डॉ. सुब्रत चंद्रा ने बताया कि थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसका खतरा खासतौर पर उन परिवारों में बढ़ जाता है जहां पहले से किसी सदस्य को यह बीमारी होती है। खासतौर पर नजदीकी रिश्तों में शादी करने वालों को यह खतरा अधिक रहता है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट इस बीमारी का स्थायी इलाज है, और इसके बाद मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।
Lucknow News : थैलेसीमिया मरीजों के लिए नई उम्मीद, राम मनोहर लोहिया संस्थान में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा जल्द
Nov 13, 2024 21:31
Nov 13, 2024 21:31
थैलेसीमिया स्क्रीनिंग कार्यक्रम का आयोजन
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के हॉस्पिटल ब्लॉक में बुधवार को थैलेसीमिया स्क्रीनिंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के तहत 200 मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों की एचएलए जांच की गई। लार के नमूने लेकर इस जांच से थैलेसीमिया के खतरे की गंभीरता और संभावनाओं का पता लगाया जा सकेगा। जांच की रिपोर्ट एक सप्ताह में आने की उम्मीद है।
अनुवांशिक बीमारी की जटिलताएं
डॉ. सुब्रत चंद्रा ने बताया कि थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसका खतरा खासतौर पर उन परिवारों में बढ़ जाता है जहां पहले से किसी सदस्य को यह बीमारी होती है। खासतौर पर नजदीकी रिश्तों में शादी करने वालों को यह खतरा अधिक रहता है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट इस बीमारी का स्थायी इलाज है, और इसके बाद मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।
थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए लोहिया संस्थान की सेवाएं
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में थैलेसीमिया पीड़ितों को मुफ्त इलाज की सुविधाएं दी जा रही हैं। एनएचएम के तहत थैलेसीमिया डे केयर सेंटर संचालित हो रहा है, जहां नियमित ओपीडी और अन्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इस सेंटर में पंजीकृत 195 मरीजों को हर 15 से 30 दिनों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सुविधा दी जाती है। अब तक इस केंद्र में 2700 ब्लड ट्रांसफ्यूजन हो चुके हैं।
मुफ्त एचएलए जांच शिविर का आयोजन
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने बुधवार को दिल्ली के अपोलो सेंटर फॉर बोनमैरो ट्रांसप्लांट के सहयोग से दो दिवसीय निःशुल्क एचएलए जांच और परामर्श शिविर का आयोजन किया। डॉ. गौरव खर्या ने बताया कि प्रत्येक मरीज की जांच पर करीब 15000 रुपये का खर्च होता है, लेकिन संस्थान ने इसे मुफ्त में कराया। शिविर में उन्होंने अनरीलेटेड और हैप्लोआईडेंटिकल डोनर से इलाज की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि बीमारी की पहचान और जागरूकता के साथ-साथ उस बीमारी के निवारण के प्रयास भी आवश्यक हैं। शिविर में अन्य विशेषज्ञ जैसे डॉ. नुजहत हुसैन, डॉ. रितु करोली, प्रवीर आर्या, डॉ. वीके और डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने भी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।
थैलेसीमिया : कारण, लक्षण और इलाज
थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता। हीमोग्लोबिन एक प्रकार का प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं में होता है और शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। हीमोग्लोबिन की कमी के कारण, थैलेसीमिया से ग्रस्त व्यक्ति को एनीमिया (खून की कमी) हो सकती है, जो हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है।
थैलेसीमिया के प्रकार
अल्फा थैलेसीमिया : इसमें अल्फा ग्लोबिन जीन की कमी होती है। इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं।
बीटा थैलेसीमिया : इसमें बीटा ग्लोबिन जीन की कमी होती है। बीटा थैलेसीमिया को दो उपश्रेणियों में बांटा जा सकता है:
थैलेसीमिया माइनर : इसमें कोई विशेष लक्षण नहीं होते या हल्के लक्षण होते हैं।
थैलेसीमिया मेजर (कूलीज एनीमिया) : यह गंभीर प्रकार का होता है और इसमें व्यक्ति को नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है।
थैलेसीमिया के लक्षण
थकान और कमजोरी
पीली या पीली-पीली त्वचा
चेहरे की हड्डियों में विकृति
धीमी विकास दर
पेट के अंगों में सूजन (स्प्लीन, लिवर)
गहरे रंग का पेशाब
थैलेसीमिया का कारण
थैलेसीमिया का कारण माता-पिता से अनुवांशिक रूप से मिले जीन में दोष होता है। जब दोनों माता-पिता में थैलेसीमिया जीन होता है, तो बच्चे में थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि केवल एक माता-पिता में यह जीन होता है, तो बच्चे में थैलेसीमिया माइनर होता है, जो हल्का होता है।
थैलेसीमिया के निदान के लिए जांच
पूर्ण रक्त कोशिका गिनती (CBC) : रक्त की सामान्य स्थिति जानने के लिए।
हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस : हीमोग्लोबिन के विभिन्न प्रकारों का पता लगाने के लिए।
एचएलए (HLA) टाइपिंग : बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त डोनर खोजने में सहायक।
थैलेसीमिया का इलाज
ब्लड ट्रांसफ्यूजन : गंभीर थैलेसीमिया मेजर के मरीजों को हर 3-4 सप्ताह में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है।
आयरन किलेशन थेरेपी : बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे हटाने के लिए यह थेरेपी दी जाती है।
बोनमैरो ट्रांसप्लांट : यह थैलेसीमिया का एकमात्र स्थायी इलाज माना जाता है। इसमें स्वस्थ डोनर का बोनमैरो रोगी को प्रत्यारोपित किया जाता है।
जीन थेरेपी : यह एक नई और उन्नत तकनीक है, जिसमें दोषपूर्ण जीन को ठीक किया जाता है।
रोकथाम के उपाय
प्री-मैरिटल स्क्रीनिंग : विवाह से पहले थैलेसीमिया कैरियर का परीक्षण किया जाए।
जेनेटिक काउंसलिंग : यदि परिवार में थैलेसीमिया का इतिहास है, तो गर्भधारण से पहले विशेषज्ञ से सलाह ली जानी चाहिए।
एचएलए टाइपिंग और मैचिंग : बोनमैरो ट्रांसप्लांट की तैयारी के लिए यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।
जीवनशैली और देखभाल
थैलेसीमिया से ग्रस्त व्यक्ति को नियमित रूप से डॉक्टर की देखभाल, स्वस्थ आहार, और आयरन की मात्रा को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, मरीजों को संक्रमण से बचने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए टीकाकरण की भी आवश्यकता होती है।
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