इस प्रकरण को लेकर सियासत तेज होने और कई सवाल उठने के बाद तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने जियाउलहक मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जांच पड़ताल के बाद जिया-उल-हक की पत्नी परवीन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी।
सीओ जियाउल हक हत्याकांड : सीबीआई कोर्ट में 10 आरोपी दोषी करार, राजा भैया को मिल चुकी है क्लीन चिट
Oct 04, 2024 19:09
Oct 04, 2024 19:09
गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने सीओ जियाउल हक को घेरा, हत्या
घटनाक्रम के मुताबिक नन्हें सिंह यादव के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे। रात सवा आठ बजे कामता पाल के घर में आग लगा दी गई। भारी बवाल के बीच कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ नन्हें सिंह यादव के घर की तरफ जाने की हिम्मत न जुटा सके, लेकिन सीओ जिया-उल-हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े। इसी बीच ग्रामीणों द्वारा की जा रही फायरिंग से डरकर सीओ की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और एसएसआइ कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए। सीओ जियाउल हक के गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। इसी दौरान गोली चलने से प्रधान नन्हें सिंह यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की मौत हो गई। इसके बाद सीओ जियाउल हक की निर्मम हत्या कर दी गई।
तिहरे हत्याकांड में कुल चार एफआईआर दर्ज
इसके बाद देर रात करीब 11 बजे भारी पुलिस बल बलीपुर गांव पहुंचा और सीओ की तलाश शुरू हुई। आधे घंटा बाद जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ा मिला। इस हत्याकांड का आरोप तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राजा भैया, उनके करीबी गुलशन यादव समेत कई लोगों पर लगा था। बलीपुर गांव में हुए तिहरे हत्याकांड में कुल चार एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सबसे आखिर में सीओ जिया उल हक की पत्नी परवीन की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें पांच आरोपी गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह, संजय सिंह उर्फ गुड्डू और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 504, 506, 120 बी और सीएलए एक्ट की धारा 7 के तहत केस दर्ज कराया गया था।
अखिलेश सरकार ने सीबीआई को सौंपा मामला
इस प्रकरण को लेकर सियासत तेज होने और कई सवाल उठने के बाद तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने जियाउलहक मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जांच पड़ताल के बाद जिया-उल-हक की पत्नी परवीन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी। इसमें हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे थी। हालांकि इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थी। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था।
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