जमीन अधिग्रहण नीति के विरोध में किसानों ने मंगलवार को अनोखा प्रदर्शन किया। लखनऊ स्थित नेशनल हाईवे 56 पर पहाड़नगर मोड़ के पास किसानों ने एलडीए और आवास विकास की अर्थी सजाकर विरोध जताया।
किसानों का अनोखा प्रदर्शन : एलडीए-आवास विकास की अर्थी सजाई, बोले- औने पौने दाम पर नहीं देंगे जमीन
Sep 24, 2024 16:31
Sep 24, 2024 16:31
जमीन अधिग्रहण नीति के खिलाफ जताया विरोध
गोसाईंगंज क्षेत्र के 33 गांवों के किसान एलडीए और आवास विकास की जमीन अधिग्रहण नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनकी जमीन औनेकृपौने दामों पर एलडीए और आवास विकास ले रहा है। बाजार में जमीनों की कीमत करोड़ों में है। इस के चलते किसान सरकार को जमीन देने से इंकार कर रहे हैं। जमीन
<iframe width="560" height="315" src="https://www.youtube.com/embed/BJXXWC5VwU4?si=6MZ72kwhdxW6N8A7" title="YouTube video player" frameborder="0" allow="accelerometer; autoplay; clipboard-write; encrypted-media; gyroscope; picture-in-picture; web-share" referrerpolicy="strict-origin-when-cross-origin" allowfullscreen></iframe>
मुंडन करवाकर मनाएंगे बरसी
भाकियू टिकैत के जिलाध्यक्ष संदीप वर्मा ने कहा कि आज यहां अर्थियां बनाई हैं। अब अपना मुंडन कराएंगे और आने वाले समय में मृत्यु भोज के साथ ही एलडीए और आवास विकास की बरसी मनाएंगे। वर्मा ने कहा कि इस समय एक बीघा जमीन का बाजार भाव करीब दो करोड़ रुपए है। सरकारी एजेंसियां सर्किल रेट का चार गुना कीमत देने की बात कर रही हैं। जो करीब 30 लाख रुपए होती है। किसान सरकारी महकमों की शर्तों पर अपनी पुश्तैनी जमीनें नहीं बेचेंगे। किसानों ने कहा कि मांगे पूरी न होने तक लगातार धरना जारी रहेगा।
रजिस्ट्री पर रोक
गोसाईंगंज और सुशांत गोल्फ सिटी थानाक्षेत्र के विभिन्न गांवों में एलडीए और आवास विकास की ओर से जमीनों का अधिग्रहण किया जाना है। यहां सरकार की ओर से कई व्यावसायिक और आवासीय योजनाएं लाने की रूपरेखा तैयार की गई है। इसे लेकर किसानों से जमीनों का अधिग्रहण होना है। मोहनलालगंज तहसील में आने वाले इन गांवों की भूमि की रजिस्ट्री पर भी रोक लगाई गई है। वहीं किसानों की मांग है की वर्तमान में बाजार भाव का चार गुना मुआवजा दिया जाए।
Also Read
24 Sep 2024 08:25 PM
सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री जनता के मुख्य मुद्दों से ध्यान बांटना चाहते हैं। वह महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दे पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। अपने इस निर्णय से वह अब दलित, पिछड़ों, अल्पसंख्यक और व्यापारियों के उत्पीड़न व दमन के लिए पुलि... और पढ़ें