आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि डॉक्टर अरविंद गुप्ता ने सरकार से वेतन और भत्ते लेने के बावजूद अवैध रूप से निजी प्रैक्टिस की। यह आचरण अनैतिक और सरकारी आदेशों का उल्लंघन है। आयोग ने इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।
Lucknow News : डॉक्टर की लापरवाही से जीवनभर रहेंगे बेऔलाद, आयोग ने लगाया जुर्माना, प्राइवेट प्रैक्टिस पर होगी कार्रवाई
Dec 27, 2024 19:15
Dec 27, 2024 19:15
गलत दवा से हुआ गंभीर नुकसान
पत्नी के इलाज के बीच पति को संक्रमण हुआ। इस पर डॉक्टर ने एक नेफ्रोलॉजिस्ट की सलाह लेकर दवा शुरू कराई। यह दवा बिना किसी उचित परीक्षण के अंदाजे पर दी गई, जिसके परिणामस्वरूप रूपेश का स्पर्म काउंट शून्य हो गया। इस घटना के बाद डॉक्टर की लापरवाही और अस्पताल की अनदेखी ने दंपती को हमेशा के लिए नि:संतान बना दिया।
राज्य उपभोक्ता आयोग का सख्त फैसला
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (SCDC UP)ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए दोषियों पर भारी जुर्माना लगाया। आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने बिना जांच पड़ताल किए गलत दवा लिखने वाले सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर को 10 लाख रुपये पीड़ित को देने का निर्देश दिया। वहीं शिकायत दर्ज होने से भुगतान तक इस पर 9 फीसदी ब्याज देना होगा। मामले में पीड़ित को 25 हजार रुपये मुकदमे का खर्च भी देने का आदेश दिया गया है। ये सभी भुगतान 30 दिन के भीतर करने होंगे।
अस्पताल पर भी लगाया जुर्माना
इसके साथ प्रयागराज के फीनिक्स अस्पताल को भी दोषी ठहराया गया। यह पाया गया कि अस्पताल ने सरकारी चिकित्सक डॉक्टर अरविंद गुप्ता को प्राइवेट प्रैक्टिस करने की अनुमति दी थी, जो नियमों के खिलाफ है। अस्पताल पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। हुसैनाबाद जौनपुर निवासी रूपेश चन्द्र श्रीवास्तव व एकता अस्थाना बनाम मोतीलाल मेडिकल कॉलेज प्रयागराज के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अरविंद गुप्ता के केस में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने यह निर्णय सुनाया है। प्रयागराज के मामले में फीनिक्स हॉस्पिटल दूसरी पार्टी है।
सरकारी चिकित्सक के निजी प्रैक्टिस करने पर होगी कार्रवाई
आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि डॉक्टर अरविंद गुप्ता ने सरकार से वेतन और भत्ते लेने के बावजूद अवैध रूप से निजी प्रैक्टिस की। यह आचरण अनैतिक और सरकारी आदेशों का उल्लंघन है। आयोग ने इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। इस फैसले की प्रति चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के महानिदेशक, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, और सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को भेजी गई है। इसके साथ ही, डॉक्टर अरविंद गुप्ता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया है।
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