चिमनियों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए पूरी चिमनी को पहले खोलना होगा और फिर इसे विस्तार देना होगा। तालकटोरा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष यूनुस सिद्दीकी के मुताबिक इस प्रक्रिया में 10-15 दिन का समय लग सकता है। हालांकि, उनका दावा है कि तालकटोरा में उद्योगों से प्रदूषण नहीं हो रहा है और लालबाग जैसे इलाकों में हवा की गुणवत्ता अधिक खराब है।
हवा की सेहत सुधारने की कवायद : लखनऊ के तालकटोरा इंडस्ट्रियल एरिया में 20 फीट बढ़ाई जाएगी चिमनियों की ऊंचाई
Nov 13, 2024 08:31
Nov 13, 2024 08:31
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की योजना
यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी यूसी शुक्ला ने बताया कि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए औद्योगिक इकाइयों को चिमनियों की ऊंचाई बढ़ाने के निर्देश मौखिक रूप से दिए गए हैं और जल्द ही यह निर्देश लिखित रूप में भी भेजे जाएंगे। जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार के आदेश पर नगर निगम और अन्य स्थानीय एजेंसियां भी प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं।
128 में से सिर्फ 8 इकाइयों में चिमनियां
तालकटोरा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष यूनुस सिद्दीकी के मुताबिक क्षेत्र में कुल 128 औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें से केवल आठ इकाइयों में ही चिमनियां लगी हुई हैं। उन्होंने बताया कि ये चिमनियां सभी निर्धारित मानकों के अनुरूप हैं। किसी चिमनी की ऊंचाई 100 फीट है, तो किसी की 130 फीट। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कानून के तहत चिमनी की ऊंचाई बढ़ाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, लेकिन प्रशासन ने इसे एहतियात के तौर पर सुझाया है।
चिमनियों की ऊंचाई बढ़ाने में लगेगा वक्त
चिमनियों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए पूरी चिमनी को पहले खोलना होगा और फिर इसे विस्तार देना होगा। यूनुस सिद्दीकी के मुताबिक इस प्रक्रिया में 10-15 दिन का समय लग सकता है। हालांकि, उनका दावा है कि तालकटोरा में उद्योगों से प्रदूषण नहीं हो रहा है और लालबाग जैसे इलाकों में हवा की गुणवत्ता अधिक खराब है। शहर में प्रदूषण में इजाफा होने के लिए तालकटोरा की औद्योगिक इकाइयां जिम्मेदार नहीं हैं। बीते कुछ समय से वाहनों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। इसके अलावा अन्य कारणों से भी प्रदूषण बढ़ा है।
लखनऊ की बिगड़ती हवा
लखनऊ का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) हाल ही में 243 दर्ज किया गया है, जबकि लालबाग की हवा की गुणवत्ता लाल श्रेणी में (एक्यूआई 321) पहुंच चुकी है। इस श्रेणी की हवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। गाजियाबाद, नोएडा, और ग्रेटर नोएडा जैसे औद्योगिक शहरों में भी यही स्थिति देखने को मिलती है।
नगर निगम के प्रदूषण नियंत्रण के दावे
नगर निगम के पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान के मुताबिक जिन क्षेत्रों में एक्यूआई ज्यादा है, वहां प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम की दस मशीनें तैनात की गई हैं। इनमें से आठ एंटी-स्मॉग गन हैं और पानी के छिड़काव के लिए भी दो मशीनें लगाई गई हैं। ये प्रयास हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए किए जा रहे हैं।
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