Lucknow News : 200 करोड़ के जमीन घोटाले में ईडी ने तहसील-एलडीए से मांगे दस्तावेज, अफसरों पर कसेगा शिकंजा

 200 करोड़ के जमीन घोटाले में ईडी ने तहसील-एलडीए से मांगे दस्तावेज, अफसरों पर कसेगा शिकंजा
UPT | Enforcement Directorate

Nov 15, 2024 09:20

एलडीए के तत्कालीन सहायक अभियंता भूपेंद्रवीर सिंह ने 2006 में यह रिपोर्ट दी थी कि जमीन नदी के बीच में है और इसका प्राधिकरण के लिए कोई उपयोग नहीं है। इसके बावजूद 2014 में फाइल दोबारा खोली गई। बिल्डर ने यह जमीन महादेव प्रसाद से खरीदी दिखाई। लेकिन, वह जमीन नदी के बीच होने के कारण निर्माण नहीं कर पा रहा था।

Nov 15, 2024 09:20

Lucknow News : राजधानी लखनऊ में 200 करोड़ रुपए के जमीन घोटाले में प्रशासन और लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच शुरू कर दी है। ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर जयकुमार ठाकुर ने इस फर्जीवाड़े की जांच के लिए आठ नवंबर 2024 को पत्र जारी कर तहसील और एलडीए से दस्तावेज मांगे हैं। ईडी के पत्र में अधिकारियों के नाम भी मांगे गए हैं जिन्होंने इस घोटाले को अंजाम दिया था।

2006 में हुई घोटाले की शुरुआत
यह घोटाला वर्ष 2006 में शुरू हुआ, जब बिल्डर राजगंगा डेवलपर्स को गोमती नदी की जमीन का फर्जीवाड़ा कर सौंप दिया गया। इसके पीछे सदर तहसील के तत्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार और अन्य राजस्व कर्मियों की मिलीभगत बताई जा रही है। नवंबर 2006 में तहसील के अधिकारियों ने फर्जी भौतिक सत्यापन कर जमीन को नदी से बाहर बताया और इसकी रिपोर्ट एलडीए को सौंपी।



प्रारंभिक रिपोर्टों की अनदेखी
एलडीए के तत्कालीन सहायक अभियंता भूपेंद्रवीर सिंह ने 2006 में यह रिपोर्ट दी थी कि जमीन नदी के बीच में है और इसका प्राधिकरण के लिए कोई उपयोग नहीं है। इसके बावजूद 2014 में फाइल दोबारा खोली गई। बिल्डर ने यह जमीन महादेव प्रसाद से खरीदी दिखाई। लेकिन, वह जमीन नदी के बीच होने के कारण निर्माण नहीं कर पा रहा था।

भूमि के बदले मिली प्राइम लोकेशन की जमीन
बिल्डर ने एलडीए से यह जमीन देकर बदले में गोमतीनगर विस्तार में प्राइम लोकेशन के पांच व्यावसायिक भूखंड ले लिए। 2015 में अधिकारियों ने इन भूखंडों की रजिस्ट्री बिल्डर के नाम कर दी। यह प्रक्रिया सहायक अभियंता की पुरानी रिपोर्ट की अनदेखी कर की गई।

2023 में खुलासा और प्रशासनिक कार्रवाई
सितंबर 2023 में तत्कालीन उपाध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी ने सचिव पवन गंगवार से मामले की जांच कराई। जांच में यह सामने आया कि बिल्डर से ली गई जमीन अब भी नदी में ही है और अधिकारियों ने बिल्डर को गलत तरीके से पांच व्यावसायिक भूखंड दे दिए। आवंटन तो रद्द कर दिया गया। लेकिन, रजिस्ट्री पूरी हो जाने से बिल्डर पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

ईडी ने तलब किए दस्तावेज
आठ नवंबर 2024 को ईडी ने विस्तृत जांच के लिए पत्र जारी किया। इसमें राजगंगा ग्रुप ऑफ कंपनियों के निदेशकों अशोक कुमार अग्रवाल और मनीष अग्रवाल समेत अन्य का विवरण मांगा गया है। इसके अलावा, एलडीए द्वारा की गई आंतरिक जांच रिपोर्ट और अब तक की कार्यवाही की रिपोर्ट भी मांगी गई है।

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