प्रदेश में बिल्डरों की ओर से परचेजेबुल एफएआर के नाम पर अपार्टमेंट में स्वीकृत से अधिक फ्लैटों का निर्माण कराया जाता है और बाद में नियमित कराके ऊंची कीमतों पर बेचते हैं।
मनमानी बिल्डर की, भुगतेगा उपभोक्ता : अतिरिक्त एफएआर पर देना होगा स्टाम्प शुल्क, जानें क्या है पूरा मामला
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May 17, 2024 18:28
May 17, 2024 18:28
प्रदेश में बिल्डरों की ओर से परचेजेबुल एफएआर के नाम पर अपार्टमेंट में स्वीकृत से अधिक फ्लैटों का निर्माण कराया जाता है और बाद में नियमित कराके ऊंची कीमतों पर बेचते हैं। स्टाम्प एवं निबंधन विभाग की ओर से वर्ष 2016 के शासनादेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि वर्तमान में शहरीकरण के बढ़ते दबाव की वजह से शहरीकरण के मानकों में परिवर्तन हो रहे हैं।
इसके चलते विभिन्न प्राधिकरणों एवं आवास विकास परिषद आदि की ओर से अपनी योजनाओं में आवंटित भूखंड़ों में एफएआर में वृद्धि की जाती है। इसके लिए संबंधित भूखंड के आवंटी से अतिरिक्त धनराशि भी वसूल की जाती है। लखनऊ समेत सभी विकास प्राधिकरणों को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि आवंटी को आवंटित भूखंड की कीमत उसमें अनुमन्य एफएआर पर निर्भर करती है। आवंटन के समय निर्धारित भूखंड के मूल्य के आधार पर ही संबंधित विक्रय पत्र पर स्टाम्प शुल्क जमा कर इसका निबंधन कराया जाता है। सेल डीड के निबंधन के बाद इसमें अतिरिक्त भूखंड के एफएआर में वृद्धि की अनुमति के सापेक्ष प्राप्त धनराशि वस्तुत: भूखंड के मूल्य में वृद्धि है। इसलिए भूखंड के एफएआर में वृद्धि के फलस्वरूप वसूली गयी अतिरिक्त धनराशि पर अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क की देयता बनती है।
आयुक्त स्टाम्प की ओर से कहा गया है कि संस्थाओं की ओर से किसी भूखंड के एफएआर में वृद्धि सम्बंधी अनुमति व आदेश में अचल सम्पति के अधिकार स्वत्व निहित हैं। इसलिए रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1908 की धारा-17 के अनुसार, पूरक विलेख के रूप में इनका अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराया जाना आवश्यक है।
यह होता है एफएआर
विकास प्राधिकरण की धारा 14 में भवन का नक्शा पास करने का प्रावधान है। नक्शा पास करने के दौरान ही प्राधिकरण एफएआर तय करता है, जिसका अर्थ है कि उक्त भूखंड पर कितनी ऊंची इमारत का निर्माण होगा। इसमें यदि एकाध मंजिल बढ़ जाती है, तो विकास प्राधिकरण विकास के नाम पर अतिरिक्त शुल्क लेकर नक्शा स्वीकृत कर देता है। इसे परचेजेबुल एफएआर (क्रय योग्य तल क्षेत्र अनुपात) कहते हैं।
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