हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में सीएजी ने खुलासा किया है कि राज्य में लगाए गए पौधों की बड़ी संख्या जीवित नहीं रह पाई है, जिससे इस अभियान की प्रभावशीलता पर संदेह...
पौधरोपण अभियान पर सीएजी की कड़ी टिप्पणी : 11 करोड़ में से 8 करोड़ से अधिक पौधे सूखे, खर्च और गुणवत्ता पर उठे सवाल
Aug 02, 2024 11:14
Aug 02, 2024 11:14
- राज्य में लगाए गए पौधों की बड़ी संख्या जीवित नहीं रह पाई है
- 11 करोड़ से अधिक पौधों में से केवल 28 प्रतिशत ही जीवित बचे
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
रिपोर्ट के अनुसार, 2016-17 से 2021-22 के दौरान राज्य में 103.78 करोड़ पौधे लगाए गए, जो कि निर्धारित लक्ष्य 101.35 करोड़ से अधिक था। हालांकि, यह आंकड़ा प्रभावशाली लग सकता है, लेकिन वास्तविकता में इसका परिणाम निराशाजनक रहा। ग्राम्य विकास विभाग द्वारा लगाए गए 11 करोड़ से अधिक पौधों में से केवल 28 प्रतिशत ही जीवित बचे, जिसका मतलब है कि लगभग 8 करोड़ पौधे सूखकर नष्ट हो गए।
इस कारण असफल हुआ अभियान
सीएजी ने इस विफलता के कई कारणों का उल्लेख किया है। इनमें पौधों के रखरखाव में कमी, खाद और कीटनाशकों का अपर्याप्त उपयोग, संरक्षण की कमी और अपर्याप्त सिंचाई शामिल हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि कुछ मामलों में पौधे निर्धारित दरों से अधिक कीमत पर खरीदे गए, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ।
पौधों की गुणवत्ता पर उठे सवाल
इस मुद्दे पर ग्राम्य विकास विभाग और वन विभाग के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिला। ग्राम्य विकास विभाग ने दावा किया कि वन विभाग द्वारा आपूर्ति किए गए पौधों की गुणवत्ता खराब थी, जबकि सीएजी ने कहा कि यदि ऐसा था, तो ग्राम्य विकास विभाग को इस मुद्दे को वन विभाग के साथ उठाना चाहिए था।
सीएजी ने न केवल पौधरोपण कार्यक्रम की विफलता पर ध्यान आकर्षित किया, बल्कि वन क्षेत्र के अंदर वनावरण में गिरावट पर भी चिंता व्यक्त की। रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2021 के बीच वन क्षेत्र के अंदर वनावरण में 100 वर्ग किलोमीटर की कमी आई, हालांकि वन क्षेत्र के बाहर वनावरण में 239 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई।
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