डेंगू बुखार गंभीर रूप में विकसित होकर डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) में बदल सकता है। हालांकि महज 5 प्रतिशत मामलों में ऐसा होता है। बाकी 95 प्रतिशत मरीज सात से 10 दिन में ठीक हो जाते हैं। सामान्य डेंगू बुखार गंभीर डेंगू में परिवर्तित होने के संकेत देता है।
Lucknow News : डेंगू के वार्निंग सिग्नल की अनदेखी पड़ सकती है भारी, ये लक्षण नजर आते ही हो जाएं सतर्क
Oct 16, 2024 14:41
Oct 16, 2024 14:41
लापरवाही पड़ सकती है भारी
चिकित्सकों के मुताबिक डेंगू के लिए अनुकूल मौसम चल रहा है। मरीज भी लगातार आ रहे हैं। हालांकि, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी से भारत में मरने वाले एक फीसदी से भी कम हैं। लेकिन, जानकारी का अभाव, लापरवाही व वार्निंग सिग्नल को अनदेखा करना और अपने मन से दवाओं का सेवन इस बीमारी को गंभीर बना सकता है।
पांच प्रतिशत रोगी ही गंभीर
डेंगू बुखार गंभीर रूप में विकसित होकर डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) में बदल सकता है। हालांकि महज 5 प्रतिशत मामलों में ऐसा होता है। बाकी 95 प्रतिशत मरीज सात से 10 दिन में ठीक हो जाते हैं। सामान्य डेंगू बुखार गंभीर डेंगू में परिवर्तित होने के संकेत देता है। एक्सपर्ट ने बताया कि शरीर के किसी हिस्से में लाल दाने दिखें, शरीर के किसी हिस्से में खून आए, बार-बार उल्टी, पेशाब-मल में खून आए, 12 घंटे से अधिक पेशाब न आए, पेट दर्द, सांस लेने में तकलीफ, झटका, बेहोशी, हाथ-पैर का ठंडा पड़ जाने के लक्षण दिखें तो बिना एक पल गंवाए फौरन पास के अस्पताल में मरीज को भर्ती कराएं। सही समय पर इलाज मिल जाने पर इस तरह के रोगी 24 से 48 घंटे में ठीक हो जाते हैं।
लक्षण दिखाई देने पर पहुंचे सरकारी अस्पताल
संयुक्त निदेशक डॉ. विकास सिंघल ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क जांच व इलाज की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा 108 नं एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध है। कोई भी मरीज अगर डेंगू के लक्षण वाला हो तो फौरन एंबुलेस बुलाकर पास के सरकारी अस्पताल में भर्ती हो। उन्होंने कहा कि डेंगू के लक्षण वाले प्रत्येक मरीज को जल्द से जल्द जांच करानी चाहिए। इससे आपको तो समय से इलाज मिल ही जाएगा। साथ ही समाज में इसका प्रसार भी रोका जा सकेगा।
बुखार उतरने के बाद सावधानी जरूरी
डॉ. सिंघल ने बताया कि सामान्य तौर पर डेंगू का बुखार तीन से सात दिन में उतर जाता है। लेकिन, आगे के कुछ दिन भी सावधान रहने की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि शरीर में पानी व नमक की कमी कतई नहीं होने देनी चाहिए।
किन्हें खतरा ज्यादा
- जिन्हें डेंगू पहले हो चुका हो।
- शिशु व 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे खासतौर पर कुपोषित बच्चे।
- 65 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग, मोटे लोग।
- गर्भवती महिलाएं व जिनका मासिक धर्म चल रहा हो।
- हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग।
- अपने मन से कोई भी दवा नहीं लें।
- बीमारी के दौरान टूथब्रश से दांत साफ नहीं करें।
- तला-भुना, मांसाहारी भोजन का उपयोग नहीं करें।
- प्लेटलेट बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया के ज्ञान से प्रभावित नहीं हों। वास्तव में बहुत कम रोगियों को प्लेटलेट चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
- वार्निंग को अनदेखा न करें।
- डाक्टर की सलाह को नजरअंदाज बिल्कुल न करें।
- अपने आसपास की जगह को साफ रखें। कूलर, टायर या कबाड़ सामान में पानी जमा न होने दें।
- पूरी आस्तीन के कपड़ें पहनें।
- मच्छरदानी लगाकर सोएं।
- घर में कीटनाशक का छिड़काव कराएं।
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