अलीगंज निवासी डॉक्टर अशोक सोलंकी ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज करवाई है। डॉक्टर ने बताया कि20 अगस्त को एक कॉल आया, जिसमें ठग ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और उन्हें झांसे में फंसा लिया। ठगों ने डॉक्टर को इतना डराया कि उन्होंने 48 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
साइबर अपराधियों के निशाने पर डॉक्टर : डिजिटल अरेस्ट करके इस बार 48 लाख ठगे, ऐसे बना रहे शिकार
Aug 29, 2024 16:17
Aug 29, 2024 16:17
क्राइम ब्रांच अधिकारी बन डराया
अलीगंज निवासी डॉक्टर अशोक सोलंकी ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज करवाई है। डॉक्टर ने बताया कि 20 अगस्त को उनको एक कॉल आया, जिसमें ठग ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और उन्हें झांसे में फंसा लिया। ठगों ने डॉक्टर को इतना डराया कि उन्होंने 48 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब डॉक्टर को ठगी का अहसास हुआ, तब उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज करवाया।
ये है पूरा मामला
एफआईआर में डॉक्टर अशोक सोलंकी ने बताया कि उनका क्लिनिक विकासनगर में है। 20 अगस्त को जब वे क्लिनिक से घर जा रहे थे, उन्हें एक कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को मुंबई के फेडेक्स कूरियर सेवा का कर्मचारी बताया। कॉलर ने दावा किया कि डॉक्टर सोलंकी के नाम से ईरान भेजा गया एक पार्सल पकड़ा गया है, जिसमें जाली पासपोर्ट, लैपटॉप, पेनड्राइव और ड्रग्स शामिल हैं। इस खबर से डॉक्टर सोलंकी परेशान हो गए।
सीबीआई-ईडी की जांच का दिया झांसा
कुछ समय बाद एक स्काइप कॉल के माध्यम से दूसरे ठग ने डॉक्टर से संपर्क किया और खुद को मुंबई के डीसीपी के रूप में पेश किया। इस ठग ने डॉक्टर को बताया कि उनके खाते से करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ है, जिसकी जांच सीबीआई और ईडी कर रही हैं। ठग ने डॉक्टर से कहा कि वे अपने खाते के रुपए आरबीआई के खाते में ट्रांसफर कर दें, ताकि जांच के बाद उन्हें वापस कर दिया जाए। डॉक्टर सोलंकी ठगों की बातों में आ गए और रुपए ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद ठगों ने डॉक्टर से संपर्क नहीं किया, और ना ही उनके रुपए वापस मिले। तब जाकर डॉक्टर सोलंकी को इस धोखाधड़ी का एहसास हुआ और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। डॉक्टर की तहरीर पर लखनऊ साइबर थाने की पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज मामले की जांच शुरू कर दी है।
एसजीपीजीआई की डॉक्टर से 2.81 करोड़ थे हड़पे
इसी महीने एसजीपीजीआई की डॉ. रुचिका टंडन को मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी केस में फंसाने के नाम पर जालसाजों ने सात दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर उनके बैंक खातों से 2.81 करोड़ रुपये ट्रांसफर कराए थे। बाद में डॉक्टरने साइबर पुलिस को मामले की जानकारी दी, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई। साइबर पुलिस ने संबंधित खाता ट्रेस करते हुए उसमें ट्रांसफर कराए गए रुपए फ्रीज कराए थे।
सेवानिवृत्त पीडब्ल्यूडी अधिकार से 30.5 लाख की ठगी
इससे पहले मई माह में खुद को सीबीआई, एनआईए और सीमा शुल्क अधिकारी बताकर 'डिजिटल हाउस अरेस्ट' के मामले में एक सेवानिवृत्त लोक निर्माण विभाग के अधिकारी से 30.5 लाख रुपये की ठगी की गई थी। इस प्रकरण में दो लोगों को लखनऊ पुलिस की साइबर टीम ने गिरफ्तार किया था।
साइबर फ्रॉड के बढ़ रहे मामले
लखनऊ में वर्ष 2023 में कुल 54 मुकदमे साइबर फ्रॉड के दर्ज किए गए थे। वहीं साल 2024 में मई तक 62 मुकदमे साइबर क्राइम के दज हुए। ये संख्या अब और बढ़ चुकी है। साइबर पुलिस के मुताबिक इस वर्ष साइबर अपराध से जुड़े मामले पहले की अपेक्षा ज्यादा सामने आए हैं। लोगों से अपील है कि जब भी कोई ऑडियो या वीडियो कॉल कर व्यक्ति मुकदमे में फंसाए जाने की बात कहे तो बिना समय गंवाए अपने नजदीकी थाने में इसकी सूचना अवश्य दें, जिससे साइबर फ्रॉड करने वाले अपराधियों को पकड़ा जा सके और खुद भी साइबर फ्रॉड से बच सके। साइबर पुलिस के मुताबिक जागरूकता ही एक ऐसा साधन है जिससे हम साइबर फ्रॉड या डिजिटल अरेस्ट होने से बच सकते हैं।
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