीति
लोकसभा चुनाव में सपा 37 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं भाजपा को 33 सीटों पर संतोष करना पड़ा। हार की समीक्षा में संविधान सहित अन्य मुद्दों पर विपक्ष के दुष्प्रचार, युवाओं के मुद्दे आदि को अहम वजह बताया गया है। माना जा रहा है कि इसे लेकर भी पार्टी आगे की रणनीति तय करेगी। कार्यसमिति की बैठक में विभिन्न पदों, मोर्चो, प्रकोष्ठ से लेकर जिला स्तर पर नए लोगों को जिम्मेदारी सौंपने का भी निर्णय किया जा सकता है।
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