उद्यमियों ने तर्क दिया कि शहर में प्रदूषण दिवाली के बाद से बढ़ा है, जबकि उद्योग पहले से ही चल रहे थे। उन्होंने कहा कि दिवाली के दौरान छुट्टी के कारण फैक्टरियां बंद थीं, फिर भी प्रदूषण बढ़ा। इसके अलावा, क्षेत्र के भीतर लगाए गए वायु गुणवत्ता मापक यंत्र का प्रभाव पांच किमी की परिधि में है, जिसमें चारबाग स्टेशन, आलमबाग, और अन्य यातायात प्रभावित क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में जाम और वाहनों से उत्पन्न प्रदूषण अधिक होता है।
हवा की सेहत बिगड़ने के कई कारण : उद्यमी बोले- तालकटोरा की औद्योगिक इकाइयों पर ही सवाल क्यों? डीएम के फरमान का विरोध
Nov 09, 2024 13:46
Nov 09, 2024 13:46
15 दिन का ट्रायल सफल होने पर तीन महीने तक बढ़ाने की योजना
जिलाधिकारी ने तालकटोरा क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 15 दिनों के ट्रायल को तत्काल अमल में लाने को कहा है। इसके बाद अगर सकारात्मक परिणाम मिले, तो इसे तीन महीने तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इस निर्देश का पालन करवाने के लिए विभिन्न विभागों के बीच तालमेल बनाने की योजना भी बनाई गई है।
आईआईए और तालकटोरा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन का विरोध
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (IIA) और तालकटोरा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने जिलाधिकारी के निर्देश को अव्यावहारिक बताया है। आईआईए के चेयरमैन विकास खन्ना ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि सड़कों और नालों के निर्माण से उड़ने वाली धूल की वजह से क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ रहा है, फिर उद्योगों को ही क्यों दोषी ठहराया जा रहा है?
जाम और वाहनों से उत्पन्न प्रदूषण अधिक
उद्यमियों ने तर्क दिया कि शहर में प्रदूषण दिवाली के बाद से बढ़ा है, जबकि उद्योग पहले से ही चल रहे थे। उन्होंने कहा कि दिवाली के दौरान छुट्टी के कारण फैक्टरियां बंद थीं, फिर भी प्रदूषण बढ़ा। इसके अलावा, क्षेत्र के भीतर लगाए गए वायु गुणवत्ता मापक यंत्र का प्रभाव पांच किमी की परिधि में है, जिसमें चारबाग स्टेशन, आलमबाग, और अन्य यातायात प्रभावित क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में जाम और वाहनों से उत्पन्न प्रदूषण अधिक होता है।
सड़कों से उड़ती धूल और उद्योगों पर सवाल
आईआईए लखनऊ चैप्टर के चेयरमैन विकास खन्ना कहते हैं कि तालकटोरा की सड़कों की खराब स्थिति और वर्षों से चल रहे नालों के निर्माण के कारण धूल उड़ती है। उद्यमियों ने सवाल किया कि इस धूल के लिए उद्योगों को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?
रोजगार और उत्पादन पर प्रभाव
लघु उद्योग भारती के उपाध्यक्ष रितेश श्रीवास्तव ने प्रशासन के इस निर्णय को रोजगार और आर्थिक विकास के लिए नकारात्मक बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदूषण रोकने के लिए अन्य उपायों पर विचार किया जाना चाहिए।
उद्योगों की समय-सारिणी बदलना अव्यावहारिक
एसोचैम के आईटी एंड एग्रीकल्चर सेल के चेयरमैन संदीप सक्सेना का कहना है कि उद्योगों की समय-सारिणी बदलना व्यावहारिक नहीं है। उनके मुताबिक श्रमिक दिन में काम करते हैं और रात में आने के लिए तैयार नहीं होंगे। इससे उत्पादन प्रभावित होगा और श्रमिकों की कमी भी हो सकती है।
उद्यमियों के प्रति नकारात्मक मंशा
तालकटोरा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष यूनुस सिद्दीकी ने प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाया। उनना कहना कि 31 अक्तूबर से 5 नवंबर तक फैक्टरियां बंद रहीं, फिर भी प्रदूषण बढ़ने के लिए उद्योगों को दोषी ठहराया जा रहा है। उन्होंने यह भी पूछा कि लालबाग जैसे क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण का कारण क्या है, जहां कोई औद्योगिक इकाई नहीं है।
समाधान की आवश्यकता
उद्यमियों का कहना है कि उद्योगों पर बिना सोचे-समझे ऐसे निर्णय थोपने के बजाय प्रशासन को अन्य उपायों पर विचार करना चाहिए ताकि रोजगार और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
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