कोविड स्वास्थ्य कर्मी योद्धाओं पर संकट : 5000 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त, पुनर्नियुक्ति की मांग

5000 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त, पुनर्नियुक्ति की मांग
UPT | कोविड स्वास्थ्य कर्मी योद्धाओं पर संकट

Jul 06, 2024 10:55

कोरोना महामारी के दौरान जान जोखिम में डालकर देश सेवा करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के सामने अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। देश भर के विभिन्न अस्पतालों में कोविड काल के दौरान...

Jul 06, 2024 10:55

Short Highlights
  • कोविड काल के दौरान अस्थायी रूप से नियुक्त लगभग 5000 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं 30 जून को समाप्त कर दि गई।
  • महामंत्री मिश्रा ने उपमुख्यमंत्री पाठक को पत्र लिखा। 
  • उनकी सेवाओं को निरंतर जारी रखा जाना चाहिए।
Lucknow News : कोरोना महामारी के दौरान जान जोखिम में डालकर देश सेवा करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के सामने अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। देश भर के विभिन्न अस्पतालों में कोविड काल के दौरान अस्थायी रूप से नियुक्त किए गए लगभग 5000 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं 30 जून को समाप्त कर दि गई। सरकार ने इन कर्मचारियों के अनुबंध को चौथी बार बढ़ाने से इनकार कर दिया। जिसके कारण इन सभी कर्मियों की सेवाएं समाप्त हो गई हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत हुए थे नियुक्त
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कोविड के दौरान पूरे प्रदेश में 7000 से अधिक कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त किया गया था। इनमें नर्स, प्रयोगशाला तकनीशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर, वार्ड बॉय और अन्य पदों पर कार्यरत कर्मचारी शामिल थे। संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री सच्चिदानंद मिश्रा के अनुसार, कोविड के प्रकोप में कमी आने के बाद से ही लगभग दो हजार कर्मचारियों को पहले ही नौकरी से निकाला जा चुका है। कुछ कर्मियों की सेवाएं दो- तीन बार बढाइ गई। जिसमें उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के हस्तक्षेप का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। संघ ने कई बार इन कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अन्य योजनाओं में समायोजित करने की मांग की है, लेकिन इस पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

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उपमुख्यमंत्री से की रोजगार सुरक्षा की अपील
महामंत्री मिश्रा ने उपमुख्यमंत्री पाठक को पत्र लिखा। जिसमें कहा गया था कि कोरोना काल के दौरान काम करने वाले कर्मचारियों को समायोजित किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने चिंता व्यक्त की कि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है। महामंत्री ने बताया कि उन्होंने कई बार शासन को जिला अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी के बारे में अवगत कराया है। उन्होंने तर्क दिया कि जब इन कर्मियों से कोरोना काल के बाद भी काम लिया जा रहा है, तो उनकी सेवाओं को निरंतर जारी रखा जाना चाहिए। मिश्रा ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार किसी अन्य पद पर भी इनकी नियुक्ति कर सकती है, ताकि उनकी नौकरियां सुरक्षित रहें और स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतरता बनी रहे।

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नौकरी ना मिलने पर करेंगे विरोध प्रदर्शन
30 जून को संविदा समाप्त होने के पांच दिन बाद भी सेवा विस्तार का कोई आदेश जारी नहीं किया गया। महामंत्री मिश्रा का कहना है कि सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण हजारों योग्य और अनुभवी कर्मचारी अब बेरोजगारी की कगार पर खड़े हैं।इन कर्मचारियों ने अपनी पुनर्नियुक्ति के लिए शासन से गुहार लगाई है। उनका कहना है कि वे कोविड के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सेवा की और अब उन्हें इस तरह नौकरी से निकालना अन्यायपूर्ण है। कर्मचारियों का मानना है कि उनके अनुभव और कौशल का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में किया जा सकता है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि कर्मचारियों को सेवा विस्तार नहीं मिला तो वे लखनऊ में एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। 

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